Dhanbad: बीसीसीएल के एक्स सीएमडी समीरण दत्ता व डीएफ राकेश सहाय के ग्रेच्युटी भुगतान पर रोक, भ्रष्टाचार मामले में चार्जशीट
धनबाद: बीसीसीएल में 1500 करोड़ घोटाले की जांच, पूर्व सीएमडी समीरण दत्ता व डीएफ राकेश सहाय पर गिरी गाज, ग्रेच्युटी पर रोक और चार्जशीट।

- आउटसोर्सिंग कंपनी को लाभ देने के फेर में फंसे
धनबाद। कोल इंडिया की अनुसांगिक इकाई बीसीसीएल में 15 सौ करोड़ का घोटाला मामले की जांच आगे बढ़ते ही घेरे में कई टॉप लेवल के अफसर आ गये हैं। बीसीसीएल के सीएमडी समीरण दत्ता व डीएफ राकेश सहाय (31 अगस्त 2025 को रिटायर) के ग्रेच्युटी भुगतान पर रोक लग गयी है। कोल मिनिस्ट्री ने दोनों को भ्रष्टाचार के आरोप में चार्जशीट किया है।
यह भी पढ़ें:धनबाद: मारवाड़ी युवा मंच झरिया शाखा ने कन्या भ्रूण संरक्षण को ले चलाया जागरूकता पोस्टर अभियान
अब जब तक अफसरों क्लीयरेंस नहीं मिल जाता, तब तक ग्रेच्युटी की राशि का पेमेंट नहीं किया जायेगा। इन अफसरों को कंट्रीब्यूटरी पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकल स्कीम कार्ड भी निर्गत नहीं किया जायेगा।कोल मिनिस्टरी ने सीसीएल के डीपी एचआर मिश्रा, डीटी टी नागाजारी, एमसीएल के सीएमडी उदय कोले, बीसीसीएल रके रिटायर डीटी संजय सिंह के अलावा कंपनी के वर्तमान आधा दर्जन से अधिक जीएम व अन्य सीनीयरो अफसरों को भी शो कॉज किया गया है। ये अफसर अभी पदग पर हैं इस कारण चार्जशीट नहीं किया गया है।
पिछले दिनों आउटसोर्सिंग के दो अलग-अलग मामलों में सर्वाधिक डेविएशन को मंजूरी देने को लेकर सीएमडी व डायरेक्टर बोर्ड समेत दर्जन भर अफसरों को शोकॉज किया था। सीवीसी को बीसीसीएल के कुजामा पैच-जी व भौरा फोर-ए पैच के एचइएमएम कार्य में नियमों की अनदेखी, अनुबंध मूल्य से अधिक डेविएशन सहित अन्य अनियमितताएं मिली थीं। आरोप है कि एनआइटी और टेंडर दस्तावेजों में यह प्रावधान था कि अनुबंध मूल्य में अधिकतम 30 प्रतिशत तक ही विचलन (डेविएशन) की अनुमति दी जायेगी, लेकिन जांच में पाया गया कि प्रथम विचलन में ही यह सीमा पार कर ली गयी थी।मामले की विजिलेंस जांच चल रही है। इस मामले में सीएमडी और डीएफ को पहले शकॉज किया गया था। दोनों अफसरों ने ने इसका जवाब दे दिया है। दोनों का रिटायरमेंट 31 अगस्त था इस कारण दोनों चार्जशीट कर दिया गया है।
डायरेक्टर लेवल से नीचे के छह अफसरों को हुआ था शोकॉज
विजिलेंस जीएंम ने पांच अगस्त को तकनीकी कमेटी के छह अफसरों को शोकॉज किया। इसमें जीएम धनराज अखारे, कुमार राजीव, मिथिलेश कुमार, एसए तालमले, संजय कुमार अग्रवाल, दीपंकर मैथी शामिल हैं। इनसे पूछा गया कि जब कुजामा में एमडीओ प्रोजेक्ट बनाना है तो डेविएशन की क्या जरूरत थी। फिर 30 परसेंट से अधिक का डेविएशन किस आधार पर दिया।
बीसीसीएल में 2021 से लेकर अब तक के कई माइनिंग कंट्रेक्ट की जांच शुरू हो गयी है। इन गड़बड़ी में कथित रुप से संलिप्त बीसीसीएल के सीएमडी, फंक्शनल डायरेक्टर, संबंधित विभाग के जीएम, टेंडर कमेटी, तकनीकी कमेटी के साथ नोडल अफसर समेत तीन दर्जन अफसरों को शोकॉज हुआ था। सभी अफसरों को 20 से 31 अगस्त तक जवाब देना थे। कंपनी ने प्रकरण की पूरी फाइल कोल मिनिस्टरी और सीवीसी को भेजी है। इस दौरान कुछ अफसर पहले ही रिटायर भी हो गये हैं जिनकी भूमिका की भी जांच हो चल रही है। संविदा प्रबंधन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। इस विभाग के भी अफसर व पहले रिटायर हो गये अफसर भी जांच के दायरे में हैं।
ऐसे किया गया खेल
आउटसोर्सिंग कंपनी को माइनिंग का जितना वर्क ऑर्डर मिलता है, उसमें अधिकतम विस्तार का मानक तय है। बावजूद तय मानक से अधिक का प्रोजेक्ट विस्तार के लिए वर्क ऑर्डर दिया गया है। इसे तकनीकी कमेटी, निविदा कमेटी व फंक्शनल डायरेक्टर की बैठक में दिया गया था। बीसीसीएल सोर्सेज का कहना है कि नौ जून 2023 व 21 फरवरी 2024 हुई तकनीकी कमेटी की बैठक में डेविएशन की मंजूरी दी गयी। बाद में टेंडर व तकनीकी कमेटी ने भी हरी झंडी दी। एफडी की बैठक में भी अनुमति दे दी गयी।