JNU Election 2025: जेएनयू में फिर ‘लाल’ का कमाल! अध्यक्ष समेत सभी चार सीटों पर लेफ्ट यूनिटी की जीत

JNU Election 2025 में लेफ्ट यूनिटी की जबरदस्त जीत, अदिति मिश्रा बनीं अध्यक्ष। चारों सीटों पर वाम गठबंधन का कब्जा, ABVP को करारा झटका। जानिए कौन हैं अदिति मिश्रा, जिन्होंने जेएनयू में लहराया लाल परचम।

JNU Election 2025: जेएनयू में फिर ‘लाल’ का कमाल! अध्यक्ष समेत सभी चार सीटों पर लेफ्ट यूनिटी की जीत
JNU छात्रसंघ चुनाव में फिर लाल लहर!।

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हुए छात्रसंघ चुनाव 2025 के परिणामों में एक बार फिर वाम एकता (Left Unity) का जलवा देखने को मिला। अध्यक्ष समेत सभी चार प्रमुख पदों पर लेफ्ट यूनिटी ने कब्जा जमा लिया है। वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) को इस बार करारा झटका लगा है — वह अपनी पिछली बार की एकमात्र सीट भी नहीं बचा सकी।

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 सभी चार सीटों पर लेफ्ट का कब्जा

इस बार अध्यक्ष पद पर अदिति मिश्रा ने शानदार जीत हासिल की। उन्होंने ABVP के विकास पटेल को निर्णायक अंतर से हराया। अन्य पदों पर भी वाम गठबंधन का दबदबा कायम रहा —

उपाध्यक्ष (Vice President): के. गोपिका

महासचिव (General Secretary): सुनील यादव

संयुक्त सचिव (Joint Secretary): दानिश अली

गिनती के अंत तक चारों सीटों पर लेफ्ट यूनिटी का दबदबा कायम रहा। अदिति मिश्रा को कुल 1937 वोट मिले, जबकि विकास पटेल को 1192 वोट मिले।

 वोटों की गिनती में दिखा लाल रंग

गिनती के शुरुआती रुझानों से ही लेफ्ट यूनिटी की बढ़त साफ थी। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) के प्रतिनिधियों के अनुसार, 4340 वोटों की गिनती तक अदिति मिश्रा 1375 वोटों के साथ सबसे आगे थीं। देर शाम तक परिणामों में भी यही रुझान कायम रहा। उपाध्यक्ष पद पर के. गोपिका ने 3220 वोट हासिल कर ABVP की तान्या कुमारी (1835 वोट) को हराया। महासचिव पद पर सुनील यादव (2125 वोट) ने एबीवीपी के राजेश्वर कांत दुबे (1980 वोट) को मामूली अंतर से मात दी।

इंटरनल कमेटी चुनावों में भी लेफ्ट की जीत

जेएनयू की आंतरिक समिति (Internal Committee) चुनावों में भी लेफ्ट का दबदबा कायम रहा। तीनों श्रेणियों में वाम गठबंधन ने जीत दर्ज की, जिससे छात्र राजनीति में उसकी मजबूत स्थिति और पुख्ता हुई।

कौन हैं अदिति मिश्रा – जेएनयू की नई अध्यक्ष

उत्तर प्रदेश के बनारस की रहने वाली अदिति मिश्रा अब जेएनयू छात्रसंघ की नई अध्यक्ष हैं। उन्होंने बीएचयू (BHU) से स्नातक के दौरान ही अपने आंदोलनीय तेवरों से पहचान बनायी थी।

2017: महिलाओं के हॉस्टल कर्फ्यू के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय भूमिका

2018: पुडुच्चेरी यूनिवर्सिटी में वीसी दफ्तर का घेराव

2019: फीस वृद्धि और CAA विरोधी आंदोलन में हिस्सा

2020: हाशिए पर खड़े छात्रों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद

वर्तमान में वे स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़, जेएनयू में पीएचडी कर रही हैं। उनका शोध विषय है — “उत्तर प्रदेश में 2012 से महिलाओं द्वारा लैंगिक हिंसा के खिलाफ प्रतिरोध।” आईसा (AISA) की प्रतिनिधि के रूप में अदिति ने विश्वविद्यालय में जेंडर समानता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाली कई पहलें कीं।

अदिति मिश्रा बोलीं – ‘यह जीत छात्रों की एकता की जीत है’

जीत के बाद अदिति मिश्रा ने कहा — “यह जीत केवल वाम दलों की नहीं, बल्कि उन सभी छात्रों की है जो शिक्षा, समानता और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जेएनयू ने फिर दिखाया है कि यहां विचार और असहमति दोनों का सम्मान होता है।”

 ABVP के लिए झटका, लेफ्ट का मनोबल बुलंद

बीते वर्षों में जेएनयू में एबीवीपी ने छात्र राजनीति में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी, लेकिन इस बार लेफ्ट ने चारों सीटों पर जीत दर्ज कर एक बार फिर ‘लाल किला’ फतह कर लिया।

 जेएनयू छात्र राजनीति: इतिहास और प्रभाव

जेएनयू लंबे समय से वाम विचारधारा का गढ़ माना जाता है। यहां छात्र राजनीति हमेशा देशभर में बहस का केंद्र रही है। इस बार का परिणाम भी इसी परंपरा की पुष्टि करता है — जेएनयू में फिर लाल झंडे की जीत हुई है।