बोकारो: मौत के मुंह से चौथे दिन बाहर निकले चारों मजदूर,पर्वतपुर कोल ब्लॉक में दब गये गये थे इलिगल माइनिंग के दौरान

झारखंड के बोकारो जिले के चंदनकियारी ब्लॉक के पर्वतपुर कोल ब्लाक में इलिगल माइनिंग के दौरान चाल धंसने से दबे चारों मजदूर सुरक्षित निकल गये हैं। तिलाटांड़ गांव लक्ष्मण रजवार, रावण रजवार, भरत सिंह तथा अनादी सिंह ने स्वयं रास्ता बनाकर बाहर निकल गये। 

बोकारो: मौत के मुंह से चौथे दिन बाहर निकले चारों मजदूर,पर्वतपुर कोल ब्लॉक में दब गये गये थे इलिगल माइनिंग के दौरान

बोकारो। झारखंड के बोकारो जिले के चंदनकियारी ब्लॉक के पर्वतपुर कोल ब्लाक में इलिगल माइनिंग के दौरान चाल धंसने से दबे चारों मजदूर सुरक्षित निकल गये हैं। तिलाटांड़ गांव लक्ष्मण रजवार, रावण रजवार, भरत सिंह तथा अनादी सिंह ने स्वयं रास्ता बनाकर बाहर निकल गये। 

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किसी को उम्मीद नहीं थी कि चारों की जान बचेगी। सबने मान लिया था कि सबकी मौत हो गई। बिना किसी मदद के चौथे दिन चारों माइंस से बाहर निकल गये हैं।माइंस में दबे चारों के जिंदा बच निकलने की सूचना मिलते ही तिलाटांड गांव में मजमा लग गया। एक्स एमएलए झारखंड प्रदेश भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष अमर बाउरी भी गांव पहुंचे। चारों के बच निकलने की खुशी में गांव में पूजा-पाठ का दौर चल रहा है। 
26 नवंबर की रात से इलिगल माइंस में फंसे थे चारों मजदूर

आमलाबाद ओपी एरिया के पर्वतपुर कोल ब्लॉक में इलिगल माइनिंग के दौरान 26 नवंबर शुक्रवार को चाल धंसने के कारण चारों दब गये थे। चारों की सकुशल वापसी के बाद परिवार के लोग व पुलिस तथा प्रशासन ने राहत की सांस ली है। गांव मे जश्न का माहौल है। गांव में देवी मां की पूजा हो रही है। बताया जा रहा है कि चारों रात्रि दो बजे के बाद अपने घर पहुंचे हैं। जैसे ही उनके घर पहुंचने की सुचना मिली तो धीरे-धीरे पूरा गांव उन सभी के घर जमा हो गया। बाहर आने की सूचना पर एमएलए अमर कुमार बाउरी भी पहुंचे। सभी से मिलकर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली चारों लोगों का मेडिकल जांच करने के लिए हॉस्पीटल ले जाया जा रहा था, लेकिन ग्रामीणों ने हंगामा कर नहीं जाने दिया जिसके बाद मेडिकल टीम बैरंग लौट गई।

बीसीसीएल और एनडीआरएफ ने भी बचाने का किया था प्रयास

पर्वतपुर कोल ब्लाक के ओपन कास्ट एरिया के अंदर ये हादसा हुआ था। सभी कोयला निकालने के लिए सुरंग के रास्ते अंदर गये थे। अचानक से चाल धंस गया। चाल धंसने की सूचना जमीन पर पड़ी दरार से मिली। हालांकि शुरू में पुलिस इस बात से इंकार करती रही, लेकिन जब फंसे हुए लोगों के परिजन सामने आये तो प्रशासन भी सक्रिय हुआ सुरंग की दुरह स्थिति को देखते हुए बीसीसीएल की रेस्क्यू टीम ने हाथ खड़ा कर दिया था। एनडीआरएफ की टीम ने पहुंचकर केवल रविवार को मुआयना किया। सुरंग के अंदर सोमवार से प्रवेश करने की बात थी। तब तक चारों ने अपने हिम्मत व बुद्धि का परिचय देते हुए जान बचा लिया।
माइंस के पानी के सहारे बिता दिये तीन दिन
माइंस में फंसे मजदूरों ने तीन दिन अंदर का पानी पीकर रास्ता तलाशने का काम किया। इन लोगों ने हिम्मत नहीं हारा और लगे रहे। सामने खड़ी मौत को मात देकर बाहर निकल गये। मौत के मुंह से निकले भरत सिंह ने बताया कि शुक्रवार को सुबह नौ बजे वे लोग कोयला निकालने के लिए अंदर गये । अचानक से एक बजे चाल धंस गया। रास्ता बंद होता देख हमारी हिम्मत टूट गई और शाम तक बैठे रहे। बाहर से किसी की आवाज भी नहीं मिल रही थी। अपने पास जो भी पानी था उसका उपयोग करते हुए रात भर शांत रहे। सभी लोग शनिवार की सुबह रास्ता साफ करने का प्रयास करने लगे। काफी मेहनत के बाद भी सुरंग का रास्ता साफ नहीं हुआ। इसके बाद चारों लोगों ने यह निर्णय लिया कि यहां चाल धंस गया है। सो दूसरे रास्ते की तलाश की जाय। इसके बाद वैकल्पिक रास्ते को साफ करने के लिए सभी लग गए। हिम्मत जुटाकर रविवार का सुबह से एक-एक कर रास्ते को साफ करने लगे। अंतत: रविवार की रात से रास्ता मिलने का आसार नजर आने लगा, तो हिम्मत बढ़ा। जान बचाने की जिद के कारण भूखे-प्यासे पूरी रात मेहनत के बाद लगभग दो बजे रात में सुरंग के रास्ते पर पहुंचे और तीन बजे बाहर निकलकर घर पहुंच गये।
चार दिन टार्च की रोशनी में गुजारे
अनादी सिंह ने बताया कि जीवन की टूटती डोर के बीच हिम्मत नहीं हारे। आज अपने परिवार के साथ हैं। हादसा होने के बाद हम लोगों ने यह निर्णय लिया कि अपने पास चार टार्च है। उसमें से एक का ही उपयोग करना है। ताकि बैट्री बची रहे। जब तक रोशनी है तब तक काम हो सकेगा। इसके लिए एक-एक कर रास्ते को खोजने का काम किया । वहीं रावण रजवार व लक्ष्मण रजवार का कहना है कि रोजगार नहीं मिला रहा है। उनके घर के पास कोल ब्लाक है। चालू रहता तो इस प्रकार जान जोखिम में डालकर काम करने की कोई जरूरत नहीं है। बाहर में काम नहीं है। इलिगल माइनिंग में जीवन का खतरा है। पर परिवार को पालना है तो सबकुछ करना पड़ेगा।

बीसीसीएल का है पर्वतपुर कोल ब्लाक

पर्वतपुर कोल ब्लाक बीसीसीएल के धीन है।फिलहाल इसमें माइनिंग कार्य नहीं होता। इसका फायदा इलिगल कोल कारोबार करने वाले उठाते हैं। लोकल मजदूरों से इलिगल माइनिंग करवाते हैं।