बिहार चुनाव में महागठबंधन पर संकट! झामुमो ने तोड़ी तालमेल की डोर, झारखंड में भी ‘रिव्यू’ से मचा सियासी भूचाल
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कांग्रेस-राजद गठबंधन से किनारा कर लिया है। झामुमो अब छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगा और झारखंड में गठबंधन की समीक्षा की चेतावनी से कांग्रेस-राजद में मची हलचल।

पटना/रांची।बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में दरार गहराती जा रही है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कांग्रेस और राजद से नाराज़ होकर गठबंधन से अलग राह पकड़ ली है। झामुमो अब बिहार की छह सीटों — चकाई, धमदाहा, कटोरिया (एसटी), मनिहारी (एसटी), जमुई और पीरपैंती — पर अपने उम्मीदवार उतारेगा।
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झामुमो ने कहा कि राजद और कांग्रेस से बार-बार संपर्क करने के बावजूद कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, इसलिए मजबूरन पार्टी को यह फैसला लेना पड़ा। झामुमो का यह कदम न केवल बिहार बल्कि झारखंड की राजनीति पर भी असर डाल सकता है।
गठबंधन की समीक्षा का संकेत
झामुमो ने साफ कहा है कि बिहार चुनाव खत्म होने के बाद झारखंड में कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन की समीक्षा की जायेगी। यह बयान कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि झारखंड में कांग्रेस सत्ता में हिस्सेदार है और चार मंत्री उसके कोटे से हैं। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “झामुमो के तल्ख तेवर से आलाकमान तक संदेश गया है। अगर यह समीकरण झारखंड में बिगड़ता है, तो सत्ता पर असर पड़ सकता है।”
बिहार में भी ‘दोस्ताना मुकाबला’ बना दर्द
बिहार में कांग्रेस और राजद पहले से ही कई सीटों पर आमने-सामने हैं। अब झामुमो का अकेले उतरना महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर रहा है। पटना में सीटों के बंटवारे को लेकर भी भारी असंतोष है। कांग्रेस के कई नेता खुले तौर पर नाराज़गी जता रहे हैं। भाकपा और राजद ने भी कांग्रेस की सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिससे महागठबंधन की स्थिति और कमजोर होती दिख रही है।
सियासी समीकरण में हलचल
झारखंड में हेमंत सोरेन अगर गठबंधन पर पुनर्विचार करते हैं, तो यह झामुमो के स्वतंत्र विस्तार की दिशा में बड़ा कदम होगा। कांग्रेस और राजद दोनों के भीतर इस समय स्थिति ‘समीक्षा’ और ‘संभावना’ के बीच झूल रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार चुनाव का असर सीधे झारखंड की सत्ता समीकरण पर पड़ सकता है — और विपक्षी एकता की कहानी यहीं से बिखर सकती है। झामुमो ने बिहार के अपने अनुभव के बाद बड़ा निर्णय किया है। पार्टी ने स्पष्ट कहा है कि चुनाव समाप्त होने के बाद झारखंड में कांग्रेस-राजद के साथ गठबंधन की समीक्षा की जायेगी। उल्लेखनीय है कि हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटे से चार और राजद से एक मंत्री हैं।
झामुमो के मुताबिक गठबंधन के बड़े घटक दलों राजद और कांग्रेस से बार-बार संपर्क किया गया, लेकिन कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। 14 अक्टूबर की समय सीमा के बाद पार्टी को फैसला लेना पड़ा।झामुमो के इस निर्णय के स्पष्ट मायने हैं कि झारखंड में अपनी जड़े मजबूत करने के बाद उसकी योजना पड़ोसी राज्यों में विस्तार की है। इसे मजबूत करने का समय आ गया है। हालांकि, झारखंड में झामुमो ने गठबंधन के घटक दलों के साथ परस्पर सम्मान की नीति पर काम किया है।
2019 के विधानसभा चुनाव में राजद को तालमेल के तहत सात सीटें मिली। केवल चतरा से उसके प्रत्याशी जीत पाए, लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में नंबर तीन की पोजिशन मिली। 2024 के विधानसभा चुनाव में राजद को छह सीटें लड़ने के लिए मिली और उसे चार पर कामयाबी मिली। सरकार बनने के बाद मंत्री का एक पद राजद के हिस्से आया। लेकिन बिहार में राजद-कांग्रेस के रुख ने झामुमो को एक बार फिर से गठबंधन के फार्मूले पर नए सिरे से विचार करने पर विवश किया है।