झारखंड: Happy Birthday दशोम गुरु: शिबू सोरेन 77 साल के हुए, तीन-तीन बार बने सीएम

झारखंड मुक्ति  मोरचा के अध्यक्ष, एक्स सीएम, एक्स सेंट्रल मिनिस्टर व राज्यसभा मेंबर शिबु सोरेन 11 जनवरी को 77 वर्ष के हो गये। शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी, 1944 को एकीकृत बिहार के हजारीबाग जिला अंतर्गत नेमरा में हुआ था

झारखंड: Happy Birthday दशोम गुरु: शिबू सोरेन 77 साल के हुए, तीन-तीन बार बने सीएम
  • झारखंड अलग राज्य का सपना और महाजनी प्रथा खत्म करने में अपना पूरा जीवन किया न्योछावर
  • पुत्र हेमंत सोरेन सीएम, बहु सीता सोरेन व छोटा बेटा है एमएलए

रांची। झारखंड मुक्ति  मोरचा के अध्यक्ष, एक्स सीएम, एक्स सेंट्रल मिनिस्टर व राज्यसभा मेंबर शिबु सोरेन 11 जनवरी को 77 वर्ष के हो गये। शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी, 1944 को एकीकृत बिहार के हजारीबाग जिला अंतर्गत नेमरा में हुआ था। नेमरा वर्तमान में झारखंड के रामगढ़ जिला में पड़ता है।

झारखंड अलग राज्य के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले दिशोम गुरु शिबू सोरेन तीन-तीन बार स्टेट के सीएम रह चुके हैं। लगातार कई बार दुमका से एमपी व सेंट्रल में मिनिस्टर भी रह चुके हैं।  इनके पुत्र हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के सीएम हैं। बहु सीता सोरेन व छोटा पुत्र बसंत सोरेन भी एमएलए हैं। शिबू सोरेन ने अपना पूरा जीवन झारखंडियों के उत्थान के लिए लगा दिया। उन्होंने झारखंड अलग राज्य बनाने, महाजनी प्रथा और सूदखोरी को खत्म करने के संघर्ष शुरु किया और उसे मुकाम तक पहुंचाया।

अलग झारखंड का सपना लिए कई आंदोलनकारी शहीद हुएव कई विभिन्न प्रकार की यातनाएं भी सहे। झारखंड के आदिवासी नेता शिबू सोरेन इन्हीं में से एक हैं। शिबू सोरेन को अब दिशोम गुरु के नाम से भी जाना जाता है। संताली में दिशोम गुरु का मतलब होता है देश का नेता। शिब सोरेन ने अलग राज्य के लिए लड़ाई में वर्षों तक जंगलों की खाक छानी। इस दौरान कई बार जेल गये।  तब तक आंदोलन करते रहे, जब तक महाजनी व सूदखोरी प्रथा को खत्म नहीं किया। झारखंड अलग राज्य को एक नयी दिशा दी।

शिबू सोरेन का आंदोलन
एकीकृत बिहार (अब झारखंड) में 1970 के दशक में राजनीतिक नक्शे में शिबू सोरेन का उदय हुआ था। शिबू सोरेन से पहले उनके पिता सोबरन सोरेन भी महाजनी प्रथा, सूदखोरी और शराबबंदी के खिलाफ जोरदार आंदोलन चलाये थे। पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन गोला उनके अधूरे कार्य को पूरा करने का बीड़ा उठाया और क्षेत्र से बाहर निकले। उस समय वह युवा थे। इस कारण युवा समेत अन्य लोगों को शराब से दूर रखने के साथ-साथ महाजनी प्रथा व सूदखोरी के खिलाफ आंदोलन शुरु किया। शिबू सोरेन ने धनबाद जिले के टुंडी ब्लॉक के पोखरिया से महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ अपना आंदोलन की शुरू किया था।

शिबु सोरेन ने  संताल समाज को जागरूक करने और लोगों को शिक्षित करने के लिए सोनोत संताल समाज का गठन किया।उन्होंने महाजनों की जमीन पर धान काटो अभियान शुरू किया था। इसके बाद से वह कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।शिबू सोरेन ने पोखरिया में में अपना आश्रम भी खोले थे।

झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन
कोयलांचल में एके राय, विनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन अलग-अलग आंदोलन चला रहे थे। वर्ष 1972 की चार फरवरी को तीनों एक साथ बैठे।सोनोत संताल समाज और शिवाजी समाज का विलय कर 'झारखंड मुक्ति मोर्चा' नामक नया संगठन बनाने का निर्णय हुआ। इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन हुआ। जेएमएम के गठन के साथ ही विनोद बिहारी महतो इसके पहले अध्यक्ष व शिबू सोरेन को महासचिव बने थे। 


