झारखंड: CM हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट में दाखिल किया जबाव, कहा- माइंस लीज मामले में याचिका राजनीतिक साजिश

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की ओर से स्टोन माइंस लीज  लिए जाने के मामले में हाई कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया है। सीएम के एडवोकेट अमृतांश वत्स ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। जवाब में कहा गया कि इस मामले में चुनाव आयोग की ओर से संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी कर दिया गया है। चुनाव आयोग को की गई शिकायत और याचिका में समान बातें कही गई हैं। इससे प्रतीत होता है कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है। उनके खिलाफ राजनीति से प्रेरित होकर याचिका दायर की गई है। इसमें तथ्यों को छिपाया गया है। इस कारण भारी हर्जाने के साथ याचिका खारिज कर देनी चाहिए।

झारखंड: CM हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट में दाखिल किया जबाव, कहा- माइंस लीज मामले में याचिका राजनीतिक साजिश
  • याचिकाकर्ता ने तथ्यों को छुपाया , याचिका सुनवाई योग्य नहीं

रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की ओर से स्टोन माइंस लीज  लिए जाने के मामले में हाई कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया है। सीएम के एडवोकेट अमृतांश वत्स ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। जवाब में कहा गया कि इस मामले में चुनाव आयोग की ओर से संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी कर दिया गया है। चुनाव आयोग को की गई शिकायत और याचिका में समान बातें कही गई हैं। इससे प्रतीत होता है कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है। उनके खिलाफ राजनीति से प्रेरित होकर याचिका दायर की गई है। इसमें तथ्यों को छिपाया गया है। इस कारण भारी हर्जाने के साथ याचिका खारिज कर देनी चाहिए।

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सीएम की ओर से जबाव में कहा गया है कि  प्रार्थी शिवशंकर शर्मा का परिवार दो दशक से उनका विरोध कर रहा है। प्रार्थी के पिता दिनेश शर्मा ने उनके पिता शिबू सोरेन के खिलाफ तीस हजारी कोर्ट में गवाही दी थी। इसके बाद से ही पूरा परिवार उनका राजनीतिक विरोधी रहा है। जहां तक माइनिंग लीज का सवाल है, तो उन्हें पूरे नियमों के तहत यह लीज मिला था। लेकिन उन्हें इसके संचालन का कंसेंट नहीं मिला था। इस बीच चार फरवरी 2022 को उन्होंने बिना खुदाई किए लीज को सरेंडर कर दिया है। जिस समय यह याचिका दायर की गई उस समय उनके पास माइनिंग लीज नहीं थी। इससे प्रतीत होता है कि यह याचिका बिना किसी तथ्यों के और कोर्ट में तथ्य छिपा कर दाखिल की गई है।

हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई टली

लीज आवंटन मामले में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को टल गई। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की कोर्ट में यह मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था, लेकिन कोर्ट नहीं बैठी। अब अगले सप्ताह इस मामले में सुनवाई होने की संभावना है। सीएम के खिलाफ प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सीएम रहते हेमंत सोरेने माइनिंग लीज अपने नाम आवंटित की है। खान विभाग भी उनके पास ही है। ऐसे में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत विधानसभा से उनकी सदस्यता रद्द कर देनी चाहिए। इसके लिए पूर्व में कोर्टत ने सीएम हेमंत सोरेन को नोटिस जारी किया था। उनकी ओर से जबाव दाखिल कर दिया गया है।

याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्म पर उठाया सवाल

 याचिका में प्रार्थी शिव शंकर शर्मा के क्रेडेंशियल पर सवाल उठाया गया है। कहा गया है कि उन्होंने अपने बारे में सारी जानकारी कोर्ट में नहीं दी है। जबकि हाई कोर्ट रूल्स के मुताबिक उन्हें पूरी जानकारी देनी चाहिए थी। शिव शंकर शर्मा के पिता डा. गौतम शर्मा हमारे पिता (शिबू सोरेन) के दिल्ली में दर्ज एक मामले में गवाह थे। जिसमें शिबू सोरेन को सजा हुई थी, लेकिन दिल्ली कोर्ट ने सजा को निरस्त कर दिया था। उनके बेटे शिव शंकर शर्मा इस मामले में प्रार्थी है।

