झारखंड: कुख्यात क्रिमिनल सुरेंद्र बंगाली के केस का रिकॉर्ड सिविल कोर्ट से गायब, हाईकोर्ट ने दिया जांच का आदेश

झारखंड की राजधानी रांची के कुख्यात क्रिमिनल सुरेंद्र बंगाली ऊर्फ सुरेंद्र सिंह रौतेला के एक क्रिमिनल मामले का रिकॉर्ड रांची सिविल कोर्ट से गायब हो गया है। हाई कोर्ट मामले की जांच के आदेश दिये हैं। 

झारखंड: कुख्यात क्रिमिनल सुरेंद्र बंगाली के केस का रिकॉर्ड सिविल कोर्ट से गायब, हाईकोर्ट ने दिया जांच का आदेश

रांची। झारखंड की राजधानी रांची के कुख्यात क्रिमिनल सुरेंद्र बंगाली ऊर्फ सुरेंद्र सिंह रौतेला के एक क्रिमिनल मामले का रिकॉर्ड रांची सिविल कोर्ट से गायब हो गया है। हाई कोर्ट मामले की जांच के आदेश दिये हैं। 
लगभग 20 साल से गायब यह रिकॉर्ड आज तक नहीं मिला है। लोअर कोर्ट ने रिकॉर्ड को दोबारा तैयार करने का प्रयास किया। संबंधित पुलिस स्टेशन और एसएसपी ऑफिस से भी रिकॉर्ड नहीं लाया गया। गायब रिकॉर्ड की जांच के लिए लोअर कोर्ट ने एक कमेटी तो बनायी, लेकिन कमेटी अभी तक इस पर कुछ नहीं कर पायी है।

लोअर कोर्ट ने रिकॉर्ड गायब होने की FIR भी अभी तक दर्ज नहीं करायी है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है। जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने रिटायर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीके राय की वन मैन कमेटी बनाकर इसकी जांच का आदेश दिया है। दो माह में रिपोर्ट हाईकोर्ट को पेश करने का निर्देश दिया है। रांची सिविल कोर्ट के प्रधान न्यायायुक्त को रिकॉर्ड गायब होने की एफआइआर दर्ज करा हाईकोर्ट को सूचित करने का भी निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट ने कमेटी को इस बात की जांच करने को कहा है कि रिकॉर्ड गायब होने को लोअर कोर्ट ने गंभीरता से क्यों नहीं लिया। 20 साल में गायब रिकॉर्ड को दोबारा तैयार क्यों नहीं किया जा सका। इसके लिए कौन- कौन दोषी हैं। प्रधान न्यायायुक्त ने जो जांच कमेटी बनायी है, वह अबतक इस मामले की जांच पूरी क्यों नहीं कर सकी। धीमी रफ्तार से जांच क्यों की गयी। सभी बिंदुओं पर जवाब तैयार कर हाईकोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने रांची के प्रधान न्यायायुक्त और रांची के एसएसपी को इस वन मन कमेटी को जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया है।

क्या है मामला
जेल में बंद रांची के कुख्यात क्रिमिनल सुरेंद्र बंगाली ने वर्ष 2014 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि डोरंडा पुलिस स्टेशन से संबंधित एक मामला(77/1987)  लोअर कोर्ट में पेंडिंग है। वर्ष 1999 में लोअर कोर्ट ने इस केस को रिमांड किया है और संज्ञान भी लिया है, लेकिन इसपर अभी तक सुनवाई नहीं हो रही है क्योंकि लोअर कोर्ट  में केस का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने  वष।र् 2015 की 26 अक्टूबर को न्यायायुक्त से रिपोर्ट मांगी। लेकिन तय तिथि तक निचली अदालत से कोई रिपोर्ट नहीं दी गयी। हाईकोर्ट ने लगातार लोअर कोर्ट को रिपोर्ट देने का रिमाइंडर दिया। लेकिन रिपोर्ट नहीं भेजी गयी। लगभग दो साल तक लगातार रिमाइंडर भेजे जाने के बाद 26.7.16 को प्रधान न्यायायुक्त ने हाईकोर्ट को रिपोर्ट भेजा।

जांच के लिए कमेटी गठित 
प्रधान न्यायायुक्त ने वर्ष 2017 की 26 जुलाई को अपनी रिपोर्ट में बताया कि रिकॉर्ड गायब होने के मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी इस बात का पता लगा रही कि कौन-कौन मामलों के रिकॉर्ड गायब हैं। इस पर कोर्ट ने सुरेंद्र बंगाली से संबंधित मामले का उल्लेख करते हुए न्यायायुक्त को यह बताने को कहा कि यदि रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है, तो दोबारा इसे तैयार क्यों नहीं किया जा रहा है। दोबारा रिकॉर्ड तैयार करने की प्रक्रिया शुरू क्यों नहीं की जा रही है।  इस पर बताया गया कि इस मामले में सिर्फ आरोप पत्र की कार्बन कॉपी उपलब्ध है। अन्य दस्तावेज भी नहीं मिल रहे हैं। इसके लिए डोरंडा पुलिस स्टेशन में संपर्क करने पर पता चला कि थाना का भवन ट्रांसफर हो गया है।अब पुराना रिकॉर्ड मिलना मुश्किल है। 
धीमी गति से हुई जांच
हाइकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि जब कमेटी गायब रिकॉर्ड का पता नहीं लगा पायी,  तो इस कमेटी को भंग क्यों नहीं किया गया। यह कमेटी कछुए से भी धीमी गति से जांच कर रही थी,  तो उसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया। एसएसपी ऑफिस और डोरंडा पुलिस स्टेशन से संपर्क कर दोबारा रिकॉर्ड लेने में दिलचस्पी क्यों नहीं दिखायी गयी। यह एक गंभीर मामला है। इस कारण इस पूरे मामले की जांच कराना जरूरी है।