Bihar Elections 2025: सूरजभान सिंह राजद में शामिल, मोकामा में अनंत सिंह के खिलाफ वीणा देवी लड़ेगी!
सूरजभान सिंह ने राजद जॉइन की, तेजस्वी यादव ने किया स्वागत। अब मोकामा सीट से उनकी पत्नी वीणा देवी अनंत सिंह के खिलाफ उतर सकती हैं। 25 साल बाद मोकामा में दो बाहुबली परिवार आमने-सामने।

पटना। राजनीति के अखाड़े मोकामा में एक बार फिर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह पार्टी से इस्तीफा देकर अब लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में शामिल हो गए हैं। देर रात तेजस्वी यादव ने सूरजभान सिंह को पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल कराया।
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सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव मोकामा विधानसभा सीट से सूरजभान सिंह की पत्नी और पूर्व सांसद वीणा देवी को टिकट दे सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो मोकामा की राजनीति में 25 साल बाद एक बार फिर सूरजभान बनाम अनंत सिंह परिवार का “महा-मुकाबला” देखने को मिलेगा।
मोकामा में 25 साल बाद पुराना दुश्मनाना मुकाबला!
साल 2000 में जब सूरजभान सिंह पहली बार मोकामा से विधायक बने थे, तब उन्होंने राजद के वरिष्ठ नेता और अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को भारी मतों से हराया था। अब इतिहास खुद को दोहराने की तैयारी में है — इस बार मुकाबला होगा सूरजभान परिवार की वीणा देवी और बाहुबली नेता अनंत सिंह के बीच।
सूरजभान का राजनीतिक परिवार
सूरजभान सिंह का परिवार बिहार की राजनीति में काफी प्रभावशाली माना जाता है।
सूरजभान सिंह: 2004 में बेगूसराय जिले की बलिया लोकसभा सीट से रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के टिकट पर सांसद बने।
पत्नी वीणा देवी: 2014 में मुंगेर लोकसभा सीट से लोजपा सांसद रहीं।
भाई चंदन सिंह: 2019 में नवादा सीट से लोजपा के टिकट पर सांसद बने।
हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस की पार्टी में आंतरिक संकट के कारण सूरजभान परिवार का कोई सदस्य मैदान में नहीं उतर पाया था।
अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी भी सक्रिय
दूसरी ओर, मोकामा सीट पर बाहुबली नेता अनंत सिंह लगातार पांच बार विधायक रहे हैं, जबकि उनकी पत्नी नीलम देवी 2022 के उपचुनाव में राजद के टिकट पर जीत हासिल कर चुकी हैं। लेकिन 2024 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए में वापसी की, तो नीलम देवी ने भी विधानसभा में सत्ता पक्ष का समर्थन कर दिया था।अब जब अनंत सिंह जेडीयू के टिकट पर फिर से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं, तो राजद की ओर से वीणा देवी का उतरना मुकाबले को बेहद दिलचस्प बना देगा।
कौन पड़ेगा भारी?
मोकामा में जातीय समीकरण और पुराने गठजोड़ दोनों ही अहम भूमिका निभाएंगे। अनंत सिंह का दबदबा अभी भी इलाके में कायम है। लेकिन तेजस्वी यादव की रणनीति और सूरजभान परिवार का अनुभव इस बार समीकरण बदल सकता है। 25 साल बाद मोकामा में दो बाहुबली परिवारों के बीच होने वाली सीधी भिड़ंत बिहार की राजनीति में नया अध्याय लिख सकती है। सूरजभान सिंह ने साल 2000 में मोकामा में निर्दलीय चुनाव जीतकर बाहुबली अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह को हराया था।