चारा घोटला के पांच मामले में लालू प्रसाद यादव को 32.5 साल की सजा, 1.65 करोड़ का जुर्माना... 

चारा घोटाला का जिन्न लालू के पीछे साल 1996 से ही पड़ा है। वर्ष 1996 में ही पटना हाईकोर्ट की निगरानी में चारा घोटाला की सीबीआइ जांच शुरू हुई थी। इस जांच ने 30 जुलाई 1997 को उनके पटना की विशेष अदालत में सरेंडर व पहली बार जेल जाने की पटकथा लिखी थी। था। इसके पहले 25 जुलाई 1997 को स्पेसळ कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी का वारंट निर्गत होने पर उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

चारा घोटला के पांच मामले में लालू प्रसाद यादव को 32.5 साल की सजा, 1.65 करोड़ का जुर्माना... 

रांची। चारा घोटाला का जिन्न लालू के पीछे साल 1996 से ही पड़ा है। वर्ष 1996 में ही पटना हाईकोर्ट की निगरानी में चारा घोटाला की सीबीआइ जांच शुरू हुई थी। इस जांच ने 30 जुलाई 1997 को उनके पटना की विशेष अदालत में सरेंडर व पहली बार जेल जाने की पटकथा लिखी थी। था। इसके पहले 25 जुलाई 1997 को स्पेसळ कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी का वारंट निर्गत होने पर उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

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पांचों मामले में हो चुकी है सजा
बिहार के एक्स सीएम व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को झारखंड से जुडे  चारा घोटाले के पांचों मामलों में सजा सुना दी गयी है। करीब 950 करोड के इस घोटाले में लालू को साढ़े 32 साल की सजा सुनायी गयी है। उन पर 1.65 करोड़ का जुर्माना भी लग चुका है। झारखंड में चल रहे लालू प्रसाद के डोरंडा कोषागार से संबंधित अंतिम मामले में लालू प्रसाद को पांच साल की सजा और 60 लाख का जुर्माना लगाया गया है। लालू प्रसाद  चाईबासा कोषागार से जुड़े पहले मामले में पांच साल की सजा और 25 लाख का जुर्माना लगा था। इस कोषागार से 37.70 करोड़ अवैध निकासी की गयी थी। देवघर कोषागार से  89.27 लाख की अवैध निकासी के मामले में उन्हें साढ़े तीन साल की सजा और दस लाख का जुर्माना लगा था। चाईबासा कोषागार से  33.13 करोड़ की अवैध निकासी में लालू प्रसाद को पांच साल की सजा और दस लाख का जुर्माना लगाया गया है। लालू प्रसाद को सबसे अधिक सजा दुमका कोषागार से अवैध निकासी में मिली है। सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में आईपीसी और पीसी एक्ट में दोषी करार देते हुए दोनों धाराओं में सात- सात साल की सजा सुनायी है। कोर्ट ने दोनों सजा अलग- अलग चलाने का आदेश दिया था। दोनों मामलों में लालू प्रसाद को 60 लाख का जुर्माना लगा चुका है। हालांकि लालू प्रसाद इस मामले में दोनों सजाओं के अलग- अलग सुनाए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। 

डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी 

एकीकृत बिहार में लालू प्रसाद यादव के सीएम रहते 1990 से 1995 के बीच डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध तरीके से निकासी की गई थी। चारा घोटाला में डोरंडा का मामला सबसे बड़ा था। डोरंडा ट्रेजरी से निकाले गए रुपए पशुओं और उनके चारे पर खर्च किये गये थे। न सीबीआई की जांच में पता चला कि फर्जी बिल वाउचर लगाकर रुपए निकाल लिये गये। सीबीआई को दिये गये बुक बिल्स के अनुसार पशुओं को दिल्ली से बिहार लाने के लिए स्कूटर और बाइक का इस्तेमाल किया गया।इस घोटाले में अफसरों और नेताओं की गहरी सांठगांठ थी। सीबीआई जांच में पता चला कि इस घोटाले में 400 सांड को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और बाइक से बिहार से लाया गया। पशुपालन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में जिन गाड़ियों का उल्लेख किया था, उनके नंबर बाइक और स्कूटर के थे। सीबीआई की जांच में बताया गया कि दाना, बादाम, खरी, नमक, मक्का जैसे पशु चारे की बड़ी खेप को लाने में स्कूटर, बाइक और उस जमाने में चलने वाली गाड़ी मोपेड का रजिस्ट्रेश नंबर दिया गया था। मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने अलग-अलग कोषागारों से गलत ढंग से अलग-अलग राशियों की निकासी को लेकर 53 FIR दर्ज किये थे। सभी निकासी 1996 में की गयी थी।

