Jharkhand : शराब घोटाला में एसीबी का बड़ा एक्शन, झारखंड के आईएएस अफसर विनय चौबे अरेस्ट

झारखंड के आईएएस अफसर व एक्स उत्पाद सचिव विनय चौबे को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने शराब घोटाले के मामले में अरेस्ट कर लिया  है। संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है।  विनय चौबे जब उत्पाद विभाग के सचिव रहे हैं। उनके ही कार्यकाल में कथित तौर पर शराब घोटाला हुआ था। पूरा मामला झारखंड में 31 मार्च 2022 से लागू नई उत्पाद नीति से संबंधित है।

Jharkhand : शराब घोटाला में एसीबी का बड़ा एक्शन, झारखंड के आईएएस अफसर विनय चौबे अरेस्ट
जेल भेजे गये विनय चौैबे।
  • संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया

रांची। झारखंड के आईएएस अफसर व एक्स उत्पाद सचिव विनय चौबे को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने शराब घोटाले के मामले में अरेस्ट कर लिया  है। संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है।  विनय चौबे जब उत्पाद विभाग के सचिव रहे हैं। उनके ही कार्यकाल में कथित तौर पर शराब घोटाला हुआ था। पूरा मामला झारखंड में 31 मार्च 2022 से लागू नई उत्पाद नीति से संबंधित है।
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शराब घोटाला मामले में आईएएस विनय चौबे और गजेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के बाद उन्हें एसीबी की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को तीन जून तक (14 दिन) न्यायिक हिरासत में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया है। जल्द ही दोनों एसीबी दोनों को रिमांड पर लेकर भी पूछताछ करेगा। हालांकि, अब तक एसीबी ने रिमांड के लिए कोर्ट में आवेदन नहीं दिया है। एसीबी ने कोर्ट को बताया कि दोनों ही अधिकारियों के विरुद्ध एसीबी प्रारंभिक जांच (पीई) कर रहा था। पीई में दोनों ही अधिकारियों के विरुद्ध अपराध की पुष्टि हुई। इसके बाद दोनों के विरुद्ध एसीबी ने एफआइआर दर्ज कर गिरफ्तार किया। अब इस पूरे प्रकरण में एसीबी अपनी जांच को और आगे बढ़ायेगा।
सुबह एसीबी लेकर पहुंची ऑफिस, शाम में अरेस्टिंग
एसीबी की टीम आईएएस अफसर विनय कुमार चौबे को सुबह लगभग 10 बजे उनके आवास से एसीबी ऑफिस लेकर पहुंची और पूछताछ शुरू की। एसीबी ने संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह को भी पूछताछ के लिए एसीबी ऑफिस बुलाया था। दोपहर लगभग दो बजे दोनों को गिरफ्तार करने की प्रक्रिया के तहत एसीबी ने मेडिकल टीम को बुलाया। शाम लगभग चार बजकर 40 मिनट पर एसीबी ने उन्हें विधिवत गिरफ्तार किया और दोनों को लेकर एसीबी की विशेष अदालत में पहुंची। कोर्ट को गिरफ्तारी की वजह बताई और फिर जेल भेजने की कार्रवाई हुई।
मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमति के बाद हुई  दोनों की गिरफ्तारी
राज्य में शराब घोटाला मामले में एसीबी झारखंड ने प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। पीई में एसीबी को यह सबूत मिले कि उत्पाद विभाग में नियमों को ताक पर रखकर प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन हुआ और उन्हें अनैतिक लाभ पहुंचाया गया।इससे झारखंड सरकार को लगभग 38 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा। इसके बाद ही एसीबी ने मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमति लेकर 20 मई 2025 को एसीबी रांची थाना कांड संख्या 09/2025 में एफआइआर दर्ज की।
इसमें उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव सह जेएसबीसीएल के तत्कालीन प्रबंध निदेशक तथा संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह व अन्य को आरोपित बनाया गया है। 


