अंबाला में एक ही फैमिली के छह लोगों की मौत, मां-बाप, दो बेटियों और वाइफ को जहर दे, फंदे पर लटका बेटा

हरियाणा के अंबाला में एक साथ एक ही फैमिली के छह लोगों की मौत हो गई है। इसमें दो बच्ची भी शामिल हैं। एक बच्ची का आज जन्मदिन भी था। जन्मदिन की सभी तैयारी घर पर हो चुकी थी।  

अंबाला में एक ही फैमिली के छह लोगों की मौत, मां-बाप, दो बेटियों और वाइफ को जहर दे, फंदे पर लटका बेटा

चंडीगढ़। हरियाणा के अंबाला में एक साथ एक ही फैमिली के छह लोगों की मौत हो गई है। इसमें दो बच्ची भी शामिल हैं। एक बच्ची का आज जन्मदिन भी था। जन्मदिन की सभी तैयारी घर पर हो चुकी थी।  

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अंबाला टाउन के गांव बलाना में एक ही परिवार के पांच मेंबर्स  को जहरीला पदार्थ दिया गया। इसके बाद फैमिली के ही एक मेंबल ने फंदे पर लटक कर सुसाइड कर ली। मृतकों में 65 वर्षीय संगत सिंह उसकी पत्नी महिंद्र कौर उम्र 62 साल, संगत सिंह का बेटा सुखविंदर सिंह उम्र 32 साल सुखविंदर की पत्नी प्रमिला उम्र 28 साल और उसकी दो लड़कियां करीब 6 और 8 साल की हैं।
घर से सुसाइड नोट मिला 

सुखविंदर यमुनानगर में इफ्को टोकियों कंपनी में ब्रांच मैनेजर के पोस्ट पर थे। फंदे पर लटकने से पहले सुखविंदर ने एक सुसाइड नोट लिखा। इसमें उसने अपनी कंपनी के मालिक को मौत का जिम्मेदार ठहराया। सुखविंदर सिंह यमुनानगर जिले में एक टू व्हीलर की कंपनी में काम करता था। पड़ोसी जसविंद्र ने सुबह सुखविंदर से खुरपा मांगा था। उसने सुखविंदर चाचा और चाची के बारे में पूछा। सुखविंदर ने दिलबाग को बताया कि दोनों नातिन को छोड़ने के लिए एयरपोर्ट गये हैं। खिड़की से खुरपा दे दिया और बंद करके अंदर चला गया। इसके बाद सात बजे मौत के बारे में सूचना मिली। पड़ोसी दिलबाग ने बताया कि सुखविंदर की बेटी नीतू का आज जन्मददिन था। सुबह सुखविंद्र की बहन का फोन आया कि घर पर कोई काल रिसीव नहीं कर रहा है। 

पड़ोसी ने घर जाकर देखा तो हैरान रह गये

दिलबाग ने जब दरवाजा खटखटाया तो कोई बाहर नहीं आया। इसके बाद छत से देखा तो सुखविंदर की बॉडी फंदे से लटका था और बेटियों के शव कमरे में बिस्तर पर पड़े थे। उसने पुलिस को सूचना दी। सुखविंदर के परिवार की मौत की सूचना पर पूरे गांव में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों का कहना है कि परिवार काफी सीधा था। पिता संगत सिंह 20 साल से नंबरदार थे। परिवारवालों की ईमानदारी की कसमें खाई जाती थीं। सुखविंदर ने कभी किसी के साथ गलत व्यवहार भी नहीं किया था। 

ग्रामीणा घर के अंदर भी पहुंच गएये। चारों तरफ मातम छाया हुआ था। ग्रामीणों ने हाथों से सुखविंदर की बच्चियों की बॉडी को उठाकर बाहर लाये। गांव में हर किसी की आंखें नम थीं। गांव वाले सुखविंदर के घर पर पहुंचे। हर तरफ चीख पुकार मची हुई है। गांव की महिलाओं का कहना है कि परिवार काफी सीधा था। नंबरदार होने के बावजूद साधारण से मकान में रहते थे। गांव वाले हर मामले के निपटारे के लिए इनके पास आते थे। किसी को विश्वादस नहीं हो रहा है कि सुखविंदर ऐसा कर सकता है। परिवार में अब कोई नहीं रहा। रोते हुए बस महिलाएं चीख रही थीं कि बस एक बार उठ जाओ।