बिहार: नवादा से किडनैप 10 वर्षीय अंशु की मर्डर, संपत्ति हड़पने के लिए जीजा ने गला दबाकर मार डाला, बहनोई समेत तीन अरेस्ट

बिहार के नवादा जिले लोहानी बिगहा गांव से अगवा सुनील कुमार के पुत्र अंशु कुमार (10) की मर्डर कर दी गयी है। अंशु की बॉडी मंगलवार को गया जिले के नीमचक बथानी पुलिस स्टेशन एरिया के नासिर बिगहा गांव के समीप तेलासिन पहाड़ी के गर्भ में मिली। पुलिस ने अंशु को किडनैप कर उसकी मर्डर करने के आरोप में उसके बहनोई समेत तीन लोगों को अरेस्ट किया है। 

बिहार: नवादा से किडनैप 10 वर्षीय अंशु की मर्डर, संपत्ति हड़पने के लिए जीजा ने गला दबाकर मार डाला, बहनोई समेत तीन अरेस्ट

नवादा। बिहार के नवादा जिले लोहानी बिगहा गांव से अगवा सुनील कुमार के पुत्र अंशु कुमार (10) की मर्डर कर दी गयी है। अंशु की बॉडी मंगलवार को गया जिले के नीमचक बथानी पुलिस स्टेशन एरिया के नासिर बिगहा गांव के समीप तेलासिन पहाड़ी के गर्भ में मिली। पुलिस ने अंशु को किडनैप कर उसकी मर्डर करने के आरोप में उसके बहनोई समेत तीन लोगों को अरेस्ट किया है। 

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पुलिस गिरफ्त में आये क्रिमिनलों में नीमचक बथानी पुलिस स्टेशन एरिया नासिर बिगहा निवासी कृपाल प्रसाद का बेटा संजय कुमार, उसका भाई विकास कुमार तथा बेटा इंद्रजीत कुमार शामिल हैं। इंद्रजीत कुमार मृतक अंशु का बहनोई है। जबकि संजय और विकास इंद्रजीत के पिता व चाचा हैं। इनके पास से घटना में प्रयुक्त बाइक व मोबाइल बरामद की गयी है। पुलिस के मुताबिक बहनोई इंद्रजीत ने अपने पिता व चाचा के साथ साजिश रचकर अंशु की मर्डर कर उसकी बॉडी पहाड़ियों में ठिकाने लगा दी। नवादा सदर एसडीपीओ उपेन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में एसआईटी ने आरोपितों की निशानदेही पर अंशु की बॉडी बरामद की। अंशु पिछले दस दिनों से लापता था। अंशु के पिता सुनील कुमार ने इस मामले में नवादा टाउन पुलिस स्टेशन में किडनैपिंग की एफआइआर दर्ज करायी थी।
एसडीपीओ उपेन्द्र प्रसाद ने टाउन पुलिस स्टेशन में मंगलवार की शाम आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि संपत्ति की लालच में जीजा इंद्रजीत ने अपने सगे साले अंशु कुमार की गला दबाकर मर्डर कर दी। घटना में इंद्रजीत के पिता संजय कुमार व उसके चाचा विकास कुमार की संलिप्तता थी। इंद्रजीत बाइक से आठ जनवरी की सुबह 10 बजे आईटीआई नवादा आया। साइकिल चला रहे अंशु को उसने मिठाई देने का लालच देकर अपनी बाइक पर बिठा लिया। गिरियक के रास्ते राजगीर होते हुए नासिर बिगहा ले आया। शाम में पहाड़ पर घुमाने का झांसा देकर इंद्रजीत अपने साले अंशु को नीमचक बथानी पुलिस स्टेशन के सामने स्थित तेलासिन पहाड़ पर लेकर चला गया। वहां उसने अंशु के इनर से गला दबाकर उसकी मर्डर कर दी। बॉडी पहाड़ी के 10 फुट गड्ढे गर्भ में फेंक दिया। 
सुनील के बड़े बेटे की मर्डर करने की भी थी साजिश
इंद्रजीत, उसके पिता संजय और विकास की सुनील की संपत्ति पर नजर थी। सुनील की सात डिस्मिल जमीन की 45 लाख में बिक्री की चर्चा से उन्हें इस बात का आभास हुआ कि सुनील के पास करोड़ों की जमीन है। इस जानकारी के बाद तीनों ने मिलकर सुनील की संपत्ति हड़पने की साजिश रची। सुनील कुमार के दो बेटे थे। जबकि उसकी तीन बेटियों में एक बेटी की शादी इंद्रजीत से हुई थी। दोनों बेटों को रास्ते से हटा देने के बाद संपत्ति का एकलौता वारिस इंद्रजीत बन जाता। इसके लिए एक-एक कर उसके दोनों बेटों की मर्डर की साजिश रची गयी। पहले 10 वर्षीय अंशु को मारने की योजना बनी और बाद में 13 वर्षीय बसंत कुमार की मर्डर की जानी थी। 
फिरौती वसूलने की भी थी प्लानिंग
क्रिमिनलों ने अंशु के बदले उसके पिता से फिरौती वसूलने प्लानिंग भी की थी। लेकिन इस बात का उन्हें मौका नहीं मिल सका। अंशु की मौत के बाद इंद्रजीत ने दूसरा सिम लेकर फिरौती वसूलने की योजना बनायी, परंतु फर्जी नाम पर सिम आसानी से नहीं मिल पाने के कारण तथा पुलिस की बढ़ी सक्रियता के कारण यह संभव नहीं हो सका।

शातिर है विकास है, कई मामले में है आरोपित
बताया जाता है कि इंद्रजीत का चाचा विकास कुमार काफी शातिर है। उसके विरुद्ध पूर्व से नीमचक बथानी पुलिस स्टेशन में कई मामले दर्ज हैं। आशंका है कि मर्डर की साजिश रचने में विकास की मुख्य भूमिका रही है। स्थानीय पुलिस इस बारे में पूरा ब्योरा इकट्ठा कर रही है और गया तथा नीमचक बथानी थाना से संपर्क में है। 

दादा ने करायी थी पोते के किडनैपिंग की एफआइ्आर
अंशु को आठ जनवरी की सुबह 10 बजे आईटीआई मोहल्ले से अगवा कर लिया गया था। दादा देवशरण यादव द्वारा आठ जनवरी की रात उसके पोते को अगवा कर लेने की एफआइआर टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज करायी गयी। मामले में आईटीआई मोहल्ले के कमल नयन सिंह और रामनगर मोहल्ले के मनोज सिंह और बबलू सिंह को आरोपी बनाया गया था। तीनों पर जमीन की खरीद-बिक्री को लेकर विवाद में अंशु का किडनैप कर लिये जाने की आशंका जतायी गयी थी।परिजनों के दबाव पर पुलिस ने तीनों आरोपितों को नौ जनवरी की शाम हिरासत में ले लिया और कई दिनों तक लगातार उनसे कड़ी पूछताछ की गयी। परंतु आरोपितों द्वारा बचाव में दिये गये प्रमाणिक तर्क और घटना में संलिप्तता का कोई साक्ष्य नहीं मिलने पर पुलिस ने तीनों को पीआर बांड पर छोड़ दिया।