बांग्लादेश : ढाका में इस्कॉन मंदिर पर हमला, तोड़फोड़ और लूटपाट

बांग्लादेश में 200 कट्टरपंथियों की भीड़ ने गुरुवार शाम ढाका के इस्कॉन राधाकांता मंदिर पर हमला कर तोड़फोड़ और लूटपाट की। भीड़ यहां रखी कीमती वस्तुओं को भी लूट ले गई। इस हमले में हमले में सुमंत्रा चंद्र श्रवण, निहार हल्दार, राजीव भद्र और अन्य कई लोग भी जख्मी हुए हैं। हमलावरों की भीड़ की अगुआई हाजी शफीउल्लाह कर रहा था।

बांग्लादेश : ढाका में इस्कॉन मंदिर पर हमला, तोड़फोड़ और लूटपाट
  • इस्कॉन चीफ बोले- चुप क्यों है संयुक्त राष्ट्र?
ढाका। बांग्लादेश में 200 कट्टरपंथियों की भीड़ ने गुरुवार शाम ढाका के इस्कॉन राधाकांता मंदिर पर हमला कर तोड़फोड़ और लूटपाट की। भीड़ यहां रखी कीमती वस्तुओं को भी लूट ले गई। इस हमले में हमले में सुमंत्रा चंद्र श्रवण, निहार हल्दार, राजीव भद्र और अन्य कई लोग भी जख्मी हुए हैं। हमलावरों की भीड़ की अगुआई हाजी शफीउल्लाह कर रहा था।

बताया जा रहा है कि ढाका के वारी में 222 लाल मोहन साहा स्ट्रीट में स्थित इस्कॉन राधाकांता मंदिर में शाम सात बजे ये हमला हुआ। हाजी सैफुल्लाह की अगुआई में 200 से ज्यादा लोगों की भीड़ द्वारा मंदिर में हमला कर तोड़फोड़ और लूट की गई। श्रद्धालु गौर पूर्णिमा उत्सव की तैयारी कर रहे थे। 200 लोगों की भीड़ ने श्री राधाकांत मंदिर, ढाका के परिसर में प्रवेश कर उन पर हमला किया। उनमें से तीन हाथापाई में घायल हो गये।  उन्होंने पुलिस को बुलाया और बदमाशों को भगाने में सफल रहे।

UN अब चुप क्यों

बांग्लादेश के ढाका में इस्कॉन राधाकांत मंदिर पर हमले पर इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा कि ये हमले गंभीर चिंता का विषय हैं। हम बांग्लादेश सरकार से सख्त कार्रवाई करने और देश में हिंदू अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध करते हैं। इस्कॉन इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट राधारमण दास ने ट्विटर पर लिखा कि डोल यात्रा और होली समारोह की पूर्व संध्या पर यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। उन्होंने लिखा, "हमें आश्चर्य है कि संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी और पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की पीड़ा पर चुप्पी साधे हुए है। इतने सारे हिंदू अल्पसंख्यकों ने अपनी जान, संपत्ति खो दी है, लेकिन अफसोस है कि संयुक्त राष्ट्र चुप है। राधारमण दास ने लिखा कि कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए 15 मार्च को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया। आश्चर्य है कि वही संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी और पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की पीड़ा के प्रति मौन है। उन्होंने ये भी लिखा कि द कश्मीर फाइल्स ने हिन्दुओं को जगाया है, फिर से मत सोना।
पिछले साल नवरात्रि में दुर्गा पूजा पंडालों पर हुए थे हमले
बांग्लादेश में पिछले साल नवरात्रि पर हिंदुओं के खिलाफ अफवाह फैलाकर दुर्गा पूजा पंडालों पर हमले किए गए थे। हिंदुओं के घरों पर हमले किये गये थे। दुर्गा पूजा के दौरान चांदपुर जिले में भीड़ ने हिंदू मंदिर पर हमला कर दिया था। इस दौरान तीन लोगों की गोली मारकर मर्डर कर दी गई थी। इसके बाद बांग्लादेश हिंदू यूनिटी काउंसिल ने पीएम शेख हसीना से हिंदुओं को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की थी।
बांग्लादेश में पहले भी हो चुके हैं हिंदू मंदिरों पर हमले
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले का पुराना इतिहास है। भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले ही 29 अक्टूबर 1990 को बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी राजनीतिक संगठन ने बाबरी मस्जिद को गिराये जाने की अफवाह फैला दी थी। इसके चलते 30 अक्टूबर को हिंसा भड़क गई थी, जो दो नवंबर 1990 तक जारी रही थी। इस हिंसा में कई हिंदू मारे गये थे।