रमजान का चांद दिखा, आज रविवार से रोजा शुरू

इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना रमजान की शुरुआत हो चुकी है। रमजान मुबारक माह का चांद शनिवार को लखनऊ, हैदराबाद सहित भारतवर्ष के कई हिस्सों में देखा गया है। रविवार से लोग रमजान का रोजा रखेंगे। 

रमजान का चांद दिखा, आज रविवार से रोजा शुरू
  • चांद देखने के बाद माह-ए-रमजान शुरू 

पटना। इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना रमजान की शुरुआत हो चुकी है। रमजान मुबारक माह का चांद शनिवार को लखनऊ, हैदराबाद सहित भारतवर्ष के कई हिस्सों में देखा गया है। रविवार से लोग रमजान का रोजा रखेंगे। 

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चांद देखे जाने के साथ ही रमजान माह की शुरुआत हो गई है। रविवार को रमजान का पहला रोजा रखा जायेगा। बिहार, झारखंड और ओडिशा के मुसलमानों की बड़ी संस्थार पटना स्थित इमारत-ए-शरिया ने भी चांद देखे जाने की बात कही है।पटना की सभी मस्जिदों एवं कई सार्वजनिक जगहों पर तरावीह की विशेष नमाज अदा करने के लिए तैयारियां की गई थीं। सभी जगह की प्रबंधक कमेटी का कहना है कि चांद नजर आने की खबर के साथ ही उसी रात एशा की नमाज के बाद तरावीह की नमाज होती है। इस नमाज में कुरानशरीफ कंठस्थ करने वाले हाफिज कुरान का पाठ सुनाते हैं। उनके पीछे खड़े होकर लोग पाठ को सुनते हैं।

सभी मस्जिदों में शुक्रवार को आलिमों ने अपनी तकरीर में रोजा और इबादत पर विस्तार से तकरीर करते हुए कहा कि रमजान का रोजा ही एक ऐसी इबादत है जिसका बदला अल्लाह ने खुद देने का वादा किया है। एक रोजेदार अल्लाह के आदेश से निर्धारित समय में खाना-पीना छोड़ता है। वो चाहे तो लुकछिप कर खा-पी लें, लेकिन अल्लाह के आदेश को मानते हुए वो ऐसा नहीं करता है। रमजान शुरू होने को लेकर बाजारों में चहल-पहल शुरू हो गयी है। लोग खजूर, तरह-तरह के शरबत, टोपी, इत्र खरीदते दिखे।इफ्तार और सेहरी को लेकर बाजार में फलों की दुकानें सजने लगी है। 
इस बार रमजान का पूरा महीना भीषण गर्मी में बीतेगा। गर्मी को देखते हुए खान-पान का विशेष रूप से ध्यान रखा जा रहा है।चौदह से पंद्रह घंटे का निर्जला उपवास काफी मुश्किल भरा है। लेकिन उसके बाद भी लोगों में उल्लास है। रमजान का महीना रहमतों और बरकतों का होता है। यही कारण है कि मुस्लिम धर्मावलंबी पूरा महीना इबादत में गुजारते हैं। पंच वक्ता नमाज के साथ-साथ कसरत से कुरान का तिलावत करते हैं।रमजान का यह महीना तीन भागों में बंटा होता है। अर्थात यह कि एक से लेकर दस दिनों तक रहमत का अशरा होता है, तो ग्यारह से लेकर बीस तक बरकत का और इक्कीस से लेकर तीस तक मगफिरत का अशरा होता है। रमजान में इबादत का काफी महत्व होता है। यही कारण है कि लोग इबादत के साथ-साथ जकात भी निकालते हैं। जकात का अर्थ होता है जमा पूंजी का दो या ढाई प्रतिशत गरीबों में दान करना।