याचिकाकर्ता का परिवार पहले से रहा है विरोधी

प्रार्थी का परिवार बहुत पहले से ही उनका विरोधी रहा है। इसलिए ऐसा किया जा रहा है। इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इसे भारी जुर्माने के साथ खारिज करना चाहिए। जहां तक माइनिंग लीज का सवाल है, तो उन्हें पूरे नियमों के तहत यह लीज मिला था। लेकिन उन्हें इसके संचालन का कंसेंट नहीं मिला था। इस बीच चार फरवरी 2022 को उन्होंने बिना खुदाई किए लीज को सरेंडर कर दिया है। जिस समय यह याचिका दायर की गयी उस समय उनके पास माइनिंग लीज नहीं थी।

उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सीएम हेमंत सोरेन को नोटिस जारी किया था। शुक्रवार यानी आज इस मामले में हेमंत सोरेन की ओर से अदालत में जवाब दाखिल कर दिया गया है। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अमृतांश वत्स पक्ष रखने वाले थे।

 शिव शंकर शर्मा ने दाखिल की है हाई कोर्ट में याचिका

 शिव शंकर शर्मा की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। पिछली सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को बताया था कि मुख्‍यमंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन की लीज आवंटित कर दी गई। यह संविधान के अनुच्छेद 191 का उल्लंघन है। लाभ के पद पर रहते हुए इस तरह का व्यवसाय नहीं कर सकते हैं। ऐसा करने पर उस व्यक्ति की सदस्यता समाप्त किए जाने का प्रविधान है।इस पर सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा था कि वर्ष 2008 में हेमंत सोरेन को खनन पट्टा मिला था। वर्ष 2018 में लीज समाप्त हो गया। इसके बाद नवीकरण के लिए आवेदन दिया था। शर्तों को पूरा नहीं करने पर लीज नवीकरण रद कर दिया गया। सितंबर 2021 में विभाग की ओर से फिर से लीज आवंटित कर दी गई। फरवरी 2022 में लीज सरेंडर कर दिया गया।

एक्स सीएम रघुवर दास ने किया था मामले का खुलासा

 एक्स सीएम व बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने प्रेस कांफ्रेस कर आरोप लगाया था कि सीएम हेमंत सोरेन ने अपने नाम से खनन पट्टा लिया है। हेमंत सीएम होने के साथ-साथ खनन विभाग के मंत्री भी हैं। इस खुलासे के बाद झारखंड की राजनीति में भूचाल आ गया था। बीजेपी ने इसकी कंपलेन गवर्नर रमेश बैश से की। गवर्नर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेज दी।इसके बाद चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव से रिपार्ट मांग ली। अब आयोग ने सीएम से जबाव मांगा है। राजनीतिक गलियारों में सीएम हेमंत सोरेन के पद को लेकर तरह तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं। इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता शिव शंकर शर्मा ने इसकी शिकायत झारखंड हाईकोर्ट में कर दी। झारखंड हाई कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए सुनवाई शुरू कर दी है।

झारखंड से दिल्ली तक गरम है राजनीति

झारखंड से दिल्ली तक इस मामले को लेकर बीजेपी, कांग्रेस के नेता सक्रिय दिख रहे हैं। भाजपा इसे पद का दुरुपयोग और संविधान का उल्लंघन बता रही है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी किसी तरह से झामुमो सरकार को गिरा कर खुद की सरकार बनाने की साजिश रच रही है। झामुमो भी इस सवाल को लेकर हेमंत सोरेन के बचाव में तरह-तरह का बयान दे रहा है।