सुप्रीम कोर्ट का आदेश, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में PM,चीफ जस्टिस और नेता विपक्ष भी होंगे शामिल

सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि PM, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI का पैनल इनकी नियुक्ति करेगा। अब तक सिर्फ सेंट्रल गवर्नमेंट इनका चयन करती थी।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में PM,चीफ जस्टिस और नेता विपक्ष भी होंगे शामिल

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि PM, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI का पैनल इनकी नियुक्ति करेगा। अब तक सिर्फ सेंट्रल गवर्नमेंट इनका चयन करती थी।

यह भी पढ़ें:Dhanbad : CBI ने BCCL ब्लॉक दो के पर्सनल मैनेजर को सात हजार रुपये घूस लेते दबोचा

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने कहा कि ये कमेटी नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगायेंगे। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगी, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह चयन प्रक्रिया CBI डायरेक्टर की तर्ज पर होनी चाहिए।
इलेक्शन कमीशन का स्वतंत्र होना जरूरी
जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखी जानी चाहिए। नहीं तो इसके अच्छे परिणाम नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि वोट की ताकत सुप्रीम है, इससे मजबूत से मजबूत पार्टियां भी सत्ता हार सकती हैं। इसलिए इलेक्शन कमीशन का स्वतंत्र होना जरूरी है। यह भी जरुरी है कि यह अपनी ड्यूटी संविधान के प्रावधानों के मुताबिक और कोर्ट के आदेशों के आधार पर निष्पक्ष रूप से कानून के दायरे में रहकर निभाए।
साल 2018 में चुनाव आयोग के कामकाज में पारदर्शिता को लेकर कई याचिकाएं दायर हुईं थीं। इनमें मांग की गई थी कि मुख्य चुनाव आयुक्त यानी CEC और चुनाव आयुक्त यानी EC की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसा सिस्टम बने। सुप्रीम कोर्ट ने इन सब याचिकाओं को क्लब करते हुए इसे 5 जजों की संविधान पीठ को भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट इसी मामले की सुनवाई कर रही थी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने CEC और EC की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाया था। इसी दौरान 1985 बैच के IAS अरुण गोयल ने उद्योग सचिव पद से 18 नवंबर को VRS लिया था। इस पद से उन्हें 31 दिसंबर को रिटायर होना था। गोयल को 19 नवंबर को चुनाव आयुक्त अपॉइंट कर दिया गया। इस नियुक्ति पर सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने एक याचिका दायर कर सवाल उठाया है।मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक पैनल का गठन किया जाएगा। इस पैनल मेंप्रधानमंत्री के अलावा नेता विपक्ष औरमुख्य न्यायाधीश भी शामिल होंगे। यह व्यवस्था कानून बनने तक रहेगी। आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक कानून बनाए। जब तक कानून नहीं बन पाता है, तब तक के लिए यह पैनल ही नियुक्तियां करेगा। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया है। बेंच ने कहा कि चुनाव निष्पक्ष तरीके से कराये जाने चाहिए। इसके लिए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति मेंकोई विवाद नहीं होना चाहिए। इसी से लोगों का भरोसा कायम होगा। बेंच ने कहा कि लोकतंत्र जनता के मत से ही चलता है। इसलिए अहम है कि चुनाव विवादों से परे हों और निष्पक्ष तरीके से कराए जाएं।

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर फिलहाल देश में कोई कानून नहीं है। नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया केंद्र सरकार के हाथ में है। अब तक अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के मुताबिक सचिव स्तर के मौजूदा या रिटायर हो चुके अफसरों की एक सूची तैयार की जाती है।कई बार इस सूची में 40 नाम तक होते हैं। इस सूची के आधार पर तीनों नामों को एक पैनल तैयार किया जाता है। इन नामों पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति विचार करते हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री पैनल में शामिल अधिकारियों से बात करके कोई एक नाम राष्ट्रपति के पास भेजते हैं। इन नाम के साथ प्रधानमंत्री के नोट भी भेजते हैं। इसमें उस शख्स के चुनाव आयुक्त चुने जाने की वजह भी बताई जाती हैं।इस प्रक्रिया में सरकार का पूरा रोल होता है। इनका कार्यकाल 6 साल या 65 साल की उम्र जो भी पहले हो तक होता है। इस प्रक्रिया से चुनाव आयुक्त चुने जाते हैं और इनमें से जो सबसे सीनियर होता है उसे मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाता है।