धनबाद की सियासत में आठ साल बाद संजीव सिंह की वापसी! बोले – “नीरज मेरा भाई था, आरोप आज भी दिल में दर्द देता है”
आठ साल बाद पूर्व विधायक संजीव सिंह ने नीरज सिंह हत्याकांड पर चुप्पी तोड़ी। बोले- “नीरज मेरा भाई था, आरोप आज भी दिल में दर्द देता है।” संजीव की वापसी से कोयलांचल की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।
धनबाद। झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह ने आठ साल की जेल और बरी होने के बाद आखिरकार चुप्पी तोड़ दी। बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड में बरी होने के करीब ढाई महीने बाद उन्होंने पहली बार मीडिया के सामने आकर कहा — “नीरज मेरा भाई था, मैं आज तक समझ नहीं पाया कि मुझ पर यह आरोप कैसे लगा। यह दर्द आज भी मेरे दिल में है।”
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रविवार को धनबाद के बुद्धा पैलेस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में वे अपनी पत्नी व झरिया की भाजपा विधायक रागिनी सिंह के साथ मौजूद थे। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस न केवल व्यक्तिगत भावनाओं की अभिव्यक्ति थी बल्कि कोयलांचल की राजनीति में संजय सिंह की संभावित वापसी का ऐलान भी समझा जा रहा है।
27 अगस्त को कोर्ट ने बरी किया था
धनबाद की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने 27 अगस्त 2025 को साक्ष्य के अभाव में संजीव सिंह को बरी कर दिया था। वे 12 अप्रैल 2017 से जेल में बंद थे। संजीव को 12 अप्रैल 2017 को गिरफ्तार किया गया और आठ वर्ष जेल में बिताने पड़े। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2025 में शर्तों के साथ जमानत दी, लेकिन फैसले तक वे धनबाद नहीं आ सके। पूरे आठ साल बाद उन्हें रिहाई मिली। रिहाई के बाद से ही संजीव सिंह समर्थकों के साथ राजनीतिक रणनीति तय करने में जुटे हुए हैं।
“आरोप मेरे दिल में आज भी पीड़ा देता है” : संजीव सिंह
संजीव सिंह ने कहा, “नीरज मेरा चचेरा भाई था। हम 13 भाई-बहन थे। साथ खेलकर बड़े हुए। उसके साथ ऐसा हुआ, और फिर मेरे ऊपर ही हत्या का आरोप लगा — यह मैं कभी समझ नहीं पाया। यह आरोप मेरे दिल में आज भी पीड़ा देता है।” उन्होंने बताया कि उन्होंने 2023 में सरकार से सीबीआई जांच की मांग की थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसे ठुकरा दिया। अब जबकि अभिषेक सिंह ने हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी है, उन्होंने कहा — “यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है, हम उसका सम्मान करते हैं।”
राजनीति पर बोले — जल्दबाज़ी में नहीं लेंगे फैसला
संजीव सिंह ने अपने राजनीतिक भविष्य पर कहा — “अभी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में समय है, इसलिए किसी निर्णय में जल्दबाज़ी नहीं करेंगे। समय आने पर सब कुछ स्पष्ट हो जायेगा।” उन्होंने इशारा किया कि वे मजदूर राजनीति में सक्रिय रहेंगे, जबकि उनकी पत्नी रागिनी सिंह झरिया की जनता के लिए काम करती रहेंगी।
रागिनी सिंह ने कहा — “अब मेरी शक्ति डबल हो गयी”
विधायक रागिनी सिंह ने कहा, “अब मेरी शक्ति डबल हो गई है। मैं झरिया की जनता की सेवा करूंगी और संजीव सिंह धनबाद के मजदूरों के बीच रहेंगे।” उनका यह बयान संजीव सिंह की सक्रिय राजनीति में वापसी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
पारिवारिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि
नीरज सिंह, जो कांग्रेस के नेता और धनबाद नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर थे, की 21 मार्च 2017 को गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। उस दिन स्टील गेट के पास मोटरसाइकिल सवारों ने 67 गोलियां दागीं, जिसमें नीरज के साथ उनके ड्राइवर घोल्टू महतो, बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी और सहायक अशोक यादव की मौत हो गयी थी।इस हत्याकांड में ट्रेड यूनियन विवाद और पारिवारिक रंजिश दोनों ही कारण बताये गये थे। पुलिस ने संजीव सिंह सहित 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। संजीव सिंह मामले में आठ साल पांच माह तक जेल में रहे।
रागिनी की जीत से परिवार की विरासत कायम
2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह (नीरज सिंह की पत्नी) को हराया था। यह जीत सिंह परिवार की राजनीतिक विरासत के पुनरुत्थान के रूप में देखी गयी। संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह वर्तमान में झरिया विधानसभा क्षेत्र की भाजपा विधायक हैं। उन्होंने 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह (नीरज सिंह की पत्नी) को कड़ी टक्कर देकर 12,000 से अधिक वोटों से हराया।
अब फिर हलचल में कोयलांचल की राजनीति
संजीव सिंह की सार्वजनिक सक्रियता से धनबाद भाजपा में नये समीकरण बनने की चर्चा तेज हो गयी है। समर्थक चाहते हैं कि वे आने वाले स्थानीय निकाय चुनाव या उपचुनाव में सक्रिय भूमिका निभाएं। वहीं, नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह ने कहा है — “न्याय की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, हम हाईकोर्ट में हैं।” इस घटनाक्रम ने कोयलांचल की राजनीति में फिर उबाल ला दिया है, जहां सत्ता, कोयला व्यापार और पारिवारिक टकराव का रिश्ता हमेशा से गहरा रहा है।






