Niraj Singh Murder Case Dhanbad: एक्स एमएलए संजीव सिंह को बरी किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील
धनबाद की राजनीति में एक बार फिर ‘सिंह मैंशन बनाम रघुकुल’ की जंग छिड़ गयी है। नीरज सिंह हत्याकांड में बरी हुए झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गयी हैं। जानिए कौन-कौन पहुंचे अदालत और अब क्या होगा अगला कदम।
- धनबाद की सबसे बड़ी रायबलरी फिर कोर्ट में
धनबाद। कोयलांचल की सियासत में फिर एक बार पुराने घाव हरे हो गये हैं। झरिया के एक्स एमएलए संजीव सिंह को निचली अदालत द्वारा नीरज सिंह हत्याकांड में बरी किये जाने के फैसले को अब झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है।
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29 अक्टूबर 2025 को तीन अपील याचिकाएं दाखिल की गयी — जिनसे सिंह मैंशन और रघुकुल के बीच वर्षों पुरानी प्रतिद्वंद्विता एक बार फिर कानूनी मोड़ पर पहुंच गयी है। तीन पक्षों ने दायर की अपील — अभिषेक सिंह, मीना देवी और इंदु देवी। इन अपीलों को मृतक नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह, मृतक ड्राइवर घोलटू महतो की पत्नी मीना देवी, और मृतक अशोक यादव की पत्नी इंदु देवी ने दायर किया है।
फिलहाल ये सभी अपीलें “अनरजिस्टर्ड केस” की सूची में हैं, लेकिन इनके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है।
निचली अदालत ने सभी आरोपियों को किया था बरी
27 अगस्त 2025 को धनबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दुर्गेश चंद्र अवस्थी ने संजीव सिंह समेत 10 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। पीड़ित पक्ष ने अब झारखंड सरकार, संजीव सिंह, जैनेंद्र कुमार सिंह उर्फ पिंटू सिंह, रणधीर धनंजय कुमार उर्फ धनजी सिंह, संजय सिंह, डबलू मिश्रा, पंकज सिंह, कुर्बान अली, सागर सिंह और रोहित सिंह को प्रतिवादी बनाया है।
‘निचली अदालत ने अभियोजन के साक्ष्य को नज़रअंदाज़ किया’
मीना देवी की ओर से अधिवक्ता शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि अपील में यह आरोप लगाया गया है कि निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों की अनदेखी की, जबकि बचाव पक्ष के तर्कों को गलत तरीके से प्राथमिकता दी।उन्होंने बताया कि अदालत ने उन तस्वीरों और भौतिक साक्ष्यों को दरकिनार कर दिया जो घटना के प्रमाण के रूप में पेश किये गये थे।
2017 में हुई थी नीरज सिंह की हत्या
धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या 2017 में सरायढेला थाना क्षेत्र में कर दी गई थी।
जब वे अपने घर लौट रहे थे, तभी घात लगाकर बैठे हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी।
इस हमले में नीरज सिंह, उनके चालक घोलटू महतो और दो सहयोगियों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
वारदात के बाद संजीव सिंह ने खुद पुलिस के सामने सरेंडर किया था।
संजीव सिंह की रिहाई पर रघुकुल का पलटवार
लगभग आठ साल पांच माह जेल में रहने के बाद संजीव सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी और निचली अदालत ने बरी कर दिया था। अब उनके खिलाफ फिर अभिषेक सिंह की अगुवाई में रघुकुल मैदान में उतर चुका है। अभिषेक सिंह ने कहा — “हमें उम्मीद है कि झारखंड हाईकोर्ट से न्याय मिलेगा। नीरज सिंह और उनके साथियों के लिए हम आखिरी सांस तक कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।”
राजनीति और कोर्ट दोनों में जारी है संघर्ष
धनबाद में सिंह मैंशन (सूरजदेव सिंह परिवार) और रघुकुल (नीरज सिंह परिवार) के बीच सियासी वर्चस्व की जंग दशकों पुरानी है। एक ओर संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह झरिया की विधायक हैं, तो दूसरी ओर पूर्णिमा नीरज सिंह पहले ही विधायक रह चुकी हैं। अब यह विवाद एक बार फिर अदालत की चौखट पर पहुंच गया है — जिससे धनबाद की राजनीति में हलचल तेज हो गयी है।
निष्कर्ष
धनबाद की सबसे चर्चित राजनीतिक और पारिवारिक जंग एक बार फिर अदालत के गलियारों में पहुंच गई है। अब सबकी नजरें झारखंड हाईकोर्ट पर हैं, जहां आने वाले दिनों में यह तय होगा कि निचली अदालत का फैसला कायम रहेगा या केस दोबारा खुलेगा।
