Devshila Yatra: नेपाल जनकपुरधाम से मधुबनी पहुंची देवशिला यात्रा

नेपाल के जनकपुरधाम से अयोध्या के लिए निकली देवशिला यात्रा का सोमवार को इंडिया-नेपाल की जटही बोर्डर से बिहार के मधुबनी जिला में प्रवेश हुआ। देवशिला के दर्शन-पूजन के लिए लोग सुबह से सीमा पर पहुंचे हुए थे।

Devshila Yatra: नेपाल जनकपुरधाम से मधुबनी पहुंची देवशिला यात्रा
  • जय श्री राम की गूंज से भक्तिमय हुआ एरिया

मधुबनी। नेपाल के जनकपुरधाम से अयोध्या के लिए निकली देवशिला यात्रा का सोमवार को इंडिया-नेपाल की जटही बोर्डर से बिहार के मधुबनी जिला में प्रवेश हुआ। देवशिला के दर्शन-पूजन के लिए लोग सुबह से सीमा पर पहुंचे हुए थे।

यह भी पढ़ें:Dhanbad: रेलवे का जमीन पर चला बुलडोजर, दर्जनों मकान और दुकान हुए ध्वस्त, हिल कॉलोनी में हंगामा और विरोध
जगह-जगह तोरणद्वार बने हैं। श्रद्धालु शिला को देखते ही जय श्री राम के जयकारे करने लगे। जटही में महिला-पुरुष, बच्चे-युवा और बुजुर्गों की भीड़ बढ़ती गयी। सैकड़ों महिलाएं जगह-जगह थाली सजाकर देवशिला की पूजा करने पहुंची थी। यात्रा मार्ग में भजन-कीर्तन किया जा रहा था। यहां पहुंचे लोगों ने देवशिला का दर्शन किया।देवशिला यात्रा मधुबनी के हरलाखी प्रखंड के पिपरौन होते हुए फुलहर पहुंची। बैंगरा में भोजन की व्यवस्था करायी गयी। इसके बाद यात्रा दरभंगा के कमतौल होते हुए मुजफ्फरपुर के गायघाट में प्रवेश हो गया।  रात्रि विश्राम मुजफ्फरपुर के कांटी में हुआ। 31 जनवरी को पूर्वी चंपारण व गोपालगंज होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश होगा।
अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति के लिए नेपाल की काली गंडकी से शालिग्राम की दो देवशिलाएं लाई जा रही है। नेपाल से शालिग्राम लेकर आ रही यात्रा अयोध्या जाने के क्रम में सोमवार को देवशिला यात्रा भारत-नेपाल की जटही सीमा से मधुबनी पहुंची है। यात्रा उन स्थलों से भी गुजरेगी, जहां कभी प्रभु श्रीराम और माता जानकी के कदम पड़े थे। 
मधुबनी से गोपालगंज की सीमा तक 217 किमी में मधुबनी, दरभंगा और पूर्वी चंपारण में चार स्थल हैं। ये प्रभु श्रीराम के अयोध्या से जनकपुर धाम जाने, मिथिला भ्रमण और माता जानकी से विवाह के बाद लौटने के प्रसंग से जुड़े हैं। 30 व 31 जनवरी को इन मार्गों से होकर गुजरने वाली देवशिला यात्रा को लेकर उक्त स्थलों के लोग उत्साहित और हर्षित हैं। गायघाट से कांटी के बीच शिलायात्रा पर पुष्पवर्षा की जायेगी। रात्रि विश्राम कांटी में होगा। इसके बाद मंगलवार को यात्रा प्रस्थान कर जायेगी।