बांग्लादेश में भूचाल: शेख हसीना को फांसी की सजा, कोर्ट के सख्त फैसले से भड़का देश
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में मौत की सजा। कोर्ट के फैसले के बाद देश में हिंसा, चुनावों में खून-खराबे की आशंका।
चुनावों पर मंडराया खून-खराबे का खतरा!
ढाका। बांग्लादेश की राजनीति में तूफान खड़ा करते हुए अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनायी है। यह फैसला उन मामलों पर आधारित है, जिनमें उन पर बड़े पैमाने पर हिंसा भड़काने, छात्रों की हत्या करवाने और विपक्षी नेताओं को गायब कराने के आरोप लगे थे।
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कोर्ट ने पूर्व पीएम के अलावा बांग्लादेश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल के खिलाफ भी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। फैसले के बाद पूरे बांग्लादेश में तनाव चरम पर पहुंच गया है। राजधानी ढाका से लेकर कई जिलों में कॉकटेल ब्लास्ट, आगजनी, तोड़फोड़ और हमलों की खबरें लगातार आ रही हैं। आगामी चुनावों में बड़े पैमाने पर खून-खराबे की आशंका जताई जा रही है।
ICT कोर्ट ने क्या कहा?
तीन जजों की स्पेशल बेंच, जिसकी अगुवाई जस्टिस मोहम्मद गोलाम मजूमदार कर रहे थे, ने कहा:
शेख हसीना ने छात्रों के शांतिपूर्ण विरोध को हिंसा में बदलने में अहम भूमिका निभाई
भारी प्रदर्शन के दौरान उन्होंने छात्रों को ‘रजाकार’ कहकर उकसाया
बाद में उन्होंने अपने समर्थक संगठनों—छात्र लीग, युवा लीग—को छात्रों पर हमला करने की अनुमति दी
5 अगस्त को चंखारपुल में 6 प्रदर्शनकारियों की हत्या को ‘सिस्टमेटिक क्राइम’ माना गया
15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच हुई हिंसा में 1400 लोगों की मौत और हजारों घायल हुए
कोर्ट ने हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भगोड़ा घोषित किया
इसके साथ ही पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल को भी समान रूप से दोषी ठहराया गया है।
शेख हसीना के खिलाफ 5 सबसे गंभीर आरोप
1. विपक्षी नेताओं को गायब करवाना
ICT में दर्ज मुकदमे के अनुसार, उनके शासनकाल में कई महत्वपूर्ण विपक्षी नेता रहस्यमयी तरीके से गायब कर दिए गए।
2. छात्रों की सामूहिक हत्या का आदेश
12 मई 2025 को दर्ज रिपोर्ट में दावा—
"हसीना ने ही हिंसा रोकने के नाम पर छात्रों पर गोली चलाने का निर्देश दिया।"
इससे हिंसा अनियंत्रित हो गई।
3. बेगम रोकैया विश्वविद्यालय के छात्र अबू सईद की हत्या
बिना किसी उकसावे के अबू सईद को कथित तौर पर उनके आदेश पर मारा गया।
4. ढाका के चंखरपुल में 6 लोगों की गोली मारकर हत्या
यह घटना ICT के फैसले की मुख्य वजह रही।
5. अशुलिया में 5 लोगों को गोली मारकर शव जलाना
कोर्ट ने इसे ‘क्रूरता की पराकाष्ठा’ बताया। एक प्रदर्शनकारी को जिंदा जलाने की बात भी आयी थी।
ढाका में हालात बिगड़े—कॉकटेल ब्लास्ट, बसों में आग
फैसले के बाद बांग्लादेश में हिंसा ने विकराल रूप ले लिया है। रविवार रात ढाका में: सेंट्रल रोड पर मंत्री की सलाहकार के घर के सामने 2 कॉकटेल ब्लास्ट, बांग्ला मोटर क्षेत्र में धमाका, तितुमिर कॉलेज और अमताली चौराहे के पास कई विस्फोट, बसों को आग के हवाले किया गया, ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमिश्नर ने हिंसा रोकने के लिए देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए हैं।
चुनावों में खून-खराबे की आशंका — समर्थकों की खुली धमकी
अवामी लीग के समर्थकों ने चेतावनी दी है कि अगर पार्टी पर प्रतिबंध हटाया नहीं गया, तो: राष्ट्रीय चुनाव नहीं होने देंगे, देशभर में बड़े आंदोलन करेंगे, “17 करोड़ की आबादी वाले देश को हिला देंगे”, हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने कहा कि उनकी मां लगातार नेताओं के संपर्क में हैं और समर्थक “बेहद गुस्से में” हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने फांसी की सजा का विरोध किया
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा— “हम किसी भी परिस्थिति में मृत्युदंड के खिलाफ हैं।” लेकिन पीड़ित परिवारों का कहना है—
“उन्हें तुरंत फांसी दी जाए।”
भारत–बांग्लादेश संबंधों में तनाव
हसीना पांच अगस्त 2024 को देश छोड़ भारत आ गई थीं। बांग्लादेश लगातार भारत से उनका प्रत्यर्पण मांग रहा है। भारत ने जवाब दिया है कि वह बांग्लादेशी जनता के हितों के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन हसीना के प्रत्यर्पण पर चुप्पी बनाए हुए है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक हसीना भारत में रहेंगी, दोनों देशों के संबंधों में खटास बनी रहेगी।
क्या बीएनपी सत्ता में वापसी करेगी?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो फरवरी में होने वाले चुनावों में अवामी लीग के प्रतिबंधित होने के कारण: बीएनपी की वापसी लगभग तय मानी जा रही है। देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली पर नजरें टिक गई हैं। फिलहाल बांग्लादेश एक अभूतपूर्व राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है।
बंग्लादेश हिंसा में 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच 1400 लोगों की गयी थी जान
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल हुई बांग्लादेश हिंसा में 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच 1400 लोगों की जान गई थी और हजारों लोग घायल हुए थे। वहीं, बांग्लादेश में हालात बेकाबू होने के बाद शेख हसीना ने पांच अगस्त 2024 को देश छोड़ दिया था। तत्कालीन गृह मंत्री कमाल भी देश से भाग निकले थे। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पिछले एक साल से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की गुहार लगा रही है, लेकिन भारत ने अभी तक इसपर कोई जवाब नहीं दिया है।






