Gyanvapi Case: वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी कैंपस के  शेष हिस्से का होगा ASI सर्वे, वाराणसी कोर्ट का फैसला

ज्ञानवापी कैंपस के एएसआई सर्वे का रास्ता साफ हो गया है। वाराणसी की जिला कोर्ट ने शुक्रवार को सर्वे को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने ज्ञानवापी कैंपस की वैज्ञानिक विधि से जांच की मंदिर पक्ष की मांग स्वीकार कर ली है।

Gyanvapi Case: वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी कैंपस के  शेष हिस्से का होगा ASI सर्वे, वाराणसी कोर्ट का फैसला
ज्ञानवापी मस्जिद (फाइल फोटो)।

वाराणसी। ज्ञानवापी कैंपस के एएसआई सर्वे का रास्ता साफ हो गया है। वाराणसी की जिला कोर्ट ने शुक्रवार को सर्वे को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने ज्ञानवापी कैंपस की वैज्ञानिक विधि से जांच की मंदिर पक्ष की मांग स्वीकार कर ली है।

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जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने मस्जिद पक्ष की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए ज्ञानवापी के वजूखाने को छोड़कर शेष हिस्से की एएसआइ सर्वे कराने का आदेश दिया है। जिला जज की कोर्ट ने वुजूस्थल को छोड़कर ज्ञानवापी के अन्य कैंपस का एएसआई सर्वे कराने की मांग मंजूर कर ली है। इससे पहले शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई तक रोक लगा चुका है। ऐसे में शिवलिंग वाले क्षेत्र यानी वुजुखाने के अलावा अन्य क्षेत्र का सर्वे किया जा सकेगा। 
इस मामले में सभी पक्षों की बहस पूरी हो चुकी थी। जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने इस मामले पर 14 जुलाई को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट पिछली सुनवाई पर मस्जिद पक्ष ने प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए इसे खारिज करने की मांग की थी। वहीं मंदिर पक्ष ने ज्ञानवापी कैंपस के वैज्ञानिक विधि से जांच को इस मुकदमे के लिए बेहद अहम बताया था।कोर्ट में चार अगस्त को मामले पर अगली सुनवाई होगी। उस दिन तय होगा कि सर्वे किस तरह से होगा। सर्वे रोजाना होगा तो उसका समय क्या रखा जायेगा। हिन्दू पक्ष हाईकोर्ट में कैविएट भी दाखिल करेगा। इससे अगर मुस्लिम पक्ष आज के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाता है तो बिना हिन्दू पक्ष को सुने हुए कोर्ट स्टे या कोई आदेश नहीं दे सके।
श्रृंगार गौरी के पूजा का अधिकारी मांग रही चार महिलाओं लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक ने 16 मई को जिला जज की अदालत में अर्जी देकर गुहार लगाई थी कि वुजूखाना को छोड़ शेष सभी हिस्सों का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराया जाए। महिलाओं की ओर से एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने इस दौरान पिछले साल वुजूखाने में हुए कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि उस दौरान शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। आकृति की एएसआई जांच का मामला सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है। वुजूखाने को सील किया गया है। ऐसे में उसके आसपास के क्षेत्र का एएसआई सर्वे किया जा सकता है।
विष्णुजैन ने कोर्ट से कहा कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हो तो एक और शिवलिंग मिल सकता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर के पश्चिमी दीवार के पास खंडहरनुमा अवशेष, तीन गुबंदों और व्यास जी के तहखाने की जांच भारतीयपुरातत्वि क सर्वेक्षण, जीपीआर, वैज्ञानिक व डेटिंग पद्धति से कराई जाए। विष्णु जैन ने सर्वे हिंदू मंदिर के समर्थन में कई सुबूत व तथ्य भी कोर्ट में रखे हैं। कोर्ट ने 22 मई, 12 व 14 जुलाई को भी सुनवाई की। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पहले श्रृंगार गौरी के पूजा का अधिकार मांगा गया और अब ज्ञानवापी के सर्वे की मांग केवल केस को उलझाने के लिए की जा रही है।
शिवलिंग की कार्बन डेटिंग का मामला
हाई कोर्ट ने 12 मई को एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई के दौरान ज्ञानवापी कैंपसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग का आदेश दिया है। इसके बाद 19 मई को मंदिर पक्ष ने जिला वाराणसी की कोर्टत में पूरे ज्ञानवापी कैंपस के वैज्ञानिक विधि से जांच की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र दिया था। उनका कहना था कि ज्ञानवापी के उस हिस्से जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील है को छोड़कर पूरे परिसर की वैज्ञानिक विधि से जांच की जानी चाहिए। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को आदेश देने की मांग किया। इसका विरोध करते हुए मस्जिद पक्ष ने कोर्ट में कहा कि इससे वहां मौजूद मस्जिद को नुकसान पहुंचेगा। इससे मुकदमे का महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रभावित होगा। उनका कहना था कि बीते वर्ष मई माह में पांच दिनकोर्ट अदालत में दाखिल है। इस पर अभी तक चर्चा नहीं हो सकी है। ऐसे में एक और सर्वे की मांग को खारिज किया जाना चाहिए।