उत्तर प्रदेश: यौन उत्पीड़न मामले में एक्स सेंट्रल मिनिस्टर स्वामी चिन्मयानंद बरी, छात्रा और उसके साथियों को भी राहत

शाहजहांपुर की छात्रा के साथ गलत संबध बनाने के लिए उसे बंधक बनाकर रखने के मामले में एक्स सेंट्रल गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद बरी हो गये हैं। एमपीएमएलए कोर्ट के स्पेशल जज पवन कुमार राय ने चिन्मयानंद बरी कर करने का फैसला सुनाया है।

उत्तर प्रदेश: यौन उत्पीड़न मामले में एक्स सेंट्रल मिनिस्टर स्वामी चिन्मयानंद बरी, छात्रा और उसके साथियों को भी राहत
स्वामी चिन्मयानंद(फाइल फोटो)।

लखनऊ। शाहजहांपुर की छात्रा के साथ गलत संबध बनाने के लिए उसे बंधक बनाकर रखने के मामले में एक्स सेंट्रल गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद बरी हो गये हैं। एमपीएमएलए कोर्ट के स्पेशल जज पवन कुमार राय ने चिन्मयानंद बरी कर करने का फैसला सुनाया है।
रंगदारी और जानमाल की धमकी के मामले में चिन्मयानंद के एसएस लॉ कालेज के हास्टल में रहने वाली छात्रा और पांच अन्य अभियुक्त संजय सिंह, डीपीएस राठौर, विक्रम सिंह, सचिन सिंह व अजीत सिंह को भी साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है। फैसला सुनाये जाने के दौरान शुक्रवार को सभी अभियुक्त स्पेशल कोर्ट में उपस्थित थे। वर्ष 2020 की नौ अक्टूबर को गवाही के दौरान पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर लगाए गए आरोपों से छात्रा मुकर गई थी। अभियोजन ने इसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया था। उसके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत मुकदमे की अर्जी भी दी थी। दूसरी ओक छात्रा व अन्य मुल्जिमों के खिलाफ रंगदारी व जानमाल की धमकी के मामले में भी गवाह पक्षद्रोही हो गये थे।

जेल भी जा चुके हैं स्वामी चिन्मयानंद 
उक्त मामले में स्वामी चिन्मयानंद को 20 सितंबर, 2019 को अरेस्ट कर ज्यूडिशियल कस्टडी में जेल भेजा गया था। चार नवंबर, 2019 को इस मामले की विवेचक व एसआईटी की निरीक्षक पूनम आंनद ने उनके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया था। 13 पेज के इस आरोप पत्र में 33 गवाहों के नाम व 29 दस्तावेजी साक्ष्यों की सूची थी। 21 दिसबर, 2019 को शाहजहांपुर की सीजेएम अदालत ने मुकदमे की पत्रावली विचारण के लिए सेशन कोर्ट को भेज दिया था। लेकिन तीन फरवरी, 2020 को हाईकोर्ट की इलाहाबाद बेंच के एक आदेश से मामले को शाहजहांपुर की कोर्ट से लखनऊ में एमपीएमएलए की स्पेशल कोर्ट को ट्रांसफर की गई। हाईकोर्ट से इसी दिन अभियुक्त चिन्मयानंद की बेलअर्जी भी मंजूर हुई थी।

क्या है मामला
वर्ष 2019 की 27 अगस्त को छात्रा के पिता ने शाहजहांपुर के कोतवाली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआइआर के अनुसार उनकी पुत्री एलएलएम कर रही है। वह एक कॉलेज के हॉस्टल में रहती थी। 23 अगस्त से उसका मोबाइल बंद है। फेसबुक पर उनकी बेटी के एक वायरल वीडियो के अनुसार स्वामी चिन्मयानंद व कुछ अन्य लोगों ने छात्रा व अन्य लड़कियों का शारीरिक शोषण व रेप किया। जान से मारने की धमकी दी गई। पिता ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी पुत्री के साथ कोई अप्रिय घटना करके कहीं गायब कर दिया गया है। जब मैंने स्वामी जी से मोबाइल पर सम्पर्क किया, तो सीधे मुंह बात नहीं कर उन्होंने मोबाइल बंद कर लिया। उनकी पुत्री के कमरे में ताला बंद है। अभियुक्तगण राजनैतिक व सत्ता पक्ष के दबंग किस्म के लोग हैं, साक्ष्य से छेड़छाड़ कर सकते हैं। लिहाजा उसका कमरा व वीडियो मीडिया के सामने सील किया जाए।

छात्रा व अन्य अभियुक्तों का केस
एडवोकेट ओम सिंह ने वर्ष 2019 की 25 अगस्त को रंगदारी मामले की एफआईआर कोतवाली पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई। किसी अज्ञात व्यक्ति ने मोबाइल से पांच करोड़ की मांग की। यह धमकी देते हुए कि यदि रुपयों का इंतजाम नहीं किया, तो समाज में बदनाम कर दूंगा। धमकी दी गई कि मेरे पास एक वीडियो है, जिसे वायरल कर दूंगा। मुझे आशंका है कि एक साजिश के तहत कुछ लोगों द्वारा धन उगाही व चरित्र हनन का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही डर का माहौल पैदा कर शिक्षण संस्थान को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। चार नवंबर, 2019 को इस मामले में अन्तःवासी छात्रा व अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया गया। इसमें कुल 28 गवाह व 26 दस्तावेजी साक्ष्यों की सूची दाखिल की गई थी। छह नवंबर, 2019 को अदालत ने इस चार्जशीट पर संज्ञान लिया था।