Dhanbad : ‘इमर्जिंग झारखंड’ समापन सत्र में खनिज–उद्योग–स्वास्थ्य–शिक्षा का साझा विज़न

धनबाद में आयोजित ‘इमर्जिंग झारखंड’ समापन सत्र में खनिज, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण के समन्वय से झारखंड को आत्मनिर्भर राज्य बनाने पर विस्तृत चर्चा।

Dhanbad : ‘इमर्जिंग झारखंड’ समापन सत्र में खनिज–उद्योग–स्वास्थ्य–शिक्षा का साझा विज़न
झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने का रोडमैप तैयार।
  • नीति, तकनीक और सामाजिक क्षेत्रों के समन्वय से राज्य के सर्वांगीण विकास पर बनी सहमति

धनबाद।( Threesocieties.com Desk)। झारखंड के समग्र और टिकाऊ विकास के लिए खनिज संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग, उद्योगों के विस्तार, सशक्त स्वास्थ्य व्यवस्था और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को एक साथ आगे बढ़ाना समय की आवश्यकता है। यह बात राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड के निदेशक आईएएस शशि प्रकाश झा ने कही। वे रविवार को राजविलास रिजॉर्ट में एल्यूर सोसाइटी, झारखंड इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड एसोसिएशन (JITA) और IIT (ISM) धनबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय ‘इमर्जिंग झारखंड’ कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

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खनिज संपदा से उद्योगों का विस्तार

आईएएस शशि प्रकाश झा ने कहा कि झारखंड की सबसे बड़ी पहचान उसकी समृद्ध खनिज संपदा है। यदि इसका योजनाबद्ध, टिकाऊ और स्थानीय उद्यमियों के सहयोग से उपयोग किया जाए, तो राज्य में बड़े, मझौले और लघु उद्योगों का मजबूत नेटवर्क तैयार किया जा सकता है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी। उन्होंने बताया कि सरकार इस दिशा में नीतिगत और संस्थागत स्तर पर लगातार काम कर रही है।

 स्वास्थ्य सेवाओं का सशक्तिकरण जरूरी

उन्होंने कहा कि विकसित झारखंड की नींव मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था पर टिकी है। राज्य गठन के बाद से मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज और स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध हो रहा है। सरकार की प्राथमिकता ग्रामीण और शहरी—दोनों क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करना है।

 IIT (ISM) की तकनीकी भागीदारी

कार्यक्रम की संयोजक एवं IIT (ISM) की प्रोफेसर शालिनी गौतम ने कहा कि कोयला और क्रिटिकल मिनरल्स का आधुनिक, पर्यावरण–अनुकूल और पूर्ण उपयोग कर आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। तकनीकी नवाचार के जरिए स्थानीय उद्योगपतियों और लघु उद्यमियों को जोड़कर नए उद्योग स्थापित किए जाएंगे, जिससे मजदूरों के पलायन पर रोक लगेगी। इस पूरी प्रक्रिया में IIT (ISM) का तकनीकी सहयोग लगातार मिलता रहेगा।

 उद्योग विकास के साथ सामाजिक सेक्टर पर ज़ोर

JITA के अध्यक्ष अमितेश सहाय ने कहा कि उद्योगों के विकास के लिए निवेश के साथ–साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, खनन, पर्यटन और महिला सशक्तिकरण जैसे सामाजिक क्षेत्रों को भी समान रूप से मजबूत करना होगा। जब सभी सेक्टर साथ आगे बढ़ेंगे, तभी झारखंड वास्तव में विकसित राज्य बन सकेगा।महासचिव राजीव शर्मा ने बताया कि जिटा की पहल पर यह पूरे झारखंड का पहला व्यापक और बहु–क्षेत्रीय कॉन्क्लेव रहा, जिसमें उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासन से जुड़े विशेषज्ञों ने व्यावहारिक सुझाव दिए।कोषाध्यक्ष नंदलाल अग्रवाल ने कहा कि कॉन्क्लेव से यह स्पष्ट हुआ है कि झारखंड के मिनरल बेस के सहारे हर स्तर के उद्योग स्थापित और विकसित किए जा सकते हैं।

वन संरक्षण, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण

पद्मश्री जमुना टुडू ने सिंहभूम क्षेत्र में वन संरक्षण के अपने अनुभव साझा करते हुए विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण को जोड़ने पर ज़ोर दिया। शिक्षा सत्र में आरएस मोर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रवीण सिंह, डीपीएस की प्राचार्य डॉ. सरिता सिंह और क्रेडो वर्ल्ड स्कूल की प्राचार्य शर्मिला सिन्हा ने कहा कि धनबाद गुणवत्तापूर्ण स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों की वजह से तेज़ी से शैक्षणिक हब के रूप में उभर रहा है। महिला सशक्तिकरण सत्र में जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह ने कहा कि महिलाओं की भागीदारी के बिना ‘इमर्जिंग झारखंड’ की परिकल्पना अधूरी है।

 स्वास्थ्य सत्र में विशेषज्ञों की राय

स्वास्थ्य सत्र में अशर्फी अस्पताल के निदेशक हरेंद्र सिंह और इमेजिका के डॉ. मिहिर झा ने कहा कि धनबाद की चिकित्सा व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। अब कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए बाहर जाने की मजबूरी कम हुई है, हालांकि अत्याधुनिक सुविधाओं और विशेषज्ञ सेवाओं के विस्तार की आवश्यकता बनी हुई है।

 सम्मान और प्रमुख उपस्थिति

कार्यक्रम के दौरान शिक्षा, चिकित्सा और उद्योग जगत की विशिष्ट हस्तियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर धनबाद विधायक राज सिन्हा, सह–संयोजक IIT (ISM) के प्रो. डॉ. अमृत आनंद, शंभूनाथ अग्रवाल, चेतन गोयनका, विमल तुलसियान, विशाल अग्रवाल, डी.एन. सिंह, एजाज अहमद, संदीप अग्रवाल, बजरंग अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, बाबू भगत सहित बड़ी संख्या में उद्योगपति और उद्यमी मौजूद रहे।

दो दिवसीय ‘इमर्जिंग झारखंड’ कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि खनिज संसाधन, तकनीक, उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण को एक साझा मंच पर लाकर समन्वित प्रयास किए जाएं, तो झारखंड को आत्मनिर्भर, समृद्ध और रोजगार–समृद्ध राज्य बनाया जा सकता है।