बिहार: शराबबंदी कानून फेल,  स्थितियां भयावह, पुलिस संरक्षण में खूब चल रहा धंधा:डा. संजय जायसवाल

बिहार BJP प्रसिडेंट डा. संजय जायसवाल स्टेट में शराबबंदी कानून को फेल बताया है।  बिहार पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि स्टेट के कई इलाकों में शराब की बिक्री हो रही है। लोकल लेवल पर पुलिस की मिलीभगत के कारण शराब पीने-पिलाने का दौर जारी है।

बिहार: शराबबंदी कानून फेल,  स्थितियां भयावह, पुलिस संरक्षण में खूब चल रहा धंधा:डा. संजय जायसवाल
संजय जायसवाल (फाइल फोटो)।

पटना। बिहार BJP प्रसिडेंट डा. संजय जायसवाल स्टेट में शराबबंदी कानून को फेल बताया है।  बिहार पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि स्टेट के कई इलाकों में शराब की बिक्री हो रही है। लोकल लेवल पर पुलिस की मिलीभगत के कारण शराब पीने-पिलाने का दौर जारी है।

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जायसवाल ने शनिवार को पटना में कहा है कि शराबबंदी कानून की समीक्षा होनी चाहिए। स्थितियां भयावह हो गई हैं। पूर्वी चंपारण में अवैध शराब बन रही है और उसको पुलिस का संरक्षण है।उन्होंलने सरकार से शराबबंदी की समीक्षा करने की मांग की है।

शराब से मौत पर जताई चिंता

विदेश दौरे से लौटने के बाद डा. संजय जायसवाल शनिवार की शाम बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में मीडियासे बातचीत की। उन्होंने सवालों के जवाब में मुजफ्फरपुर, बेतिया, गोपालगंज और समस्तीपुर जिले में हुई मौतों को लेकर चिंता जताई। जायसवाल ने अपने संसदीय क्षेत्र बेतिया में शराब की बिक्री का उल्लेख करते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली पर असंतोष प्रकट किया। डा. जायसवाल ने कहा कि पुलिस प्रशासन के सहयोग से सभी जगह शराब बिक रही है। बिहार में शराबबंदी लागू किए पांच साल पूरे हो चुके हैं। इसकी सफलता और असफलता पर विचार करना आवश्यक है।

डॉ जायसवाल ने ने कहा है कि जहरीली शराब उन जगहों पर बन रही है, जहां पुलिस से शराब बनाने वालों की मिलीभगत नहीं है। छिपाकर बनाई जा रही है। जिन इलाकों में पुलिस और शराब माफिया गठजोड़ बनाकर चल रहे हैं, वहां इस तरह की घटनाएं कम हैं। उन क्षेत्रों में लोगों को शराब मिल जा रही है। लेकिन, जहां पुलिस अमला ज्यादा है, वहां जहरीली शराब से मौत की खबर मिल रही है। उन्होंने  पुलिसकर्मियों को शराब माफिया का सहयोगी बताया है।

कानून में कमियों को देखने की जरूरत
बीजेपी प्रसिडेंट ने कहा कि सरकार की तरफ से बहुत अच्छे उद्देश्य से लाये गये इस कानून में कहां कमियां रह गई हैं। इसे देखने की जरूरत है। जहरीली शराब से मौतें यूं तो उन राज्यों में भी होती हैं, जहां शराबबंदी नहीं है। पांच साल में हमारा कानून कहां तक पहुंचा है, इसकी समीक्षा होनी चाहिए।