गुलाम नबी आजाद ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा, राहुल गांधी के गार्ड-पीए लेते हैं फैसले, जाते-जाते निकाली भड़ास

कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। वह पिछले तीन-चार साल से पार्टी ने नाराज चल रहे थे।  कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा था। कुछ दिन पहले ही आजाद ने कश्मीर में पार्टी के प्रचार समिति से इस्तीफा दे दिया था। सोनिया गांधी को संबोधित अपने इस्तीफे में आजाद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। आजाद ने अपने पत्र में राहुल गांधी को जमकर हमला बोला है।

गुलाम नबी आजाद ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा, राहुल गांधी के गार्ड-पीए लेते हैं फैसले, जाते-जाते निकाली भड़ास

नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। वह पिछले तीन-चार साल से पार्टी ने नाराज चल रहे थे।  कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा था। कुछ दिन पहले ही आजाद ने कश्मीर में पार्टी के प्रचार समिति से इस्तीफा दे दिया था। सोनिया गांधी को संबोधित अपने इस्तीफे में आजाद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। आजाद ने अपने पत्र में राहुल गांधी को जमकर हमला बोला है।

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सोनिया को लिखी चिट्ठी में नेहरू, संजय का उल्लेख
आजाद ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में कांग्रेस से जुड़ने का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है कि छात्र जीवन में महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों से प्रभावित हुआ था। उन्होंने लिखा है कि 1975-76 में संजय गांधी के आग्रह पर जम्मू-कश्मीर युवा कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला था। उन्होंने बिना किसी स्वार्थ भाव के दशकों तक पार्टी की सेवा की है।
राहुल गांधी को कोसा
आजाद ने सोनिया को लिखी चिट्ठी में कहा कि आपके नेतृत्व में पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। लेकिन दुर्भाग्य से जब से पार्टी में राहुल गांधी की एंट्री हुई। खासतौर पर 2013 के बाद जब आपने राहुल को उपाध्यक्ष नियुक्त किया, तब से उन्होंने पार्टी में बातचीत का पूरा खाका ही ध्वस्त कर दिया। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं साइडलाइन कर दिया गया। अनुभवहीन नेता पार्टी के मामले देखने लगे।

कांग्रेस ने कहा- धोखेबाजी का कैरेक्टर
जयराम रमेश ने कहा कि गुलाम नबी आजाद का डीएनए मोदीफाइड हो गया है। उन्होंने कहा कि एक ऐसे शख्स को जिसे कांग्रेस की लीडरशिप ने इतना सम्मान दिया, उसने बेहद निजी और घटिया हमले करके विश्वासघात किया है।उन्होंने कहा कि आजाद के इस रवैये से उनका असली कैरेक्टर सामने आ गया है। जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस इस वक्त महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ लड़ रही है और ऐसे वक्त में गुलाम नबी आजाद का पार्टी से अलग हो जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। जयराम रमेश बोले, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद है कि ऐसे वक्त में यह हुआ है, जब सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी भाजपा से मुद्दों पर लड़ रहे हैं। महंगाई, बेरोजगारी और ध्रुवीकरण के खिलाफ मुकाबला कर रहे हैं।' कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने भी गुलाम नबी आजाद के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुझे इसमें विश्वासघात की बू आ रही है
'रिमोट कंट्रोल मॉडल' ने कांग्रेस को किया बर्बाद
 गुलाम नबी आजाद ने पांच पेज की चिट्ठी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजी है। इस चिट्ठी में उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने से छोड़ने तक के सफर के बारे में बताया है। इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान कांग्रेस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए कहा कि आज कांग्रेस रिमोट कंट्रोल मॉडल से चल रही है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि राहुल गांधी के पीए और सुरक्षाकर्मी पार्टी के बारे में फैसले ले रहे हैं।गुलाम नबी आजाद ने पत्र की शुरुआत कांग्रेस से अपने जुड़ाव से किया है। बताया है कि किस तरह वह तमाम अहम जिम्मेदारियों को निःस्वार्थ भाव से और पूरी शिद्दत से पूरा किया। याद किया कि किस तरह संजय गांधी के कहने पर 1975-76 में वह उस समय यूथ कांग्रेस में शामिल हुए जब कश्मीर में कोई पार्टी से जुड़ना नहीं चाहता था।

दुर्भाग्य से राजनीति में राहुल गांधी की एंट्री...