21 मार्च 2017 को हुई थी नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर
धनबाद के एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों को सरायढेला स्टील गेट के समीप वर्ष 2017 की 21 मार्च की शाम गोलियों से भून दिया गया था। एक्स डिप्टी मेयर सह कांग्रेस लीडर नीरज सिंह अपनी फॉर्च्यूनर (जेएच10एआर-4500) से झरिया से सरायढेला स्थित अपने आवास रघुकुल लौट रहे थे। नीरज गाड़ी में ड्राईवर के साथ आगे की सीट पर बैठे थे। पीछे की सीट पर उनके सहायक सरायढेला न्यू कालोनी निवासी अशोक यादव और प्राइवेट बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी बैठे थे। स्टील गेट के पास बने स्पीड ब्रेकर पर नीरज की फॉर्च्यूनर की स्पीड कम होते ही दो बाइक पर सवार हमलावरों ने उनकी चारों तरफ से घेर फायरिंग करनी शुरु कर दिया । चारों तरफ से अत्याधुनिक आर्म्स से 50 से अधिक राउंड फायरिंग की गयी थी। नीरज सिंह समेत अशोक यादव, मुन्ना तिवारी और ड्राइवर घोलटू महतो की भी मौके पर ही मौत हो गयी थी। फॉर्च्यूनर सवार एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह को निशाना बनाकर 70 से अधिक गोलियां चली थीं। नीरज सिंह बॉडी से 17 गोलियां निकाली गयी थीं, जबकि 36 जख्म के निशान मिले थे।
नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह उर्फ गुड्डू सिंह की लिखित कंपलेन पर मामले में संजीव सिंह, मनीष सिंह, पिंटू सिंह, महंथ पांडेय व गया सिंह के खिलाफ सरायढेला पुलिस स्टेशन में कांड संख्या 48/2017 के तहत एफआइआर दर्ज की गयी थी। नीरज के चचेरे भाई झरिया के तत्कालीन एमएलए संजीव सिंह ने 11 अप्रैल 2017 को सरायढेला पुलिस स्टेशन में सरेंडर किया था। पुलिस इस मामले 11 अप्रैल को नीरज के चचेरे भाई झरिया के तत्कालीन एमएलए संजीव सिंह, राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि, रणधीर धनंजय सिंह उर्फ धनजी, संजय सिंह व जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह को जेल भेजा था। बाद में घनुडीह निवासी बिनोद सिंह को भी अरेस्ट कर जेल भेजा गया। इसके बाद यूपी पुलिस ने इस मर्डर में शामिल शूटरों उत्तर प्रदेश के शूटर सोनू उर्फ कुर्बान अली, विजय उर्फ शिबू उर्फ सागर सिंह,अमन सिंह, रिंकू सिंह, सतीश सिंह व पंकज सिंह को बारी-बारी से अरेस्ट कर धनबाद पुलिस को सौंपी थी। ये सभी झारखंड के अलग-अलग जेलों में बंद है।धनबाद जेल में तीन दिसंबर 2023 को गैंगस्टर अमन सिंह की मर्डर कर दी गयी थी।
राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि के पकड़े जाने के बाद मिले अहम सुराग
नीरज मर्डर केस में पुलिस को राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि की गिरफ्तारी के बाद अहम सुराग हाथ लगे थे। डब्ल्यू पर यूपी से आये शूटरों को किराये का मकान दिलाकर ठहराने का आरोप है।पुलिस ने नीरज सिंह मर्डर केस में पहले राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि, रणधीर धनंजय सिंह उर्फ धनजी ( संजीव सिंह का प्राइवेट बॉडीगार्ड), संजय सिंह ( स्वर्गीय रंजय सिंह का भाई व एमएलए संजीव के अनुसेवक) व जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह ( सिंह मैंशन के करीबी) को अरेस्ट कर जेल भेजी। बेल होने से पहले तक संजीव सिह रांची के रिनपास में इलाजरत थे।
केस के अहम कड़ी संतोष सिंह उर्फ नामवर का पता नहीं लगा पायी पुलिस
पुलिस अभी तक इस केस की अहम कड़ी संतोष सिंह उर्फ नामवर का पता नहीं लगा पायी है। पुलिस के पास संतोष सिंह उर्फ नामवर की फोटो तक नहीं है। हालांकि इस केस में नामवर नाम पंकज सिंह के साथ शूटरों को लाने में शामिल था। संतोष उर्फ नामवर की तलाश में पुलिस बिहार व यूपी में कई बार दबिश दे चुकी है। बलिया व कैमूर के चक्कर लगा चुकी है। लेकिन पुलिस को संतोष नहीं मिला। पुलिस की जांच में पता चला था पंकज सिंह के आदेश पर संतोष ने सारे शूटरों को लाइनअप किया था। संतोष पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। उसके बाद आज तक पुलिस उसे ढूंढ नहीं पायी है।






