बिहार: मुजफ्फरपुर केजरीवाल हॉस्पीटल के कर्मचारियों ने AES पेसेंट के परिजनों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा,मीडियाकर्मियों पर हमला, पिटाई कर कैमरे छीने

मुजफ्फरपुर: .एईएस (AES) से पीड़ित पेसेंट को दूसरी बीमारी बताकर इलाज करने का का विरोध करने पर केजरीवाल हॉस्पीटल के गार्ड व कर्मचारियों ने बुधवार को पेसेंट के परिजनों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा.हॉस्पीटल का मेन गेट समेत अन्य गेट बंद कर दिया गया और कैंपस में मौजूद पेसेंट के परिजनों की लाठी-डंडों से पिटाई की गयी. कईयों को गार्ड रूम में भी बंद कर पिटाई की गयी. रिपोर्टिंह करने गये मीडियाकर्मियों को भी हॉस्पीटल के गार्ड व स्टाफ ने जमकर पिटाई की, कैमरे तोड़ दिये व छीन लिये.पिटाई के साक्ष्य कैमरे से डिलीट कर दिये. पलिस की मौजूदगी में हॉस्पीटल के गार्ड व स्टाफ लगभग आधे घंटे तक कैंप में उत्पात मचाते रहे. महिलाओं व बच्चों को भी पीटा गया.मुजफ्फरपुर एसएसपी मनोज कुमार ने कहा है कि मामला गंभीर एवं संवेदनशील है. मामले में विधि सम्मत कार्रवाई शुरू कर दी गई है.सीसीटीवी में घटना के सबूत कैद हैं. दोषी बख्शे नहीं जायेंगे. मारपीट के दौरान केजरीवाल हॉस्पीटल में अफरातफरी मच गयी. पेसेंट के व उनके परिजनों ने इधर-उधर छुप कर जान बचायी. गार्ड व स्टाफ ने बचने के लिए छुपे पेसेंट के परिजनों को भी बाहर लाकर बुरी तरह पिटाई की. सिटी एसपी नीरज कुमार व टाउन डीएसपी मुकुल कुमार रंजन सूचना पाकर हॉस्पीटल पहुंचे व मामले की जांच की. डीएम आलोक रंजन घोष ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए अपर समाहर्ता, आपदा अतुल कुमार वर्मा व बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक उदय कुमार झा को जांच के लिए हॉस्पीटल भेजा. दोनों अफसरों ने हॉस्पीटल पहुंचकर मामले की जांच की. सीसीटीवी फुटेज में हॉस्पीटल के स्टाफ व गार्डों की गुंडागर्दी के पुख्ता साक्ष्य मिले हैं. गार्ड रूम में लाठी व लोहे के रड मिले मौके पर पहुंची को जरीवाल हॉस्पीटल के गार्ड रूम से काफी संख्या में लाठियां व लोहे के रड मिले हैं. बताया जाता है कि इसी से पेसेंट के परिजनों की पिटाई की गयी. पेसेंट के परिजनों ने पुलिस को बताया कि गार्ड व स्टाफ उनलोगों को अक्सर लाठियों का भय दिखाते रहते हैं. किसी तरह की कंपलेन करने पर भी चुप रहने की हिदायत दी जाती है. तुप नहीं रहने पर पिटाई की धमकी देते हैं. सीसीटीवी फुटेज में गार्ड व हॉस्पीटल स्टाफ की गुंडागर्दी दिखी मारपीट की पूरी घटना हॉस्पीटल में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में कैद हुआ है. फुटेज में हॉस्पीटल के गार्ड व स्टाफ लाठियों से कैंपस में मौजूद लोगों की की बेरहमी से पिटाई करते दिख रहे हैं. कैंपस में मौजूद हॉस्पीटल के स्टाफ मारपीट में एक दूसरे के सहयोग करते भी नजर आ रहे हैं. मारपीट के दौरान कैंपस से कोई निकल नहीं पाये इसके हॉस्पीटल का मुख्य व बगल के गेट को बंद कर उसमें ताला लगाते गार्ड दिख रहा है. फुटेज में दिख रहा है कि हॉस्पीटल के कमरे में भी घुसकर पिटाई की गयी है. पुलिस इस फुटेज की जांच कर रही है. अस्पताल प्रबंधन करता रहा बचाव पुलिस के पहुंचने पर पहले हॉस्पीटल मैनेजमेंट मैारपीट व गुंडागर्दी करने वाले स्टाफ का बचाव करता रहा. सारा दोष पेसेंट के परिजनों पर मढ़ा जा रहा था. पुलिस व प्रशासनिक अफसरों के सामने सीसीटीवी के फुटेज देखा गया तो पोल खुल गयी. फुटेज देख पुलिस की मौजूदगी में हॉस्पीटल मैनेजमेंट ने दोषी स्टाफ व गार्ड के खिलाफ कार्रवाई की बात कह मामले में अपनी बचाव करने लगा. क्या है मामला कुढनी ब्लॉक के सुमेरा गांव निवासी प्रेम पासवान 21 जून की रात 10.24 बजे अपने डेढ़ साल के बेटे पियूष राज को केजरीवाल हॉस्पीटल में एडमिट कराया. परिजनों का कहना था कि पीयूष में एईएस के लक्षण दिखाई दे रहे थे. हॉस्पीटल के डॉक्टर व स्टाफ सौदेबाजी लगे कि इलाज में ज्यादा खर्च होगा. परिजनों ने लाचारी दिखाई तो डॉक्टरों ने पेसेंट में खून की कमी व संक्रमण का मरीज बताते हुए इलाज शुरु दी. परिजनों ने कहा कि पेसेंट में एईएस के लक्षण हैं. परिजनों ने गलत इलाज का विरोध किया लेकिन उनकी नहीं सुनी गयी. बच्चे की मंगलवार की सुबह करीब 9 बजे मौत हो गयी. परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन को एईएस से मौत का प्रमाण पत्र बनाने को कहा. आरोप है कि हॉस्पीटल के स्टाफ प्रमाण-पत्र बनाने के लिए परिजनों से सौदेबाजी करने लगे. परिजनों ने इसके लिए पैसे देने से इनकार किया तोधमकी देकर भगा दिया गया. सूचना पाकर बाद में मेरा गांव के कई लोग पहुंचे व बच्चे की मौत की प्रमाण पत्र देने को कहा. इससे विवाद शुरू हो गया. गाव के लोगों ने हॉस्पीटल में हंगामा शुरू कर दिया. ब्रह्मपुरा पुलिस स्टेशन की पुलिस हॉस्पीटल में पहुंच हंगामा शांत करायी. आरप है कि पेसेंट के परिजन व गांव के लोग जाने लगे तो हॉस्पीटल के गार्ड ने गेट बंद कर दिया. गार्ड व स्टाफ ने गाव के लोगों व पेसेंट के परिजनों पर हमला कर लाठी-डंडे से पिटाई करने लगे.हॉस्पीटल मैनेजमेंट का का दावा था कि मृत बच्चा एईएस से पीडि़त नहीं था. परिजन दबाव देकर इसका प्रमाण पत्र मांग रहे थे, ताकि उन्हें सरकार से चार लाख रुपये मुआवजा मिल जाये. हॉस्पीटल स्टाफ ने जब इस तरह के प्रमाण पत्र देने में असमर्थता दिखाई तो हंगामा व तोडफ़ोड़ करने लगे.