झारखंड के DGP अनुराग गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, बाबूलाल मरांडी की याचिका खारिज

झारखंड DGP अनुराग गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। एक्स सीएम बाबूलाल मरांडी की दायर याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी। पढ़ें पूरी खबर Threesocieties.com पर।

झारखंड के DGP अनुराग गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, बाबूलाल मरांडी की याचिका खारिज
अनुराग गुप्ता- सुप्रीम कोर्ट व बाबूलाल मरांडी।
  • राज्यों में डीजीपी की नियुक्ति से संबंधित मामले की सुनवाई रहेगी जारी

रांची\ नई दिल्ली। झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग गुप्ता की डीजीपी पोस्ट पर नियुक्ति के खिलाफ एक्स सीएम व बीजेपी लीडर बाबूलाल मरांडी की अवमानना याचिका को खारिज कर दिया है।
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अनुराग गुप्ता को झारखंड के डीजीपी पद पर नियुक्त करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अनजारिया की बेंच ने की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बाबूलाल मरांडी की अवमानना याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। नियमावली को चुनौती दी गयी है, उसपर पर अलग सुनवाई हो सकती है। सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि डीजीपी की नियुक्ति राज्य सरकार के अधीन है। अनुराग गुप्ता को नियमानुसार नियुक्ति किया गया है।
अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी,राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता निपटाने का मंच नहीं कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि  राजनीतिक प्रतिद्वंद्विताओं को निपटाने के लिए कोर्ट को मंच नहीं बनाया जा सकता है।। कोर्ट ने यह भी कहा कि जनहित याचिकाएं कमजोर वर्गों के लिए हैं निजी हितों के लिए नहीं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि अवमानना याचिका अनुराग गुप्ता और एक्स डीजीपी अजय कुमार के बीच विवाद के कारण दाखिल की गयी है। अनुराग गुप्ता की नियुक्ति के लिए अजय कुमार को पद से हटा दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि इस तरह की याचिका को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि यदि आपको किसी विशेष नियुक्ति से समस्या है, तो आप केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के पास जाएं। यदि आपको राजनीतिक स्कोर तय करने हैं, तो आप मतदाताओं के बीच जाएं।चीफ जस्टिस बीआर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और एनवी अंजारिया की बेच ने अखिल भारतीय आदिम जनजाति विकास समिति झारखंड और बीजेपी लीडर बाबूलाल मरांडी की अवमानना याचिकाओं को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया। बेंच  यह भी कहा कि जनहित याचिकाएं समाज के कमजोर वर्गों की भलाई के लिए होती हैं, व्यक्तिगत या राजनीतिक हितों के लिए नहीं।
यह है मामला
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि राज्य सरकार ने डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति करते समय सुप्रीम कोर्ट के 2006 के प्रकाश सिंह मामले और यूपीएससी दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है। उनका कहना था कि नियुक्ति बिना यूपीएससी की अनुशंसित सूची के हुई। डीजीपी गुप्ता 30 अप्रैल को सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंच चुके थे और उनके विस्तार की मांग करना नियमों के खिलाफ है। केंद्र उनके सेवा विस्तार को पहले ही खारिज कर चुका है।याचिकाकर्ताओं ने 2006 के उस ऐतिहासिक फैसले का जिक्र किया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपीएससी तीन सीनीायर आईपीएस अफसरों सूची भेजे और नियुक्त अधिकारी का कार्यकाल कम से कम दो साल का हो। आरोप लगाया गया कि झारखंड सरकार ने इन दिशा-निर्देशों की अनदेखी की और गुप्ता को फरवरी 2025 में डीजीपी बना दिया।
राज्यों में डीजीपी की नियुक्ति से संबंधित मामले की सुनवाई हो रही है,व्यक्तिगत मामलों की सुनवाई नहीं कर सकता 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब वह राज्यों में डीजीपी की नियुक्ति से संबंधित मामले की सुनवाई हो रही है, तो वह व्यक्तिगत मामलों की सुनवाई नहीं कर सकता है।न्यायमित्र सीनीयर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने प्रकाश सिंह के इस सुझाव का समर्थन किया कि डीजीपी की नियुक्ति यूपीएससी की बजाय मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए। प्रकाश सिंह ने कोर्ट को बताया कि राज्य डीजीपी नियुक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों को दरकिनार करने के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशकों (एडीजीपी) की नियुक्ति कर रहे हैं।
बाबूलाल ने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को दी थी चुनौती
झारखंड बीजेपी के प्रसिडेंट व झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर अनुराग गुप्ता को डीजीपी बनाये जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी, जबकि हाई कोर्ट में सरकार की डीजीपी नियुक्ति को लेकर बनाई गयी नियमावली को चुनौती दी है। इसमें मुख्य सचिव सहित अन्य को प्रतिवादी बनाया गया था।याचिका में कहा गया था कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रकाश सिंह बनाम केंद्र सरकार के मामले में दिये गये दिशा-निर्देश के खिलाफ की गयी है। 
अनुराग गुप्ता को नियुक्त करने के लिए यूपीएससी के पैनल से नियुक्त किये गये डीजीपी को गलत तरीके से पद से हटाया गया।सुप्रीम कोर्ट ने किसी डीजीपी को पद से हटाने के लिए जो शर्त निर्धारित की है। उसका उल्लंघन किया गया। इसलिए अनुराग गुप्ता को डीजीपी के पद पर नियुक्ति करना कोर्ट की अवमानना है।
डीजीपी अनुराग गुप्ता के मुद्दे पर सेंट्रल व स्टेट गवर्नमेंट में टल रहा है टकराव
डीजीपी अनुराग गुप्ता के मुद्दे पर सेंट्रल गवर्नमेंट व झारखंड गवर्नमेंट के बीच टकराव चल रहा है।सेंट्रल गवर्नमेंट ने अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल को ही रिटायर माना है। इसे लेकर सेंट्रल गवर्नमेंट ने झारखंड गवर्नमेंट को को कई बार पत्राचार भी किया था। अनुराग गुप्ता को डीजीपी के पद से हटाने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद अनुराग गुप्ता कोस्टेट गवर्नमेंट ने डीजीपी के पद पर बैठा रखा है।सेंट्रल ने डीजीपी की नियुक्ति को लेकर बनी झारखंड सरकार की नियुक्ति नियमावली को भी नियम विरुद्ध माना है। उसके आधार पर अनुराग गुप्ता के सेवा विस्तार को असंवैधानिक बताया है। सेंट्रल के पत्राचार के बावजूद स्टेट गवर्नमेंट अपने निर्णय पर अडिग है। स्टेट गवर्नमेंट ने अनुराग गुप्ता का डीजीपी के पद पर सेवा विस्तार को वैध बताया है। इसे लेकर स्टेट गवर्नमेंट ने भी सेंट्रल को अपना तर्क देते हुए जवाब भी भेजा था। सेंट्रल व स्टेट के बीच डीजीपी अनुराग गुप्ता के मुद्दे पर एक-दूसरे के तर्क पर अब तक सहमति नहीं बन सकी है।