बिहार: जीतन राम मांझी ने ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान,कहा- कहते हैं खाना नहीं खायेंगे, कुछ नगदी दे दीजिए, वीडियो वायरल

बिहार के एक्स सीएम व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतन राम मांझी एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने हिंदू धर्म को खराब बताया है। सत्यनारायण पूजा पर सवाल उठाये हैं। उन्होंने पटना में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पंडितों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 

बिहार: जीतन राम मांझी ने ब्राह्मणों को लेकर विवादित बयान,कहा- कहते हैं खाना नहीं खायेंगे, कुछ नगदी दे दीजिए, वीडियो वायरल

पटना। बिहार के एक्स सीएम व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतन राम मांझी एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने हिंदू धर्म को खराब बताया है। सत्यनारायण पूजा पर सवाल उठाये हैं। उन्होंने पटना में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पंडितों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 

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मांझी ने अपने विवादित बयान के वायरल होने के बाद ट्वीट कर अपनी सफाई भी दी है। उल्लेखनीय है कि मांझी इसके पहले राम को भगवान मानने से भी इनकार कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने शराबबंदी की समीक्षा की मांग करते हुए यहां तक कह दिया था कि बिहार में मिनिस्टर व अफसर रात 10 बजे के बाद शराब पीते हैं।

सत्यनारायण पूजा पर विवाद

जीतन राम मांझी ने पटना में मुसर भुइयां समाज की सभा में उनके दिए बयान का एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें वे गाली देते हुए कह रहे हैं कि अब हर जगह हमलोग के टोला में भी सत्यनारायण भगवान की पूजा हो रही है। और पंडित .... (अपशब्द) आते हैं और कहते हैं हम नहीं खाएंगे बाबू, नगद ही दे दीजिए। उन्होंने कहा कि पहले गरीबों के बीच यह पूजा देखने को नहीं मिलती थी, लेकिन आजकल यह खूब हो रही है। मांझी ने कहा कि साल 1956 में बाबा साहेब अंबेडकर ने जीवन के अंतिम दौर में उन्होंने हिंदू धर्म को खराब बताया था। उनका निधन बौद्ध होकर ही हुआ था। 


विवाद बढ़ने अब ट्वीट कर दी सफाई

मांझी के विवादित बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद गहरा गया है। इसके बाद मांझी ने अपनी सफाइ में ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा है कि ब्राह्मणों को लेकर उनके वीडियो के उतने ही अंश को वायरल किया जा रहा है, जिससे विवाद उत्पन्न हो। बयान का पूरा सच जानने के लिए उसे पूरा सुनने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि उनके दिल में समाज के हर तबके के लिए उतनी ही इज्जत है जितना वे अपने परिवार की करते हैं। उन्होंने पंडित जी को नहीं, अपने समाज के लोगों को गाली दी थी। अगर गलतफहमी हो गई हो तो वे माफी चाहते हैं।

बताई ये बात

अपने समाज के लोगों को गाली क्यों दी, इस सवाल पर मांझी ने कहा कि पहले पिछड़ी जाति के लोग पूजा-पाठ में उतना विश्वास नहीं करते थे। अपने देवता का पूजा करते थे। तुलसी जी हों या मां शबरी हों, मगर अब तो पंडित जी भी आते हैं और कहते हैं कि बाबू तुम्हारे यहां खाएंगे नहीं, नगद ही दे देना। इस पर शर्म आनी चाहिए।

पूजा-पाठ नहीं करने के पीछे यह कहानी

जीतन राम मांझी ने कहा कि वे पूजा-पाठ कभी नहीं करते। इसके पीछे भी कहानी है। वे सातवीं कक्षा में पढ़ते थे। मंदिर में श्रावणी पूजा होती थी। वे मंदिर गये तो उनके दोस्त तो अंदर चले गण्, लेकिन उन्हें बांह पकड़कर निकाल दिया गया। उस दिन से वे समझ गए कि ... देवी-देवता हमारे नहीं, सब ई लोग के हैं। उस दिन से पूजा-पाठ नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि हम जय भीम का नारा लगाते हैं तो अंबेडकर के सिद्धांत को मानना चाहिए। आज आस्था के नाम पर करोड़ों-करोड़ रुपये लुटाए जा रहे हैं, लेकिन गरीब की जो भलाई होनी चाहिए, उतनी भलाई नहीं हो रही है।