महाजनों के खिलाफ धान काटो अभियान 
शिबु सोरेन ने धनबाद, हजारीबाग, गिरिडीह इलाकों में महाजनों के खिलाफ आंदोलन के साथ-साथ सामूहिक खेती, सामूहिक पशुपालन और रात्रि पाठशाला के जरिये रचनात्मक काम भी शुरू किया था। इसी दौरान महाजनों के खिलाफ धान काटो अभियान भी शुरू हुआ। शिबू सोरेन के आहवान पर आदिवासी महिलाएं खेतों में उतर धान काटना शुरू कर दी। आदिवासी पुरुष खेतों के बाहर तीर-धनुष लेकर पहरा देते और आदिवासी महिलाएं धान काटती थी। इस दौरान स्थानों पर महाजन और पुलिस के साथ आंदोलनकारियों का संघर्ष भी हुआ था। इस संघर्ष में कई लोग शहीद भी हुए। शिबू सोरेन पर  विभिन्न थानों में मामला भी दर्ज हुआ था।
अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए शिबू सोरेन ने गिरिडीह जिले के पारसनाथ की पहाड़ी पर शरण लिये। उन्होंने यहीं से आंदोलन का संचालन भी किया था। कांग्रेस लीडर ज्ञानरंजन और धनबाद के तत्कालीन डीसी केबी सक्सेना के सहयोग से बोकारो एयरपोर्ट पर शिबू सोरेन ने सरेंडर किया था। हालांकि, दो महीने के अंदर ही वह जेल से बाहर आ गये। 

गुरुजी ने 1977 में पहला चुनाव लड़ा
शिब सोरेन उर्फ गुरुजी ने राजनीति में कदम रखा। लोकसभा के बाद वर्ष 1977 में टुंडी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन दोनों चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। वर्ष 1978 में शिबू सोरेन ने संताल परगना की ओर रूख किया। उन्होंने संघर्ष कर यहां की आदिवासियों की भूमि को महाजनों और साहूकारों के चंगुल से मुक्त कराया। इसके साथ ही गुरुजी ने इस क्षेत्र को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। 
1980 में दुमका लोकसभा सीट से चुनाव जीते
गुरुजी वर्ष 1980 के मध्यावधि चुनाव में दुमका (सुरक्षित) लोकसभा सीट से मैदान में उतरे और उनकी जीत हुई। वह JMM के पहले सांसद बने। 1980 के विधानसभा चुनाव में संताल परगना के 18 में से नौ सीटों पर JMM की जीत हुई। इस जीत ने बिहार की राजनीति में भूचाल दिया। गुरुजी को 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पृथ्वीचंद्र किस्कू ने पराजित कर दिया।  लेकिन वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने एक बार फिर अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज करायी। इसके बाद गुरुजी ने दुमका लोकसभा से 1986, 1989, 1991 और 1996 के चुनाव में जीत हासिल की। वर्ष 2002 में वह राज्यसभा के लिए चुने गये। फिर वर्ष 2004 में दुमका से लोकसभा सीट से जीते।

वर्ष 2004 में सेंट्रल कोल मिनिस्टर बने
शिबू सोरेन वर्ष 2004 में मनमोहन सिंह की कैबिनेट में कोल मिनिस्टर बने। चिरुडीह हत्याकांड में गिरफ्तारी वारंट आने के बाद उन्हें कैबिनेट से 24 जुलाई, 2004 को इस्तीफा देना पड़ा।  उल्लेखनीय हैकि कि वर्ष 1975 में जामताड़ा के चिरुडीह में 'बाहरी' लोगों (आदिवासी में इन्हें 'दिकू' कहा जाता है) के खिलाफ आंदोलन शुरु किया गया था। वर्ष 1975 की 23 जनवरी को बाहरी लोगों को खदेड़ने के लिए शुरु किया गयाआंदोलन हिंसक रूप ले लिया।हिंसा में 11 लोगों की मौत हो गयी थी। इस मामले को लेकर गुरुजी समेत 68 लोगों को आरोपी बनाया गया था।यह हत्याकांड वर्षों तक सुर्खियों में रहा। इसी मामले में कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के कारण गुरुजी को कोल मिनिस्टर के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।


तीन-तीन बार सीएम बने 
वर्ष 2000 की 15 नवंबर को बिहार से झारखंड अलग राज्य बना। बीजेपी के बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले सीएम बने थे। शिबु सोरेन तीन-तीन बार झारखंड के सीएम बने। वह पहली बार वर्ष 2005 में झारखंड के तीसरे सीएम बने।उननका कार्यकाल 2 मार्च, 2005 से लेकर 11 मार्च, 2005 तक 10 दिनों का रहा। दूसरी बार वह 27 अगस्त, 2008 से 12 जनवरी, 2009 तक सीएम रहे। तीसरी बार 30 दिसंबर, 2009 से 31 मई, 2010 तक पांच माह तक सीएम रहे। तीसरी बार सीएम बनने के दौरान शिबू सोरेन लोकसभा मेंबर भी थे। स्टेट में बीजेपी के सहयोग से सरकार बनाये शिबू सोरेन ने संसद में यूपीए को वोट कर दिया। इससे नाराज बीजेपी ने झामुमो से नाता तोड़ लिया और शिबू सोरेन की सरकार गिर गयी।

सीएम रहते तमाड़ से विधानसा चुनाव हारे 

मधु कोड़ा ने  27 अगस्त, 2008 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन सीएम बने। हालांकि, संवैधानिक प्रावधान के अनुसार छह माह के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना था। इसी बीच तमाड़ के जेडीयू एमएलए रमेश सिंह मुंडा की मर्डर के बाद यहां उपचुनाव हुआ था। सीएम रहते शिबू सोरेन ने वर्ष 2009 के उपचुनाव तमाड़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। लेकिन, झारखंड पार्टी के राजा पीटर से वह चुनाव हार गये।इस कारण सीएम का पद छोड़ना पड़ा।