Jharkhand: ADG प्रिया दूबे ने DGP के निर्देश को ठुकराया – कहा, थानों में महिला सिपाही नहीं करेंगी मुंशी का काम
झारखंड पुलिस में बड़ा विवाद! ADG प्रिया दूबे ने DGP के आदेश को चुनौती दी। कहा– जैप, आइआरबी और एसआइआरबी की महिला सिपाहियों को थानों में मुंशी का काम नहीं करना चाहिए।

- झारखंड पुलिस में आदेश पर टकराव!
रांची। झारखंड पुलिस मुख्यालय और जैप (Jharkhand Armed Police) के बीच आदेश को लेकर बड़ा टकराव सामने आया है। जैप की एडीजी प्रिया दूबे ने पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी आदेश को सीधे चुनौती दे दी है। उन्होंने साफ निर्देश जारी किया है कि जैप, आइआरबी (IRB) और एसआइआरबी (SIRB) की महिला सिपाहियों को राज्य के किसी भी थाना में मुंशी का कार्य करने के लिए विरमित नहीं किया जाए।
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दरअसल, डीजीपी कार्यालय ने 25 सितंबर को एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत झारखंड सशस्त्र पुलिस की 212 महिला पुलिसकर्मियों को राज्यभर के थानों में मुंशी पद पर पदस्थापित करने की बात कही गई थी। इस आदेश पर एडीजी प्रिया दूबे ने कड़ी आपत्ति जतायी है। एडीजी प्रिया दूबे ने अपने पत्र में कहा है कि यह निर्णय उनके अधीनस्थ इकाइयों की अनुमति और सहमति के बिना लिया गया है।
उन्होंने लिखा कि “पूर्व के किसी भी डीजीपी ने ऐसा नहीं किया। थानों में बल या मुंशी का पदस्थापन हमेशा संबंधित जिले के एसपी के स्तर पर होता रहा है, लेकिन डीजीपी कार्यालय ने सीधे आदेश जारी कर नियमों की अनदेखी की है।” उन्होंने सभी वाहिनियों के कमांडेंट को निर्देश दिया है कि जब तक मामले का समाधान नहीं हो जाता, किसी भी महिला सिपाही को मुंशी पद पर कार्य के लिए न भेजा जाए।
प्रिया दूबे ने यह भी कहा कि जैप, आइआरबी, एसआइआरबी और एसआइएसएफ की प्रमुख स्वयं हैं, ऐसे में किसी भी प्रकार की प्रतिनियुक्ति से पहले उनकी सहमति अनिवार्य है। उन्होंने डीजीपी कार्यालय के आदेश को “अनुपालन योग्य नहीं” बताया और इसे रद्द करने की मांग की है। इस विवाद ने एक बार फिर झारखंड यह है पूरा मामला
डीजीपी कार्यालय ने 25 सितंबर को जैप, आइआरबी व एसआइआरबी की 212 महिला पुलिसकर्मियों को राज्य के सभी जिलों के विभिन्न थानों में मुंशी के पद पर पदस्थापित किये जाने संबंधित आदेश जारी किया था। इतना ही नहीं, पूर्व में भी डीजी सीआइडी ने 89 महिला सिपाहियों की प्रतिनियुक्ति महिला थाने में किया था।एडीजी जैप प्रिया दुबे ने डीजीपी कार्यालय के उक्त आदेश पर कड़ी आपत्ति जताते हुए 29 सितंबर को डीआइजी कार्मिक को संबोधित करते हुए पत्राचार कर पदस्थापन का विरोध किया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि जैप, आइआरबी, एसआइआरबी व एसआइएसएफ की प्रमुख वह स्वयं हैं।
पूर्व के किसी भी डीजीपी ने ऐसा नहीं किया
इसके बावजूद उनके नियंत्रणाधीन इकाइयों की महिला सिपाहियों की प्रतिनियुक्ति में उनकी सहमति नहीं ली गई। उन इकाइयों से जिला में पदस्थापन के लिए उनके माध्यम से एक बोर्ड गठित है, फिर भी उस बोर्ड की सहमति नहीं ली गई।
अब तक के इतिहास में पूर्व के किसी भी डीजीपी ने ऐसा नहीं किया था। थानों में बल व मुंशी का पदस्थापन संबंधित जिले के एसपी करते रहे हैं, लेकिन वहां भी डीजीपी कार्यालय से पदस्थापन किया गया। यह अनुचित है। एडीजी ने यह भी लिखा था कि डीजीपी कार्यालय के उक्त आदेश का अनुपालन संभव नहीं है। उक्त आदेश को रद करें।