यह है पूरा मामला
वर्ष 2021 के अंतिम दिनों में राज्य के शराब बिजनसमैन के बीच यह चर्चा शुरू हुई कि 2022-23 से नयी शराब नीति आने वाली है। इसमें छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का दबदबा रहेगा। इन्हीं चर्चाओं के बीच उत्पाद विभाग ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग लिमिटेड (सीएसएमएल) को झारखंड में शराब के राजस्व बढ़ाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया।उत्पाद नीति बनाने में सलाह देने के लिए सरकार ने अरूणपति त्रिपाठी की फीस 1.25 करोड़ रुपये निर्धारित किया। नयी उत्पाद नीति बनाने के बाद उसे राजस्व पर्षद सदस्य के पास सहमति के लिए भेजी गयी। उस वक्त अमरेंद्र प्रसाद सिंह राजस्व पर्षद सदस्य थे। उन्होंने उत्पाद नीति पर अपनी असहमति जताते हुए कई मामलों में बदलाव लाने का सुझाव दिया। साथ ही यह टिप्पणी भी कि जिस कंपनी को राजस्व बढ़ाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया, वह अपने राज्य में शराब का राजस्व नहीं बढ़ा पा रही है।
झारखंड में शराब के राजस्व का ग्रोथ, छत्तीसगढ़ से ज्यादा है। ऐसे में वह कंपनी झारखंड में राजस्व बढ़ाने के लिए क्या सलाह देगी, ये समझ से परे है। राजस्व पर्षद सदस्य द्वारा दिये गये सुझाव को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए राज्य सरकार ने नयी उत्पाद नीति की घोषणा की।नयी नीति के घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का झारखंड में शराब के व्यापार पर कब्जा हो गया। टेंडर में लगायी गयी शर्तों के मद्देनजर थोक व्यापार इशिता और ओमसाई नाम की कंपनियों के हाथों चला गया। शराब के राजस्व पर नियंत्रण बनाये रखने के लिए बोतलों को लगाया जाने वाले होलोग्राम बनाने का काम भी छत्तीसगढ़ सिंडिकेट में शामिल प्रिज्म नाम की कंपनी को दे दिया गया। सरकार द्वारा चलायी जाने वाली खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर सप्लाई का काम भी छत्तीसगढ़ की कंपनियों को मिला।
नयी उत्पाद नीति के कारण से सबसे पहले देशी शराब बनाने वाली कंपनियां प्रभावित हुईं। 2022-23 से पहले झारखंड में देशी शराब प्लास्टिक के बोतल में बेचने का नियम था। लेकिन छत्तीसगढ़ सिंडिकेट ने प्लास्टिक के बदले शीशे की बोतल में देसी शराब बेचने का नियम लागू करवा दिया। इससे झारखंड में देसी शराब के बॉलिंग प्लांट बंद हो गये।इसके बाद छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में पड़े देसी शराब के स्टॉक को झारखंड में बेचा। इसके बाद झारखंड के देसी शराब बनाने वाली कंपनियों से मिल कर पार्टनशिप करने की कोशिश की. लेकिन झारखंड की ज्यादातर कंपनियां इसके लिए तैयार नहीं हुई।
इन कंपनियों को उत्पाद विभाग के अफसरों से मिल कर किसी ना किसी तरह परेशान किया जाता है। इस बीच छत्तीसगढ़ ईडी द्वारा छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अरूण पति त्रिपाठी व अन्य को अभियुक्त बनाये जाने के बाद शराब सिंडिकेट के कुछ लोग झारखंड से चले गये। जबकि सिंडिकेट की कुछ कंपनियों के साथ किये गये एकरारनामे को सरकार ने रद्द कर दिया। आरोप है कि इसके लिए जनवरी 2022 में झारखंड में उत्पाद नीति को बदलने के लिए छत्तीसगढ़ के अफसरों के साथ तत्कालीन उत्पाद सचिव व अन्य अफसरों ने प्लान किया और रायपुर में बैठक की थी।
2022 की उत्पाद नीति से संबंधित है मामला
विनय चौबे का यह मामला झारखंड में 31 मार्च 2022 से नयी उत्पाद नीति से संबंधित है। आरोप है कि जनवरी 2022 में झारखंड में उत्पाद नीति में बदलाव के लिए छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ तत्कालीन उत्पाद सचिव और अन्य अधिकारियों ने प्लान किया और रायपुर में बैठक की थी। यह भी आरोप है कि उत्पाद नीति लागू होने के बाद भी लगातार दो वर्षों तक झारखंड उत्पाद नीति में छत्तीसगढ़ की एजेंसियां कार्यरत रहीं. नकली होलोग्राम, अवैध शराब की सप्लाई से झारखंड सरकार को करोड़ों की क्षति हुई।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से भी है विनय चौबे का कनेक्शन
विनय चौबे का छत्तीसगढ़ शराब घोटाला से भी कनेक्शन बताया जाता है। छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की आर्थिक अपराध शाखा ने पिछले दिनों झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग को इससे संबंधित पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया था कि छत्तीसगढ़ एसीबी विनय कुमार चौबे और उत्पाद विभाग के अफसर गजेंद्र सिंह के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति चाहती है। वह दोनों अफसरों पर मुकदमा दर्ज करना चाहती है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की आर्थिक अपराध शाखा ने शराब घोटाले का एक मामला दर्ज किया था। इसमें छत्तीसगढ़ के कई अफसरों के साथ-साथ झारखंड के विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। विनय चौबे अप्रैल 2023 में छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में अपना बयान दर्ज करवा चुके हैं। विनय चौबे के अलावा करण सत्यार्थी ने भी अपना बयान रिकॉर्ड करवाया है।
विनय और करण ने रायपुर जाकर दर्ज कराया था बयान
झारखंड के अफसरों विनय चौबे और गजेंद्र सिंह पर आरोप है कि छत्तीसगढ़ के अफसरों अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकार को राजस्व की क्षति पहुंचायी। झारखंड कैडर के गो आईएएस अफसर विनय चौबे और करण सत्यार्थी ने रायपुर जाकर ईडी ऑफिस में अपना बयान दर्ज कराया था। झारखंड में भी एसीबी ने शराब घोटाला मामले में एक पीई दर्ज की थी। इसी मामले में विनय चौबे और गजेंद्र सिंह अरेस्ट कर लिये गये हैं।