उत्तर प्रदेश: हेल्थ सिस्टम की लापरवाही, रोज जूस व फल हॉस्पीटल पहुंचाता रहा बेटा,चार दिन पहले हो गयी थी पिता की मौत,नहीं चला पता

यूपी में कोरोना काल में हेल्थ सिस्टम की तरह-तरह की लापरवाही सामने आ रहे हैं। कोरोना संक्रमित पिता के लिए हॉस्पीटल में बेटा रोज जूस व फल हॉस्पीटल पहुंचाता रहा। पिता की चार दिन पहले ही मौत गयी थी। हॉस्पीटल में मैनेजमेंट ने दाह संस्कार भी कर दिया था। बेटे को यह पता भी नहीं चला।

उत्तर प्रदेश: हेल्थ सिस्टम की लापरवाही, रोज जूस व फल हॉस्पीटल पहुंचाता रहा बेटा,चार दिन पहले हो गयी  थी पिता की मौत,नहीं चला पता

प्रयागराज। यूपी में कोरोना काल में हेल्थ सिस्टम की तरह-तरह की लापरवाही सामने आ रहे हैं। कोरोना संक्रमित पिता के लिए हॉस्पीटल में बेटा रोज जूस व फल हॉस्पीटल पहुंचाता रहा। पिता की चार दिन पहले ही मौत गयी थी। हॉस्पीटल में मैनेजमेंट ने दाह संस्कार भी कर दिया था। बेटे को यह पता भी नहीं चला।
ट्रांसपोर्ट नगर महेन्द्र नगर निवासी सह एजी ऑफिस से रिटायर बच्चीलाल ने कोरोना संक्रमित बुजुर्ग पिता मोतीलाल को एसआरएन हॉस्पीटल में एडमिट कराया था। वह अपने पिता के लिए रोज जूस और फल पहुंचाते रहे। लेकिन बच्ची को बुधवार को पता चला कि उनके पिता की तो मौत चार दिन पहले हो चुकी है। उनकी बॉडी का तो अंतिम संस्कार भी कराया जा चुका है।

13 अप्रैल को कराया था एडमिट

बच्चीलाल ने बताया कि उनके पिता मोतीलाल (82) की 12 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। उन्हें 13 अप्रैल को एसआरएन हॉस्पीटल में एडमिट कराया। तालाबंदी के कारण 16 और 17 को वे हॉस्पीटल नहीं आ पाये। वह 18 अप्रैल को जूस और फल लेकर गये तो बताया गया कि पिता ठीक हैं। उन्हें बेड नंबर 37 से 9 नंबर पर शिफ्ट कर दिया गया है। वह जब  बुधवार को पहुंचे तो एक और अटेडेंट आ गया। जिसे बच्चीलाल का पिता कहकर नौ नंबर पर शिफ्ट बताया जा रहा था, उसका असली बेटा यह अयेडेंट था। संयोग यह था कि बच्चीलाल और उस शख्स के पिता का नाम एक ही था।

दो पेसेंट का नाम था एक

अटेंडेंट ने बच्चीलाल से कहा कि नौ नंबर पर तो मेरे पिताजी हैं। बच्चीलाल ने कहा कि नहीं वो मेरे पिता है। जब दोनों आशंकित हुए तो नर्स को बुलाया गया। नर्स ने नौ नंबर के मरीज को शीशे के सामने बुलाया तो वह आ गये। वह बच्चीलाल के पिता नहीं थे। फिर उन्होंने अपने पिता के बारे में पूछा तो कहा गया कि उन्हें दूसरे फ्लोर पर ले गये हैं, यहां नहीं हैं। इसके बाद बच्चीलाल नौ से 11 बजे दिन तक भटकते रहे लेकिन कोई कुछ नहीं बता सका। हॉस्पीटल सुपरिटेंडेंट के पास गये तो उन्होंने कहा जाइए ढूंढिए, वहीं होंगे जायेंगे कहां। काफी आरजू-मिन्नत करने पर एक आदमी को भेजा। उसने लौटकर बच्चीलाल से कहा कि पेसेंट को 16 अप्रैल को सेकेंड फ्लोर में शिफ्ट किया गया। पेसेंट की 17 अप्रैल को सुबह 6.30 बजे मौत हो गई थी। उनका अंतिम संस्कार भी हो चुका है।
पिता का अंतिम बार मुंह नहीं देखने का बच्चीलाल को मलाल
बच्चीलाल  पिता की मौत के बारे में बुधवार को बताने के बाद हॉस्पीटल की ओर से डेथ सर्टिफिकेट थमा दिया गया।जब बच्चीलाल ने पू्छा कि आपने चार दिन पहले हुई मौत की सूचना तक क्यों नहीं दी तो स्टाफ ने कहा कि आपका नंबर नहीं था। बच्चीलाल ने कहा कि नंबर तो लिखा है। इसके बाद स्टाफकहा कि नंबर नहीं मिल रहा था। अब बच्चीलाल को इस बात का मलाल है कि उनके पिता को लावारिस में जला दिए या फेंक दिये, यह भी उन्हें नहीं पता। वह तो पिता का अंतिम बार मुंह भी नहीं देख सके।