चारा घोटाला घटनाक्रम का सिलसिला

जनवरी 1996
चाईबासा के तत्कालीन डीसी 1985 बैच के IAS अफसर अमित खरे ने पशुपालन विभाग में  रेड की थी यह बड़ाघोटाला सामने आया।
मार्च 1996
जांच के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा उसके बाद पटना हाई  कोर्ट ने सीबीआई को जांच के लिए नियुक्त किया था। सीबीआई  ने उसके बाद चारा घोटाला मामले में FIR दर्ज किया।
जून 1997
सीबीआई ने चार्जशीट दिखाल किया जिसमें लालू प्रसाद को आरोपी बनाया गया। पहली बार लालू प्रसाद आरोपी बनाये गये। 
जुलाई 1997

विपक्ष के बढ़ते दबाव में चार्जशीट दायर हो जाने के बाद  लालू प्रसाद ने सीएम  पद से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया। कहा जाता है कि जेल में रहते हुए लालू प्रसाद ने राबड़ी देवी के माध्यम से सरकार चलाई।
अक्टूबर 2001
अलग झारखंड बन जाने के बाद चारा घोटाला का मामला झारखंड हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया।
फरवरी 2002
रांची की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में चारा घोटाला मामले में सुनवाई शुरू की गई।
सितंबर 2013
चारा घोटाला के चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद को पहली सजा हुई। इस मामले में लालू प्रसाद को पांच साल की सजा हुई। लेकिन उन्हें दिसम्बर में सुप्रीम कोर्ट से बेल मिल गई।
दिसंबर 2017
देवघर कोषागार से 89.27 लाख रुपये की फर्जी तरीके से निकासी से संबंधित दूसरे घोटाले के मामले में लालू प्रसाद यादव को सीबीआई अदालत ने 3.5 साल जेल की सजा सुनाई। सजा का आधा भाग जेल में पूरा करने के बाद उन्हें पिछले साल जुलाई में बेल दे दी गई।
जनवरी 2018

चाईबासा कोषागार से 33.13 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से निकासी से संबंधित तीसरे में मामले में लालू यादव को तीसरी बार पांच साल की सजा हुई।
मार्च 2018
दुमका कोषागार से 3.76 करोड़ घपला के मामले में लालू को  पांच साल की सजा हुई। स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने लालू प्रसाद को सजा सुनाई। लालू यादव के सीएम रहते 1995 से 1996 तक दुमका ट्रेजरी से फर्जी तरीके से से 3.76 करोड़ रुपये निकाल लिए गये।
अप्रैल 2021
झारखंड हाई कोर्ट से लालू प्रसाद यादव को बेल मिल गयी लेकिन अदालत ने उनपर कई पाबंदियां लगायी।
लालू यादव कब-कब भेजे गये जेल,.सीबीआइ कोर्ट ने कब-कब सुनाई कितने दिनों की सजा
बहुचर्चित चारा घोटाला ने लालू यादव की राजनीतिक करियर को परेसान कर दिया। न केवल उन्हें बार बार जेल की यात्रा करनी पड़ी, बल्किकुर्सी से भी हाथ धोना पड़ा। संसद की सदस्यता तक उनकी खत्म हो गई। चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद को सत्ता से हटने के मात्र पांच दिन बाद ही पहली बार जेल जाना पड़ा। 25 जुलाई 1996 को उनके खिलाफ पटना के स्पेशल कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। वारंट जारी होते ही लालू को सीएम की कुर्सी छोडऩी पड़ी थी। इसके बाद लालू ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई तक लालू की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी सुनवाई के दौरान । 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने लालू की याचिका खारिज कर दी। इसके बाद लालू यादव ने 30 जुलाई को स्पेशल कोर्ट में सरेंडर किया और जेल गये।

