संसद लोकतंत्र का मंदिर, जहां वाद-विवाद और संवाद सबसे अहम : राम नाथ कोविन्द

प्रसिडेंट राम नाथ कोविन्द ने स्वतंत्रता के 75वें साल की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है जहां वाद विवाद और संवाद के जरिए जनता काम करना होता है। उन्होंने नये संसद भवन परिसर को देश की उन्नति से जोड़ते हुए कहा कि यह विरासत के प्रति सम्मान और समकालीन विश्व के साथ कदम मिलाकर चलने की कुशलता का प्रदर्शन करेगा।

संसद लोकतंत्र का मंदिर, जहां वाद-विवाद और संवाद सबसे अहम : राम नाथ कोविन्द

नई दिल्ली। प्रसिडेंट राम नाथ कोविन्द ने स्वतंत्रता के 75वें साल की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है जहां वाद विवाद और संवाद के जरिए जनता काम करना होता है। उन्होंने नये संसद भवन परिसर को देश की उन्नति से जोड़ते हुए कहा कि यह विरासत के प्रति सम्मान और समकालीन विश्व के साथ कदम मिलाकर चलने की कुशलता का प्रदर्शन करेगा।

प्रसिडेंट ने सांसदों को याद दिलाई जिम्मेदारी
प्रसिडेंट ने कहा कि जब हमें स्वतंत्रता मिली थी तो कइयों को आशंका थी कि यहां लोकतंत्र सफल होगा या नहीं। कई देशों के मुकाबले भारत में बिना भेदभाव वयस्कों को मताधिकार मिला और लोकतंत्र मजबूत हुआ। उन्होंने कहा 'हमारा लोकतंत्र संसदीय प्रणाली पर आधारित है। संसद लोकतंत्र का मंदिर है।यहां जनता की सेवा के लिए जनता के जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे वाद विवाद और संवाद के जरिए हल करने का मंच प्राप्त है।' राष्ट्रपति ने इसके आगे तो कुछ नहीं कहा लेकिन परोक्ष रूप से यह राजनीतिक दलों और सांसदों के लिए संदेश माना जा रहा है।

टोक्यो ओलंपिक में महिला खिलाड़ियों के प्रदर्शन का किया उल्लेख  पिछले कुछ वर्षों में हर स्तर पर महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है, प्रसिडेंट ने इसे शुभ बताते हुए टोक्यो ओलंपिक में महिला खिलाडि़यों के प्रदर्शन का जहां विशेष रूप से उल्लेख किया। महिलाएं प्रयोगशाला से लेकर खेत खलिहानों तक अपना जौहर दिखा रही हैं। बेटियों की सफलता में भविष्य के विकसित भारत की झलक दिखाई देती है।उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था में विश्वास रखने वालों के साथ परामर्श की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एक नव जागरण का किरण दिखाई दे रही है। उन्होंने अपील की कि जम्मू-कश्मीर की जनता और खासकर युवा अपनी आकांक्षाओं के पूरा करने के लिए इसका लाभ उठाएं। ठोस संकल्प के साथ कोविड से लड़ाई के लिए जहां उन्होंने वैज्ञानिकों के परिश्रम और सरकार के प्रयासों की सराहना की और कहा कि स्वास्थ्य के साथ साथ आर्थिक स्तर पर हुए परिणाम से निपटने की कोशिश हो रही है।

कोरोना से जंग में साइंटिस्ट व गवर्नमेंट की भूमिका सराहनीय

वर्ल्ड में सबसे बड़ा वैक्सीनेशन चलाया है।र उद्योगों को पैकेज दिए जा रहे हैं। गरीबों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए हर किसी को जुड़ने की अपील की। राष्ट्रपति ने कहा कि हमें गांधी जी का संकल्पना के अनुसार ही प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर चलना होगा।