धनबाद: दिनकर जी की कविताओं का ओज की तुलना किसी औेर कवि की रचनाओं से नहीं की जा सकती: बाबूलाल

झारखंड के एक्स सीएम व बीजेपी विधायक दल केो नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि  रामधारी सिंह दिनकर को राष्ट्रकवि की उपाधि यूं ही नहीं दी गई थी। उनकी लेखनी और वाणी में ऐसा ओज था, जिसे सुनते ही युवा रगों में दौड़ता खून देश के लिए न्योछावर होने को तत्पर हो जाता था।

धनबाद: दिनकर जी की कविताओं का ओज की तुलना किसी औेर कवि की रचनाओं से नहीं की जा सकती: बाबूलाल
  • ओम दिनकर सेवा ट्रस्ट द्वारा दिनकर जयंती समारोह आयोजित

धनबाद। झारखंड के एक्स सीएम व बीजेपी विधायक दल केो नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि  रामधारी सिंह दिनकर को राष्ट्रकवि की उपाधि यूं ही नहीं दी गई थी। उनकी लेखनी और वाणी में ऐसा ओज था, जिसे सुनते ही युवा रगों में दौड़ता खून देश के लिए न्योछावर होने को तत्पर हो जाता था। बाबूलाल मरांडी गुरूवार को धनबाद में ओम दिनकर सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 113वीं जयंती समारोह समारोह को संबोधित कर रहे थे। 

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मरांडी ने कहा कि दिनकर जी की कविताओं का ओज की तुलना किसी औेर कवि की रचनाओं से नहीं की जा सकती। उनकी कविताएं ना केवल चीनी सीमा पर 1965 युद्ध के समय भारतीय जवानों की रंगों में दौड़ते खून में उबाल ला देती थी, बल्कि सन 74 के जेपी आंदोलनकारियों के लिए असरकारक थी।उन्होंने कहा कि दिनकर जी की अछ्वुत काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर नेहरू जी ने उन्हें राष्ट्रकवि का दर्जा दिया था। ऐसे महापुरूष की जयंती पर होनेवाले कार्यक्रम में शामिल होकर ही वह खुद को गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। 

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महापुरुषों की जयंती पर स्कूल व कॉलेज में हो कार्यक्रम का आयोजन
बाबूलाल ने राष्ट्रकवि दिनकर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए में कहा आज अधिकांश देखा गया है कि महापुरुषों के जयंती पर चौक - चौराहे पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाता है। इसके कारण उनके बारे में जानने समझने का मौका नहीं मिलता। ऐसे अवसर पर  विद्यालय महाविद्यालय सभी शिक्षण संस्थानों में छुट्टी के बजाय उनसे जुड़े समारोह आयोजित किया जाना चाहिए।जिससे बच्चों को महापुरुषों के बारे में जानने समझने का मौका मिले।उन्होंने कहा महापुरुषों का जीवन संघर्षो में ही गुजरा। कवि दिनकर ने भी कई संकट झेले। राम- कृष्ण का जीवन भी संघर्ष में बीता। कृष्ण को भी गोपियों को छोड़ना पड़ा। राम काे भी वनवास जाना पड़ा। विवेकानंद जीवन भर विश्व भ्रमण करते रहे। यह भी सत्य है कि बिना तपाए सोना भी नहीं चमकता।
जेब में दुनिया की लाइब्रेरी

उन्होंने कहा आज कुछ भी छिपा नहीं है सभी चीजें उपलब्ध है। लोगों की जेब में दुनिया भर की लाइब्रेरी है जरूरत है गूगल पर जाकर इतिहास को समझने की। दिनकर जी जैसे राष्ट्र कवि को समझने की जरूरत है जिन्होंने गुलामी को जंजीरों को तोड़ने के लिए युवाओं में अपनी कविता के माध्यम से जोश भरा।
दिनकर जी को नौकरी मिलता तो वे राष्ट्र कवि नहीं बनते
उन्होंने कहा कि अगर हम आने वाले पीढ़ियों को तैयार नहीं करेंगे तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। उन्होंने शिक्षाविद रवि चौधरी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने कई लोगों को रोजगार दिया उन्हें कामयाब बनाया। उन्होंने सभी लोगों से कहा कि राष्ट्रकवि के कविता को सिर्फ पढ़े नहीं बल्कि उसे जीवन में उतारे। दूसरे लोगों की पीड़ा को कैसे कम किया जाए उसके बारे में सोचें।
बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में कई प्रशंसनीय कार्य हुए
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समिति के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा कि बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में हुए कार्यो की प्रशंसा करते हुए कहा कभी ऐसा भी समय था जब सड़क पर गड्ढा या गड्ढे में सड़क का पता नही चल पाता था। इनके कार्यकाल में राज्य की सड़कों की हालत सुधरी।  वास्तव में बाबूलाल जननेता है। उन्होंने कहा कि दिनकर जी केवल ओज के ही कवि नहीं थे। बल्कि उर्वशी के माध्यम से उन्होंने समाज में नारी के तप और त्याग को एक अलग ही अंदाज में पेश कर महिलाओं की महानता को नई उंचाई प्रदान की।कार्यक्रम के दौरान दिनकर जी की दो अमूल्य रचनाओं रश्मिरथी और हिमालय का सस्वर पाठ कर रवि चौधरी और पीके राय कालेज की प्रोफेसर डा. श्वेता ने अलग ही तरीके से श्रद्धांजलि दी। 
ट्रस्ट के संरक्षक रवि चौधरी ने कहा की दिनकर जी ने जिस प्रकार से देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़े देखा उन्होंने जो अपनी कविताओं में हुंकार और ललकार भरी, बच्चों को प्रेरित किया और उनकी जो प्रेरणा है वह बर्बस हमे खींच लाती है। देश की आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी मिलने तक के सफर को दिनकर ने अपनी कविताओं द्वारा व्यक्त किया। जब - जब हिंदी साहित्य की बात होगी, वीर रस की कविता, गाथाओं की बात चलेगी दिनकर जी का नाम आयेगा।आज के युवाओं को उनके व्यक्तित्व उनके जीवनी से प्रेरणा लेनी चाहिए।

धनबाद में राष्ट्रकवि दिनकर की प्रतिमा स्थापित किये जाने की मांग की गयी। मंच का संचालन बबलु तिवारी ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रुप से डॉ केके शर्मा, सत्येंद्र कुमार, जितेंद्र कुमार, वैभव सिंहा, एनपी सिंह, अमित कुमार ओझा, मंजु शर्मा, सुमन चौधरी और रंजना उपस्थित थे।