चारा घोटाला और लालू से संबंधित महत्वपूर्ण तिथियां

11 मार्च 1996- पटना हाई कोर्ट ने चारा घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया
19 मार्च 1996- सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से सीबीआइ जांच की मानिटरिंग करने को कहा।
छह जनवरी 1997- सीबीआइ ने उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से पहली बार साढ़े छह घंटे तक पूछताछ की।
10 मई 1997- सीबीआइ ने सरकार से लालू समेत अन्य के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी मांगी।
17 जून 1997- अभियोजन चलाने की मंजूरी मिली।
23 जून 1997- आरसी 20 ए में लालू समेत 56 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल।
24 जुलाई 1997- पटना हाई कोर्ट ने लालू की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज किया।
25 जुलाई-1997- स्पेशल जज एसके लाल की कोर्ट से वारंट जारी, लालू का सीएम पद से इस्तीफा।
30 जुलाई 1997- लालू का सरेंडर, भेजे गये जेल।
30 अगस्त 1997- सीबीआइ ने लालू के खिलाफ 64 ए में चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मांगी।
29 अक्टूबर 1997- 90 दिन के भीतर चर्जशीट दाखिल नहीं होने के कारण आरसी 38 और 47 में बेल।
11 दिसंबर 1997- 134 दिन जेल में रहने के बाद रिहा हुए लालू।
12 मई 1998- तत्कालीन गवर्नर एसएस भंडारी ने 64 ए में लालू के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी।
19 अगस्त 1998- आय से अधिक संपत्ति मामले पांच में एफआइआर दर्ज।
21 अगस्त 1998- लालू के विभिन्न ठिकानों पर सीबीआइ का रेड।
21 अक्टूबर 1998- डीए केस में पूछताछ।
28 अक्टूबर 1998- लालू का सरेंडर, भेजे गये जेल।
आठ जनवरी 1999- 73 दिन जेल में रहने के बाद बेल पर रिहा।
20-27 मई 1999- तत्कालीन सीएम राबड़ी देवी से पूछताछ
08 मार्च 2000- तत्कालीन गवर्नर विनोद चंद्र पांडेय ने पांच ए में मुकदमा चलाने की अनुमति दी
04 अप्रैल 2000- डीए केस में लालू राबड़ी पर चार्जशीट दाखिल, गिरफ्तारी वारंट जारी।
26 नवंबर तक रांची के कोर्ट में सरेंडर करने का दिया निर्देश।
26 नवंबर 2001- लालू का रांची कोर्ट में सरेंडर कैंप जेल में रहे।
23 जनवरी 2002- 59 दिनों के बाद विशेष न्यायालय से जमानत, रिहा।
18 सितंबर 2006- लालू और राबड़ी डीए केस में आरोप मुक्त।
एक मार्च 2012- लालू समेत 31 के खिलाफ 63 ए में चार्जशीट दाखिल।
13 अगस्त 2013- आरसी 20 ए की सुनवाई कर रहे जज को बदलने की मांग सुप्रीम कोर्ट में खारिज।
17 सितंबर-2013- सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी।
30 सितंबर 2013- लालू समेत 45 दोषी करार।
तीनअक्टूबर 2013- वीडियो कांफ्रेंङ्क्षसग के जरिए सजा की अवधि पर फैसला।
दिसंबर, 2013- सुप्रीम कोर्ट ने लालू को बेलत दी।
मई, 2017 - सुप्रीम कोर्ट के आठ मई के आदेश के बाद सुनवाई दोबारा शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में उनके खिलाफ अलग से मुकदमा चलाने को कहा।
23 दिसंबर, 2017 - सीबीआइ की स्पेशल ने लालू और 15 अन्य को दोषी करार दिया।
06 जनवरी, 2018 - सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने साढ़े तीन साल की सुनाई सजा।
24 जनवरी 2018 - सीबीआइ कोर्ट से चारा कांड संख्या आरसी 68ए/96 मे दोषी पाकर पांच साल कैद की सजा सुनाई
19 मार्च 2018 - सीबीआइ कोर्ट ने चारा कांड संख्या आरसी 38ए/96 में दोषी ठहराया।
24 मार्च 2018 - दुमका ट्रेजरी मामले में लालू प्रसाद को दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल की सजा। लेकिन दोनों सजाएं अलग-अलग चलेगी। अर्थात 14 साल की सजा हुई।
11 मई 2018 - लालू को तीनों मामलों में औपबंधिक जमानत
30 अगस्त 2018 - लालू ने किया सरेंडर
09 अक्टूबर 2020 - लालू को चाईबासा कोषागार मामले में जमानत मिली।
17 अप्रैल 2021 - मिली जमानत, तीन साल चार महीने बाद राहत की सास ली।
30 अप्रैल 2021 - अधिवक्ताओं के कार्य नहीं करने से जेल से निकलने में लगा समय।
15 फरवरी 2022 - डोरंडा कोषागार मामले में लालू दोषी करार, भेजे गये जेल।
कब-कब जेल गये लालू यादव

लालू को पहली बार 30 जुलाई 1997 को जेल जाना पड़ा था। इस दौरान वे कुल 135 दिन जेल में रहे। दूसरी बार 28 अक्टूबर 1998 को 73 दिनों के लिए जेल गये। फिर, पांच अप्रैल 2000 को तीसरी बार जेल गए तो 11 दिनों बाद जमानत मिली। उन्हें साल 2000 के ही 28 नवंबर को भी आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक दिन के लिए जेल जाना पड़ा था। लालू तीन अक्टूबर 2013 को चारा घोटाला के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद 70 दिन जेल में रहे। फिर, 23 दिसंबर 2017 को चारा घोटाले से जुड़े एक अन्य मामले में सजा होने के बाद जेल गये तो 17 अप्रैल 2021 को बेल थी। अब 15 फरवरी 2022 को चारा घोटाला के डोरंडा कोषागार मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लालू फिर जेल में हैं।