उत्तर प्रदेश: BSP एमपी अतुल राय पुलिस पर हमले के केस में बरी, वाराणसी की कोर्ट ने सुनाया फैसला

घोसी लोकसभा से बीएसपी एमपी अतुल राय सहित 16 लोगों को गुरुवार को पुलिस पर जानलेवा हमले से संबंधित 11 साल पुराने मामले में वाराणसी की कोर्ट ने बरी कर दिया। यह फैसला वाराणसी के स्पेशल जज (MP-MLA कोर्ट) सियाराम चौरसिया की कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए ने दिया है। 

उत्तर प्रदेश: BSP एमपी अतुल राय पुलिस पर हमले के केस में बरी, वाराणसी की कोर्ट ने सुनाया फैसला
  • तीन साल पांच माह से जेल बंद हैं घोसी के एमपी

वाराणसी। घोसी लोकसभा से बीएसपी एमपी अतुल राय सहित 16 लोगों को गुरुवार को पुलिस पर जानलेवा हमले से संबंधित 11 साल पुराने मामले में वाराणसी की कोर्ट ने बरी कर दिया। यह फैसला वाराणसी के स्पेशल जज (MP-MLA कोर्ट) सियाराम चौरसिया की कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए ने दिया है। 

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अतुल राय एमपी चुने जाने के बाद तीन साल पांच महीने से जेल में बंद हैं। फिलहाल, वह प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन्होंने 22 जून 2019 को वाराणसी की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सरेंडर किया था। तभी से जेल में बंद हैं।
2011 में दर्ज हुआ था मुकदमा
एमपी अतुल राय के एडवोकेट अनुज यादव ने बताया कि 27 अगस्त 2011 को तत्कालीन कैंट इंस्पेक्टर सुनील वर्मा पेट्रोलिंग कर रहे थे। दर्ज मुकदमे के अनुसार आरोप था कि भक्ति नगर तिराहे के समीप पुलिस बल के द्वारा रोकने पर तीन बाइक सवार और एक जीप सवार क्रिमिनलों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी। पुलिस ने सात क्रिमिनलों को पकड़ कर उनके पास से असलहे और कारतूस बरामद किया था। पकड़े गये आरोपियों ने पूछताछ में बताया था कि उनका गैंग लीडर जेल में बंद अभिषेक सिंह उर्फ हनी है। सभी लोग हनी, श्रीप्रकाश मिश्रा उर्फ झुन्ना पंडित, अतुल राय, सुजीत सिंह बेलवा और अजय उर्फ विजय से बातचीत करके एक ज्वेलरी बिजनसमैन को लूटने जा रहे थे। इस मुकदमे में एमपी अतुल राय और 20 अन्य लोग आरोपी थे। कोर्ट ने एमपी अतुल राय सहित 16 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए दोष मुक्त कर दिया है। एक आरोपी की मौत हो गई है। तीन आरोपियों की पत्रावली अलग कर दी गई है। कोर्ट में एमपी अतुल राय की ओर से एडवोकेट अनुज यादव, दिलीप श्रीवास्तव, विनीत सिंह और विकास सिंह ने पक्ष रखा।
तीन महीने में चार मुकदमों से हुए बरी
एमपी अतुल राय के खिलाफ एक मई 2019 को वाराणसी के लंका पुलिस स्टेशन में रेप सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज हो चुका था। नतीजतन, 22 जून 2019 को वाराणसी की कोर्ट में सरेंडर कर जेल जाना पड़ा। हालांकि अतुल अब इस मुकदमे से बरी हो चुके हैं। वह पिछले तीन महीने में रेप, सिपाही पर जानलेवा हमला, गैंगस्टर एक्ट और पुलिस पर जानलेवा हमले के आरोप में दर्ज चार मुकदमों से बरी हुए हैं। इसके बावजूद जेल की सलाखों के पीछे से बाहर आने की उनकी राह आसान नहीं दिखाई दे रही है।

एडवोकेट अनुज यादव ने बताया कि उनके मुवक्किल अतुल राय पर कुल 23 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से 10 में से वह बरी हो चुके हैं। अन्य का ट्रायल चल रहा है।जेल से बाहर आने के लिए अतुल राय को लंका पुलिस स्टेशन के दो मुकदमों और हजरतगंज पुलिस स्टेशन के एक मुकदमे में बेल चाहिए। एडवोकेट ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हम लगातार प्रयासरत हैं कि एमपी अतुल राय सलाखों के पीछे से बाहर आएं।