"कट्टर हिंदू होने का मतलब दूसरों का विरोध करना नहीं है"... कोच्चि से RSS चीफ मोहन भागवत ने दिया बड़ा संदेश

कोच्चि में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कट्टर हिंदुत्व को लेकर दिया बड़ा बयान, कहा- सच्चा हिंदू कभी दूसरों का विरोध नहीं करता। जानिए भागवत ने और क्या कहा।

"कट्टर हिंदू होने का मतलब दूसरों का विरोध करना नहीं है"... कोच्चि से RSS चीफ मोहन भागवत ने दिया बड़ा संदेश
मोहन भागवत (फाइल फोटो)।
  • "हिंदू किसी का विरोध नहीं करता, सभी को स्वीकार करता है" भारत को जोड़ने का दिया संदेश

कोच्चि (केरल)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कोच्चि में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कट्टर हिंदुत्व की परिभाषा को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, "कट्टर हिंदू होने का मतलब यह नहीं है कि हम दूसरों का विरोध करें। बल्कि, सच्चा हिंदू वह है जो सभी को स्वीकार करता है और समाज को जोड़ने का कार्य करता है।"
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"हिंदू कभी किसी से टकराता नहीं, हिंदू जोड़ता है। जो विरोध करता है, वह हिंदू नहीं हो सकता," 
उन्होंने दावा किया कि अक्सर यह गलतफहमी होती है कि कट्टर हिंदू होने का मतलब दूसरों को गाली देना है। ऐसी गलतफहमी हो सकती है। भागवत ने कहा कि सच्चा हिंदू होने का मतलब किसी का विरोध करना नहीं है, न ही इसका मतलब यह है कि हमें यह कहकर जवाब देना होगा कि हम हिंदू नहीं हैं। हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदू होने का सार सभी को गले लगाना है। 
उन्होंने कहा कि जो कोई हिंदुओं को एकजुट करना चाहता है, उसे इस सार का ध्यान रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस संसार में दो प्रकार के ज्ञान हैं। विद्या (सच्चा ज्ञान) और अविद्या (अज्ञान) और दोनों ही व्यक्ति के भौतिक जीवन और आध्यात्मिक खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत दोनों के महत्व को मानता है। भागवत ने कहा कि भारत आध्यात्मिकता की भूमि है और इस देश की राष्ट्रवाद की भावना अत्यंत पवित्र है। 
मोहन भागवत ने ने कहा कि भारत की आत्मा 'विविधता में एकता' है और हिंदू धर्म हमेशा से समावेशी रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सभी समुदायों, पंथों और विचारधाराओं को स्थान है। यही इसकी संस्कृति की खूबसूरती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कट्टरता का मतलब नफरत नहीं बल्कि अपने विचारों के प्रति स्पष्टता और समर्पण है।
धर्म के नाम पर द्वेष गलत
भागवत ने कहा कि आजकल समाज में कुछ तत्व धर्म के नाम पर नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह हिंदू संस्कृति के मूल स्वरूप के खिलाफ है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सोशल मीडिया पर फैल रहे भड़काऊ विचारों से बचें और सत्य को समझें। मोहन भागवत ने कहा कि RSS का उद्देश्य देश को जोड़ना और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघ का काम राजनीतिक नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण पर केंद्रित है।
मैकाले द्वारा प्रचारित औपनिवेशिक शिक्षा मॉडल सही नहीं 
मोहन भागवत ने कहा कि एक सच्चा विद्वान वह नहीं है, जो केवल एक कमरे में बैठकर चिंतन करता है, बल्कि वह है जो विचार को कार्य में परिणत करता है और उसे अपने अनुभवों के माध्यम से प्रदर्शित करता है। भागवत ने कहा कि मैकाले द्वारा प्रचारित औपनिवेशिक शिक्षा मॉडल आज के भारत के लिए उपयुक्त नहीं है। इसके बजाय सत्य और करुणा पर आधारित भारतीय शिक्षा प्रणाली के माध्यम से विश्व कल्याण के लिए भारत की विशाल क्षमता को जागृत करना संभव है। उन्होंने कहा कि समाज के समग्र परिवर्तन के लिए प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत कर्तव्य की भावना से कार्य करना चाहिए।
केरल में संघ की सक्रियता
कोच्चि जैसे दक्षिण भारतीय शहर में संघ प्रमुख का यह भाषण खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। केरल में RSS की सक्रियता और विस्तार को देखते हुए भागवत का यह बयान वहां के सामाजिक-सांस्कृतिक माहौल को संतुलित रखने का संकेत माना जा रहा है।