झारखंड कांग्रेस से अलग होकर बनानी थी बिरसा कांग्रेस नामक पार्टी, दो बड़बोले MLA ने बिगाड़ा दिया खेल

झारखंड में कांग्रेस के 10 से अधिक एमएलए पार्टी से टूटकर अलग गुट बनाने की कोशिश में थे। पार्टी को तोड़ नये गुट के नाम पर सहमति भी बन गई थी। बिरसा कांग्रेस के नाम से अलग गुट बनाकर तख्तापलट करने का पूरा स्क्रिप्ट लिखा जा रहा था।  लेकिन अंतिम समय में दो आदिवासी एमएलए अपनी हाथ पीछे खींच लिए।

झारखंड कांग्रेस से अलग होकर बनानी थी बिरसा कांग्रेस नामक पार्टी, दो बड़बोले MLA ने बिगाड़ा दिया खेल

रांची। झारखंड में कांग्रेस के 10 से अधिक एमएलए पार्टी से टूटकर अलग गुट बनाने की कोशिश में थे। पार्टी को तोड़ नये गुट के नाम पर सहमति भी बन गई थी। बिरसा कांग्रेस के नाम से अलग गुट बनाकर तख्तापलट करने का पूरा स्क्रिप्ट लिखा जा रहा था।  लेकिन अंतिम समय में दो आदिवासी एमएलए अपनी हाथ पीछे खींच लिए।

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कांग्रेस से अलग होकर नये गुट के नेता के नाम पर कई एमएलए बिदक गये। इन एमएलए ने स्पष्ट कहा, जो वर्तमान सरकार में मिनिस्टर वही अगली व्यवस्था में भी नेतृत्व करेंगे तो फिर ऐसे बदलाव का क्या मतलब। इसके बाद कुनबा बिखर गया। इस तरह कांग्रेस टूटने से बच गई।
गवर्नमेंट बनाने वाली दल के साथ जाने की थी प्लान

पॉलिटिकल सोर्सेज के अनुसार कांग्रेस के बागी एमएलए ने दो 10 से अधिक एमएलए के साथ पार्टी से अलग गुट बनाने की तैयारी पूरी कर ली थी। इसके लिए कम से कम 12 विधायकों का साथ होना चाहिए था। संख्या बल के हिसाब से पूरा स्टेज तैयार करने के लिए एक-दो एमएलए कम हो रहे थे। इस गुट की तैयारी यह भी थी कि बीजेपी और जेएमएम में से जो पार्टी भी सरकार बनाने के लिए आगे बढ़ेगी उसके साथ हो लेंगे। अलग गुट बनाने की पूरी पटकथा तैयार हो जाने के बाद रांची जिले के खिजरी के एमएलए राजेश कच्छप और सिमडेगा के एमएलए नमन विक्सल कोंगाड़ी ने अपने मोबाइल बंद कर बैठक से चुपचाप निकल गये।

ऐसे बिगड़ गया पूरा खेल

बताया जाता है कि इसके बाद पर्टी के एक बड़बोले एमएलए ने तो नेतृत्वकर्ता एक मिनिस्टर पर ही सवाल उठा दिया था। बैठक में कह दिया कि वर्तमान में जो मिनिस्टर हैं, अगर उन्हीं के नेतृत्व में आगे बढऩा होगा तो फिर कांग्रेस में क्या खराबी है। इस प्रकार पूरा खेल चौपट हो गया। हालांकि कुछ नेताओं का यह भी दावा है कि विक्षुब्धों की संख्या 10 भी नहीं पहुंच पा रही थी। पार्टी के नेता और मीडिया पीछे पड़े थे उससे इस बात का भी अनुमान लगने लगा था कि भांडा फूट जायेगा। ऐसे में फिर आधे एमएलए पीछे हट गये। 
अलग-अलग बात करनी थी बीजेपी व जेएमएम से बात

कांग्रेस के नाराज एमएलए की योजना सरकार में शामिल रहने की थी।  इसके लिए सत्ताधारी जेएमएम के साथ-साथ विपक्षी पार्टी बीजेपी से भी संपर्क में रहने का निर्णय लिया गया था। कांग्रेस से बगावत के मूड में भले ही ये नेता थे, लेकिन सत्ता का मोह नहीं छोड़ पा रहे थे। इनकी तैयारी कभी भी तख्तापलट कर देने की थी।
सभी एमएलए के फोन हो गये बंद
अलग गुट बनाने वाले सभी एमएलए के फोन शनिवार की शाम तक फोन बंद मिले। कुछ विधायक बैठक के नाम पर बाहर निकले थे तो कुछ ने प्रभारी की नजर से दूर रहने के लिए ऐसा कदम उठाया। मीडिया से भी बच-बचकर ये एमएलए घूमते फिर रहे हैं। इनमें वे एमएलए भी शामिल हैं जो स्वयं फोन कर पार्टी नेतृत्व और मिनिस्टर से नाराजगी की बात किया करते थे।