कांग्रेस संगठन सृजन अभियान: झारखंड कांग्रेस में बड़ा फेरबदल, 17-18 जिलाध्यक्ष बदलेंगे !

झारखंड कांग्रेस में संगठन सृजन अभियान के तहत बड़ा बदलाव होने जा रहा है। 17 से 18 जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं। पर्यवेक्षकों ने हर जिले से छह नाम की अनुशंसा की है। नयी टीम में युवा, एसटी-एससी और ओबीसी नेताओं को प्राथमिकता मिलेगी।

कांग्रेस संगठन सृजन अभियान: झारखंड कांग्रेस में बड़ा फेरबदल, 17-18 जिलाध्यक्ष बदलेंगे !
कांग्रेस जिलाध्यक्षों को मिलेंगे ज्यादा अधिकार।

  • राज्य के 25 जिलों में नई टीम की तैयारी
  • जातीय समीकरण पर नज़र
  • धनबाद समेत अधिकांश जिलाध्यक्षों की कुर्सी पर खतरा

रांची। झारखंड कांग्रेस में इन दिनों संगठनात्मक हलचल तेज है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में चल रहे संगठन सृजन अभियान के तहत जिलाध्यक्षों को बदलने का मन बना लिया है। अनुमान है कि 17 से 18 जिलाध्यक्षों की कुर्सी हिलने वाली है। केवल दो-चार ही ऐसे अध्यक्ष हैं जिनका परफॉर्मेंस और जनसंपर्क बेहतर रहा है, बाकी पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
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कांग्रेस नेतृत्व ने इस बार जिलाध्यक्ष चयन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने की पहल की है। हर जिले के लिए छह नामों की पैनल तैयार की गयी है, जिनमें से एक नाम पर आलाकमान मुहर लगायेगा। खास बात यह है कि पर्यवेक्षकों को सीधे दिल्ली से भेजा गया और उन्होंने एक-एक जिले में कैंप कर कार्यकर्ताओं, दावेदारों और लोकल नेताओं से फीडबैक लिया। सभी पर्यवेक्षकों ने 17 सितंबर को अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को सौंप दी है।
पर्यवेक्षकों को एक पोर्टल के माध्यम से अपनी रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को पर भेजा है। इसमें सभी संभावित छह लोगों का नाम प्राथमिकता के आधार दावेदारों के मजबूत और कमजोर पक्षों का उल्लेख है। साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों द्वारा दी गयी राय भी शामिल की गयी है। एआईसीसी से आये पर्यवेक्षकों के साथ प्रदेश के दो-दो नेताओं को भी जोड़ा गया था, लेकिन उन्हें जिलाअध्यक्षों की चयन प्रक्रिया से पूरी तरह अलग रखा गया है। लोकसभा व विघानसभा चुनाव में जिन नेताओं के बूथों पर पार्टी कैंडिडेट की बुरी तरह हार हुई है ‍वैसे नेताओं की रिपोर्ट में अलाकमान को भेजी गयी है।  जिलाध्यक्ष चयन के दौरान केसी वेणुगोपाल, प्रदेश प्रभारी के राजू और वार रूम के एक सदस्य ही अंतिम फैसला लेंगे। इसके बाद प्रदेश नेतृत्व को सूची भेज दी जायेगी। 
जिलाध्यक्षों की होगी नई भूमिका
कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि इस बार केवल चेहरे बदलने तक बात सीमित नहीं है। पार्टी जिलाध्यक्षों को अधिक अधिकार और जिम्मेदारी देने की तैयारी कर रही है। राहुल गांधी ने स्पष्ट किया है कि जिलाध्यक्ष अब पार्टी के पावर सेंटर होंगे। प्रत्याशी चयन से लेकर संगठन को मजबूत करने तक उनकी अहम भूमिका रहेगी। पहले यह आरोप लगता रहा है कि विधायक और मंत्री अपनी पसंद से जिलाध्यक्ष बनवाते थे ताकि टिकट वितरण में उनकी पकड़ बनी रहे। लेकिन अब नयी प्रक्रिया में उनका दबदबा लगभग खत्म कर दिया गया है। राहुल गांधी ने स्पष्ट किया है कि आने वाले दिनों में जिलाध्यक्षों को अधिक अधिकार दिये जायेंगे। ग्रास रूट पर संगठन को मजबूत करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ जिलाध्यक्ष को भी पावर सेंटर बनाया जायेगा। प्रत्याशी चयन में भी उनकी भूमिका होगी। 
सामाजिक समीकरण पर फोकस
कांग्रेस नेतृत्व ने साफ संकेत दिया है कि नये जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में सामाजिक संतुलन का ध्यान रखा जायेगा। लगभग 50% पद एसटी, एससी और ओबीसी समुदाय के नेताओं को दिए जायेंगे। केवल चार-पांच जिलों में ही अगड़ी जातियों को जिलाध्यक्ष की कुर्सी मिलने की संभावना है। यह कदम कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत पार्टी गांव और पंचायत स्तर तक अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है। 
पलामू से रांची तक चर्चाएं
पलामू में मुकाबला सबसे रोचक है। यहां राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के पुत्र प्रशांत का नाम तेजी से चर्चा में है। पर्यवेक्षकों ने भी उनके नाम पर सहमति जताई है। साथ ही एक्स मिनिस्टर केएन त्रिपाठी के करीबी विवेकानंद त्रिपाठी का नाम भी रेस में है। रांची में स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की पसंद डॉ. कुमार राजा हैं, जबकि कई नेता ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. राकेश किरण महतो को फिर से मौका दिलाना चाहते हैं। धनबाद, बोकारो और गिरिडीह जैसे जिलों में भी कुर्सी की खींचतान खुलकर सामने आ रही है। धनबाद में जलेश्वर महतो की पसंद और लोकल नेताओं की खींचतान को लेकर खूब चर्चायें हो रही हैं।
‘पावर गेम’ और ‘म्यूजिकल चेयर’
कांग्रेस जिलाध्यक्षों की कुर्सी को लेकर झारखंड में ‘पावर गेम’ चरम पर है। कई बड़े नेता अब अपने विरोधियों के साथ भी खड़े दिखाई दे रहे हैं, ताकि संगठन में अपनी पकड़ मजबूत रख सकें। राजनीति में कहा भी जाता है कि कुर्सी के लिए दुश्मन को भी दोस्त बनाया जा सकता है। धनबाद की राजनीति में इसका उदाहरण देखने को मिल रहा है। जिले के चंद बड़े नेताओं ने आपसी मतभेद भुलाकर जिला अध्यक्ष के समर्थन में मोर्चा संभाल लिया है।
पंचायत स्तर तक होगी कांग्रेस संगठन की पहुंच
झारखंड कांग्रेस के प्रभारी के. राजू लगातार जिलों का दौरा कर रहे हैं। वे 15 से 21 सितंबर तक वे पंचायत स्तर के कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं। सरैयाहाट (देवघर), बरहरवा (साहिबगंज), पाकुड़ सदर, नारायणपुर (जामताड़ा), हजारीबाग, गढ़वा और पलामू जैसे इलाकों में वे बैठक कर युवा नेतृत्व को तैयार करने की कोशिश में जुटे हैं। इन बैठकों का मकसद है कि पार्टी मजबूत व गतिशील नये चेहरों को खोज सके और भविष्य में उन्हें जिम्मेदारी सौंप सके।