Dhanbad: तीन सूत्री मांगों को लेकर IIT ISM के researchers का प्रदर्शन,सुपरवाइजर पर घरेलू कार्य कराने का आरोप

अखिल भारतीय शोधार्थी संघ के आह्वान पर IIT ISM में सेंट्रल लाइब्रेरी पर बड़ी संख्या में रिसर्च स्कॉIलर्स ने एकेडमिक बिल्डिंग के समक्ष प्रदर्शन किया। रिसर्च स्कॉपलर्स ने फैलोशिप बढ़ोतरी समेत तीन सूत्री मांग है। देशभर के आइआइटी में रिसर्च स्कॉषलर्स फैलोशिप बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। 

Dhanbad: तीन सूत्री मांगों को लेकर IIT ISM के researchers का प्रदर्शन,सुपरवाइजर पर घरेलू कार्य कराने का आरोप

धनबाद। अखिल भारतीय शोधार्थी संघ के आह्वान पर IIT ISM में सेंट्रल लाइब्रेरी पर बड़ी संख्या में रिसर्च स्कॉIलर्स ने एकेडमिक बिल्डिंग के समक्ष प्रदर्शन किया। रिसर्च स्कॉपलर्स ने फैलोशिप बढ़ोतरी समेत तीन सूत्री मांग है। देशभर के आइआइटी में रिसर्च स्कॉषलर्स फैलोशिप बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। 

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2019 से नहीं बढ़ा फैलोशिप स्टा इपेंड

research students का कहना था कि प्रत्येक चार वर्ष में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।अभी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव की ओर से कोई भी आधिकारिक ज्ञापन जारी नहीं हुआ, जबकि देशभर के शोध छात्र-छह महीने से इंतजार कर रहे हैं। छात्रों को अपनी मांगों को लेकर प्रयोगशाला छोड़कर सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। भारतीय शोध संस्थानों में छात्रों की स्थिति बदतर होती जा रही है। शोध छात्र सुसाइड के शिकार हो रहे हैं। विभिन्न आइआइटी में हालिया घटनाएं उदाहरण हैं। शोधार्थियों का मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक, आर्थिक शोषण बढ़ता ही जा रहा है। तनावपूर्ण वातावरण पैदा हो गया है। ऐसे में जय अनुसंधान की परिकल्पना कैसे साकार होगी।छात्रों का कहना था कि 2019 के बाद से फैलोशिप में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जबकि पिछले चार वर्षों में महंगाई काफी बढ़ी है। 
HRA की राशि वर्तमान दर से देने की मांग
वर्तमान में जेआरएफ को 31000 और एसआरएफ को 35000 फैलोशिप राशि प्रतिमाह मिलती है। यह 2019 में निर्धारित हुई थी।इसमें 62 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 16 से 21 प्रतिशत एचआरए मिलना चाहिए। बिना किसी व्यवधान के पीएचडी शोधार्थियों को पूरे पांच वर्षों तक हर महीने फैलोशिप मिलनी चाहिए। इसके साथ ही टीचिंग असिस्टेंटशिप की राशि भी सुनिश्चित कर दी जाए। एचआरए की राशि वर्तमान दर से मिले।पीएचडी शोधार्थियों को सुपरवाइजर की ओर से रिसर्च के अलावा कोई अन्य घरेलू या व्यक्तिगत कार्य न दिया जाए। सुपरवाइजर और प्रबंधन की ओर से भी शोधार्थियों का शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, बौद्धिक शोषण करने पर दोषी व्यक्ति के खिलाफ तुरंत कार्रवाई का प्राविधान करते हुए तत्काल सस्पेंड कर दिया जाए। इन मांगों पर जल्द विचार न हुआ तो जंतर-मंतर पर अनशन के लिए बाध्य होंगे।