नई दिल्ली: पीएप में होंगे बड़े बदलाव, 40 करोड़ असंगठित कामगारों को भी जुड़ने का मिलेगा मौका

देशभर के 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के लिए ईपीएफओ के दरवाजे खुल सकते हैं। हालांकि, इसके लिए ईपीएफओ को अपने काम करने के तरीके में बड़े बदलाव करने होंगे।

नई दिल्ली: पीएप में होंगे बड़े बदलाव, 40 करोड़ असंगठित कामगारों को भी जुड़ने का मिलेगा मौका

नई दिल्ली। देशभर के 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कामगारों के लिए ईपीएफओ के दरवाजे खुल सकते हैं। हालांकि, इसके लिए ईपीएफओ को अपने काम करने के तरीके में बड़े बदलाव करने होंगे।
ईपीएफओ ने नये साल में गवर्नमेंट की महत्वकांक्षी आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) को लागू करने पर ध्यान देते हुए सेवाओं की सुपुर्दगी में सुधार लाने के लिए भगीरथ प्रयास करने होंगे। सामाजिक सुरक्षा संहिता के अगले साल एक अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है। ऐसे में ईपीएफओ को अपनी योजनाओं और सेवाओं को नये माहौल के अनुरूप ढालना होगा। इससे असंगठित क्षेत्र के कामगार भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ जायेंगे। देश में 40 करोड़ से ज्यादा असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं जो कि किसी प्रतिष्ठान अथवा कंपनी के वेतन रजिस्टर में नहीं आते हैं और उन्हें भविष्य निधि और ग्रेच्युटी जैसे लाभ प्राप्त नहीं हैं। सरकार इन सभी को समाजिक सुरक्षा देने के लिए ईपीएफओ के तहत लाने की योजना बनाई है।

नेटवर्क का दायरा बढ़ेगा
बीएमएस के पूर्व महासचिव ब्रिजेश उपाध्याय ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा संहिता के अमल में आने पर ईपीएफओ के समक्ष 2021 में नई चुनौतियां सामने आयेगी। उन्होंने कहा, असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए अपनी योजनाओं और नेटवर्क का दायरा बढ़ाना होगा। इन कर्मचारियों को संहिता के तहत सामाजिक सुरक्षा लाभ उपलब्ध होंगे। असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए ईपीएफओ को अपनी योजनाओं और सेवाओं को नया रूप देना होगा। इससे पहले यह सवाल उठाया गया था कि असंगठित क्षेत्र के मामले में भविष्य निधि जैसी सामाजिक सुरक्षा योजना में नियोक्ता के हिस्से का योगदान कौन करेगा। अब यह कहा गया है कि यह हिस्सा या तो सरकार की तरफ से दिया जायेगा अथवा असंगठित क्षेत्र के कामगार ऐसी योजनाओं में शामिल हो सकते हैं जिनमें केवल उनकी ओर से ही योगदान किया जायेगा।

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योगना पर जोर होगा

श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा है कि वर्ष 2021 में ईपीएफओ का मुख्य ध्यान आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) पर होगा जिसके तहत नई नियुक्तियों को प्रोत्साहन दिया जायेगा। सेवाओं की डिलीवरी के लिए अन्य प्रयास भी जारी रहेंगे। लेकिन मुख्य ध्यान एबीआरवाई के तहत रोजगार सृजन पर होगा। सेंट्रल गवर्नमेंट ने इस माह की शुरुआत में एबीआरवाई को मंजूरी दी। इस योजना का मकसद आत्मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 के तहत औपचारिक क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देना है। योजना के तहत 2020 से 2023 के बीच 22,810 करोड़ रुपये जारी किये जायेंगे। एबीआरवाई योजना के तहत एक अक्तूबर 2020 से लेकर 30 जून 2021 की अवधि में काम पर रखे जाने वाले नये कर्मचारियों के लिये सरकार भविष्य निधि में उनके कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की तरफ से दिये जाने वाले 12 परसेंट योगदान का पेमेंट करेगी। 24 परसेंट की यह कुल राशि कर्मचारी भविष्य निधि कोष में दो साल तक सरकार जमा करायेगी। यह योजना उन प्रतिष्ठानों में लागू होगी जिनमें एक हजार तक लोग काम करते हैं। ऐसे संस्थानों जहां 1,000 से अधिक कर्मचारी हैं उनके मामले में सरकार केवल कर्मचारी का ही 12 परसेंट  हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि कोष में जमा कराएगी। इस योजना को अमल में लाने के लिए ईपीएफओ एक साफ्टवेयर विकसित करेगा ताकि मिलने वाले लाभ में कहीं कोई गड़बड़ी नही हो।

कोरोना काल में 52 लाख कर्मचारियों ने निकासी की

श्रम मंत्री संतोष गंवार ने इस माह की शुरुआत में कहा कि ईपीएाफओ के तहत 52 लाख कर्मचारियों को कोविड- 19 राहत योजना के तहत 13,300 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई। भविष्य निधि से दी गई यह राशि वापस नहीं करनी होगी। कोरोना वायरस महामारी फैलने और लॉकडाउन के दौरान कारखाने और फैक्टरियां बंद होने की वजह से लोगों को जीविका चलाने के लिये ईपीएफओ से धनरशि निकालने की अनुमति दी गई थी। ईपीएसफओ ने वर्ष 2019- 20 के लिए भविष्य निधि कोष पर 8.5 परसेंट इंटरेस्ट देने का फैसला किया है।