PM मोदी के कार्यकाल में तेजी से घटी इंडिया की गरीबी, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट से देश की प्रगति की तस्वीर उजागर

देश की गरीबी में 2015 से 2019 के दौरान वर्ष 2011-2015 के मुकाबले अधिक कमी आई है। यह जानकारी हाल ही में प्रकाशित वर्ल्ड बैंक के पालिसी रिसर्च पेपर में दी गई है। 

PM मोदी के कार्यकाल में तेजी से घटी इंडिया की गरीबी, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट से देश की प्रगति की तस्वीर उजागर
  • छोटे किसानों की आय में 10 परसेंट की दर से वृद्धि 
  • 2017-18 के दौरान आई गरीबी में सबसे अधिक कमी 
  • कैजुअल वर्कर्स की दिहाड़ी में हुई सबसे अधिक बढ़ोतरी

नई दिल्ली। देश की गरीबी में 2015 से 2019 के दौरान वर्ष 2011-2015 के मुकाबले अधिक कमी आई है। यह जानकारी हाल ही में प्रकाशित वर्ल्ड बैंक के पालिसी रिसर्च पेपर में दी गई है। 

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रिसर्च पेपर के अनुसार, 2011 में अति गरीबी की दर 22.5 परसेंट थी, तो 2015 में यह 19.1 परसेंट हो गई। वहीं, 2019 में अति गरीबी की दर 10 परसेंटरह गई। यानी 2011 से 2015 के बीच अति गरीबी की दर में 3.4 परसेंट की कमी आई। 2015 से 2019 के बीच अति गरीबी की दर में 9.1 परसेंट की गिरावट हुई, जो 2011-15 के मुकाबले 2.6 गुना अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, 2013-19 के बीच सबसे छोटे आकार का खेत रखने वाले किसानों की आय में भी हर साल 10 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई। देश में मई 2014 से देश में पीएम नरेन्द्र मोदी की सरकार है। इससे पहले मई 2004 से लेकर मई 2014 तक संप्रग की सरकार थी।

वर्ल्ड  बैंक पालिसी रिसर्च पेपर में 2011 के बाद से इंडिया में गरीबी में सबसे अधिक कमी 2017-18 के दौरान आई 
गरीबी और असमानता का अध्ययन करने के लिए सेंटर फार मानिटरिंग द इंडियन इकोनमी (CMIE) की तरफ से एनुअल कराये जाने वाले कंज्यूमर पिरामिड्स हाउसहोल्ड सर्वे का इस्तेमाल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, गरीबी दर में गिरावट सीधे तौर पर दिहाड़ी मजदूरी में बढ़ोतरी से जुड़ी है। गरीबी में सबसे अधिक कमी 2017-18 के दौरान आई। इस समय कैजुअल वर्कर्स की दिहाड़ी में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2011 से ही दिहाड़ी मजदूरी में तेजी से बढ़ोतरी होने लगी और इस वजह से गरीबी दर कम होने लगी। रिपोर्ट में ILO के हवाले से कहा गया है कि 1993-2004 में दिहाड़ी मजदूरी की बढ़ोतरी दर 1.8 प्रतिशत तो 2004-11 में 6.8 प्रतिशत रही।

2015-19 के बीच ग्रामीण गरीबी में 10.3 परसेंट की गिरावट

रिसर्च पेपर के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल (20015-19) में ग्रामीण और शहरी दोनों ही गरीबी में 2011-15 के मुकाबले अधिक कमी आई। 2011 में ग्रामीण गरीबी दर 26.3 परसेंट थी, जो 2015 में 21.9 परसेंट हो गई। 2019 में गरीबी दर 11.6 परसेंट रह गई। इस प्रकार 2011 से 2015 के बीच ग्रामीण गरीबी दर में 4.4 प्रतिशत की गिरावट हुई, तो 2015-19 के बीच ग्रामीण गरीबी में 10.3 परसेंट की गिरावट रही। वैसे ही शहरी गरीबी में 2011-15 के बीच 1.3 परसेंट की कमी आई। 2015-19 के बीच शहरी गरीबी में 6.6 परसेंट की गिरावट रही।

मजदूरी बढ़ी तो घटी गरीबी

1993-2004 में धीमी गति से दिहाड़ी मजदूरी बढ़ने से प्रति वर्ष 0.7 परसेंट की दर से गरीबी घटी।
2004-11 में दिहाड़ी मजदूरी अधिक बढ़ने से गरीबी प्रति वर्ष 2.5 परसेंट की दर से कम हुई।