उत्तर प्रदेश के एक्स सीएम कल्याण सिंह का निधन, स्टेट में तीन दिन का राजकीय शोक

उत्तर प्रदेश के एक्स सीएम और राजस्थान के एक्स गवर्नर कल्याण सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार की रात निधन हो गया। तबीयत खराब होने के बाद उन्हें गंभीर अवस्था चार जुलाई को संजय गांधी पीजीआइ के क्रिटिकल केयर मेडिसिन की आइसीयू में एडिट किया गया था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक्स सीएम कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताते हुए उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।

उत्तर प्रदेश के एक्स सीएम कल्याण सिंह का निधन, स्टेट में तीन दिन का राजकीय शोक
कल्याण सिंह (फाइल फोटो)।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के एक्स सीएम और राजस्थान के एक्स गवर्नर कल्याण सिंह (89) का लंबी बीमारी के बाद शनिवार की रात निधन हो गया। तबीयत खराब होने के बाद उन्हें गंभीर अवस्था चार जुलाई को संजय गांधी पीजीआइ के क्रिटिकल केयर मेडिसिन की आइसीयू में एडिट किया गया था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक्स सीएम कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताते हुए उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।

कल्याण सिंह के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी, होम मिनिस्टर अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत तमात बड़े नेताओं ने दुख जताया है। पीएमने कल्याण सिंह के बेटे राजवीर से फोन पर बात की और संवेदना व्यक्त की। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि दुख की इस घड़ी में मेरे पास शब्द नहीं हैं। कल्याण सिंह जी जमीन से जुड़े बड़े राजनेता और कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ एक महान व्यक्तित्व के स्वामी थे। उत्तर प्रदेश के विकास में उनका योगदान अमिट है। शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। उनके बेटे राजवीर से बात हुई। ।  

कल्याण सिंह लंबी बीमारी और शरीर के कई अंगों के धीरे-धीरे फेल होने के कारण शनिवार रात 9:30 बजे अंतिम सांस ली। संजय गांधी पीजीआइ में चार जुलाई से एडमिट कल्याण सिंह की स्वास्थ्य का पीएम नरेंद्र मोदी पर डे हाल ले रहे थे। सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार निगरानी करते रहे। पीजीआइ के डाक्टरों ने कल्याण सिंह की स्थिति बेहद नाजुक होने की जानकारी सीएम समेत उनके परिवार के लोगों को भी दी थी। सीएम योगी आदित्यानाथ शनिवार को देर शाम यह सूचना मिलने पर उन्हें देखने एसजीपीजीआइ पहुंचे थे। 
 
बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक कल्याण सिंह का पार्टी के साथ ही भारतीय राजनीति में कद काफी विशाल था। अयोध्या में विवादित ढांचा के विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के सीएम ममंदिर आंदोलन के नायकों में से एक थे। कल्याण सिंह का जन्म छह जनवरी, 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम तेजपाल लोधी और माता का नाम सीता देवी था। कल्याण सिंह ने दो बार उत्तर प्रदेश के सीएम रहे।  सदस्य भी रहे। वह राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे। राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त करने के बाद कल्याण सिंह ने लखनऊ में आकर एक बार फिर से बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की।

ढांचा ध्वंस के बाद दे दिया था सीएम पद से त्यागपत्र
कल्याण सिंह पहली बार 1991 में उत्तर प्रदेश के सीएम बने।र दूसरी बार 1997 में। उनके पहले सीएम कार्यकाल के दौरान ही विवादित ढांचा ध्वंस की घटना घटी थी। अयोध्या में विवादित ढांचा के विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए छह दिसंबर, 1992 को सीएम पद से त्यागपत्र दे दिया।
1993 में बने नेता विपक्ष
कल्याण सिंह 1993 में अतरौली तथा कासगंज से विधायक निर्वाचित हुए। इन चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, लेकिन सरकार न बनने पर कल्याण सिंह विधानसभा में नेता विपक्ष के पद पर बैठे। इसके बाद बीजेपी ने  बीएसी के साथ गठबंधन करके उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई। तब कल्याण सिंह सितंबर 1997 से नवंबर 1999 में एक बार फिर सीएम बने। गठबंधन की सरकार में मायावती पहले सीएम बनीं, लेकिन जब भाजपा की बारी आई तो उन्होंने समर्थन वापस ले लिया। बीएसपी ने 21 अक्टूबर, 1997 को कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
यूपी में कराई बीजेपी की सत्ता में वापसी

बीएसपी की चाल भांप चुके कल्याण सिंह पहले से ही कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के संपर्क में थे।और उन्होंने नरेश अग्रवाल के साथ आये एमएलए की पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन कराया। 21 विधायकों का समर्थन दिलाया। नरेश अग्रवाल को सरकार में शामिल करके उनको ऊर्जा विभाग का मंत्री भी बना दिया।
निर्दलीय लड़कर भी जीते थे लोकसभा चुनाव
कल्याण सिंह ने किसी बात पर नाराज होकर दिसंबर, 1999 में बीजेपी छोड़ दी। उन्होंने अपनी पार्टी बना ली।  मुलायम सिंह यादव के साथ भी जुड़ गये। लगभग पांच वर्ष बाद फिर जनवरी 2003 में उनकी भाजपा में वापसी हो गई। बीजेपी ने 2004 लोकसभा चुनाव में उनको बुलंदशहर से प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव 2009 से पहले बीजेपी को छोड़ दिया। वह एटा से 2009 का लोकसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़े और जीत दर्ज की।