आजाद ने  लिखा है कि किस तरह इंदिरा गांधी के जेल जाने के विरोध में प्रदर्शन की वजह से उन्हें 1978-79 में जेल जाना पड़ा। उन्होंने बताया है कि किस तरह वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकारों में केंद्रीय मंत्री के तौर पर काम किया। उन्होंने सोनिया गांधी को कहा कि बेशक कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर आपने यूपीए-1 और यूपीए-2 के गठन में शानदार काम किया। इस सफलता का सबसे बड़ा कारण यह था कि आपने अध्यक्ष के तौर पर बुद्धिमान सलाहकारों और वरिष्ठ नेताओं के फैसलों पर भरोसा किया, उन्हें ताकत दी और उनका ख्याल रखा।आजाद ने लिखा है कि दुर्भाग्य से राजनीति में राहुल गांधी की एंट्री और खासतौर पर जब आपने जनवरी 2013 में उन्हें उपाध्यक्ष बनाया, तब राहुल ने पार्टी में चली आ रही सलाह के मैकेनिज्म को तबाह कर दिया। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइड लाइन कर दिया गया और गैरअनुभवी चापलूसों का नया ग्रुप बन गया, जो पार्टी चलाने लगा। मैं लगातार चार दशक तक कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य रहा। 35 साल तक मैं देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में पार्टी का जनरल सेक्रेटरी इंचार्ज भी रहा।

जिन राज्यों में मैं इंचार्ज रहा, उनमें से 90% में कांग्रेस को जीत मिली

उन्होंने कहा कि  यह बताते हुए खुश हूं कि जिन राज्यों में मैं इंचार्ज रहा, उनमें से 90% में कांग्रेस को जीत मिली।उन्होंने  यूपीए सरकार की अखंडता को तबाह करने वाला रिमोट कंट्रोल सिस्टम अब कांग्रेस पर लागू हो रहा है। आप बस नाम के लिए इस पद पर बैठी हैं। सभी जरूरी फैसले राहुल गांधी ले रहे हैं, उससे भी बदतर यह है कि उनके सुरक्षाकर्मी और पीए ये फैसले ले रहे हैं।उन्होंने कहा कि 1977 के बाद संजय गांधी के नेतृत्व में यूथ कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी के पद पर रहते हुए मैं हजारों कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ एक जेल से दूसरी जेल गया। तिहाड़ जेल में मेरा सबसे लंबा समय 20 दिसंबर 1978 से जनवरी 1979 तक था। तब मैंने इंदिरा गांधी जी की गिरफ्तारी के खिलाफ जामा मस्जिद से संसद भवन तक विरोध रैली निकाली थी। हमने जनता पार्टी की व्यवस्था का विरोध किया और उस पार्टी के कायाकल्प का रास्ता बनाया, जिसकी नींव 1978 में इंदिरा गांधी जी ने रखी थी। 3 साल के महान संघर्ष के बाद 1980 मेें कांग्रेस पार्टी दोबारा सत्ता में लौटी।

2014 से 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से हम 39 चुनाव हार गये

आजाद ने कहा कि  यूथ कांग्रेस का प्रेसिडेंट रहते हुए मुझे आपके पति राजीव गांधी को यूथ कांग्रेस में नेशनल काउंसिल मेंबर के तौर पर शामिल करने का सौभाग्य मिला। 1981 में कांग्रेस के स्पेशल सेशन के दौरान राजीव गांधी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए। यह भी मेरी ही अध्यक्षता में हुआ। मैं राजीव गांधी के कांग्रेस पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनने से लेकर उनकी दुखद हत्या तक इस बोर्ड का सदस्य रहा।आजाद ने कहा है कि  कांग्रेस की बर्बादी का सबसे ज्वलंत उदाहरण वह है, जब राहुल गांधी ने सरकार के अध्यादेश को पूरे मीडिया के सामने टुकड़े-टुकड़े कर डाला। कांग्रेस कोर ग्रुप ने ही यह अध्यादेश तैयार किया था। कैबिनेट और राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी थी। इस बचकाना हरकत ने भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के औचित्य को खत्म कर दिया। किसी भी चीज से ज्यादा यह इकलौती हरकत 2014 में यूपीए सरकार की हार की बड़ी वजह थी।उन्होंने कहा कि 2014 में आपकी और उसके बाद राहुल गांधी की लीडरशिप में कांग्रेस शर्मनाक तरीके से दो लोकसभा चुनाव हारी। 2014 से 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से हम 39 चुनाव हार गए। पार्टी ने केवल चार राज्यों के चुनाव जीते और छह मौकों पर उसे गठबंधन में शामिल होना पड़ा। अभी कांग्रेस केवल दो स्टेट में शासन कर रही है। दो स्टेट राज्यों में गठबंधन में उसकी भागीदारी मामूली है।