Ranchi land scam case : दीमकों ने खोला जमीन घोटाले में फर्जीवाड़े का राज, फोरेंसिक जांच में भी पुष्टि

झारखंड की राजधानी रांची में जमीन घोटाले में मनी लॉंड्रिंग की जांच कर रही ईडी को इन्विस्टीगेशन में अहम जानकारी मिली है। बरियातू में आर्मी के कब्जे वाली 4.55 एकड़ व सदर पुलिस स्टेशन एरिया में चेशायर होम रोड में एक एकड़ जमीन की जाली दस्तावेज पर खरीद-बिक्री मामले में जालसाजों के करतूत व फर्जीवाड़े का राज दीमकों ने खोल दि‍या है। फोरेंसिक जांच में भी इसकी पुष्टि हो चुकी है। 

Ranchi land scam case : दीमकों ने खोला जमीन घोटाले में फर्जीवाड़े का राज, फोरेंसिक जांच में भी पुष्टि

रांची। झारखंड की राजधानी रांची में जमीन घोटाले में मनी लॉंड्रिंग की जांच कर रही ईडी को इन्विस्टीगेशन में अहम जानकारी मिली है। बरियातू में आर्मी के कब्जे वाली 4.55 एकड़ व सदर पुलिस स्टेशन एरिया में चेशायर होम रोड में एक एकड़ जमीन की जाली दस्तावेज पर खरीद-बिक्री मामले में जालसाजों के करतूत व फर्जीवाड़े का राज दीमकों ने खोल दि‍या है। फोरेंसिक जांच में भी इसकी पुष्टि हो चुकी है। 

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बरियातू में आर्मी के कब्जे वाली 4.55 एकड़ व सदर पुलिस स्टेशन एरिया में चेशायर होम रोड में एक एकड़ जमीन की जाली दस्तावेज पर खरीद-बिक्री ममामलों में ईसीआइआर दर्ज कर ईडी ने जब जांच शुरू की तो फर्जीवाड़े की आशंका हुई। इसके बाद ईडी ने उक्त जमीन के मूल दस्तावेज जो कोलकाता के रजिस्ट्री ऑफिस में थे, उसे निकलवाया। आर्मी के कब्जे वाली जमीन से संबंधित 1932 के दस्तावेज, चेशायर होम रोड स्थित 1933 व 1948 के मूल डीड को ईडी ने देखा। पूरे दस्तावेज, रजिस्टर में दीमकों ने आर-पार छेद कर दिया था। लिखे हुए शब्द भी कुछ मिटे हुए थे। इन दस्तावेजों में बीच-बीच में कुछ बहुत बाद में बैक डेट से लगाये गये थे, जिनमें कोई छेद नहीं था। 
ईडी को शक हुआ कि जब उक्त दस्तावेज में दीमकों ने आर-पार छेद कर दिया तो उस दस्तावेज के सभी पन्नों में छेद होना चाहिए, लेकिन कुछ पन्ने ऐसे हैं, जिनमें कोई छेद नहीं है। इसके बाद ही ईडी ने फोरेंसिक जांच कराई। फोरेंसिक जांच में यह साबित हो गया कि मूल दस्तावेज में बहुत बाद में कुछ साल पहले बैक डेट से जाली कागजात लगाये गये हैं, जो कागजात जालसाजी कर बाद में लगाये गये, उन्हीं दस्तावेजों में दीमक छेद नहीं कर पाये थे। इसके अलावा ईडी को मिले फोरेंसिक रिपोर्ट में पुराने पन्ने, स्याही और हस्तलिपि में अंतर से संबंधित एवीडेंस हैं।
दस्तावेज में 1932 में पश्चिम बंगाल, पिन कोड व आरा-भोजपुर लिखे मिलने से शक गहराया
ईडी ने मूल दस्तावेज को देखा, उसमें बिना दीमक के छेद वाले पेपर का भी अध्ययन किया था। इससे जालसाजी का शक और गहरा गया था। उक्त दस्तावेज में कोलकाता को पश्चिम बंगाल में दिखाया गया था, जबकि 1932 में पश्चिम बंगाल था ही नहीं, तब सिर्फ बंगाल हुआ करता था। पश्चिम बंगाल 1947 में अस्तित्व में आया था। दस्तावेज में कोलकाता का पिन कोड भी लिखा हुआ था। जबकि पिन कोड भी 15 अगस्त 1972 को अस्तित्व में आया था। इस दस्तावेज में एक गवाह का मूल जिला आरा, भोजपुर बिहार बताया गया है। बिहार का भोजपुर जिला भी 1972 में अस्तित्व में आया था।इससे पूर्व वह जिला शाहाबाद था। शाहाबाद ही दो भागों में बंटा था, जिसमें एक जिला आरा-भोजपुर व दूसरा रोहतास बना था।
यह है आर्मी के कब्जे वाली जमीन का मामला
रांची के बरियातू पुलिस स्टेशन एरिया में मोरहाबादी मौजा में आर्मी के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन के फर्जी रैयत प्रदीप बागची ने मूल दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर जगत बंधु टी इस्टेट के मालिक दिलीप घोष को बेच दी थी। इसके लिए रांची नगर निगम से जाली कागजात के आधार पर दो होल्डिंग भी ले रखा था। प्रदीप बागची ने इसके लिए जो दस्तावेज प्रस्तुत किया था, उसके अनुसार उक्त जमीन उसके पूर्वज ने 1932 में रैयतों से खरीदी थी। इसकी रजिस्ट्री कोलकाता रजिस्ट्री ऑफिस में हुई थी। पिछले साल इस मामले में दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त ने पूरे मामले की जांच कराई थी तब इसका खुलासा हुआ था। आयुक्त की जांच में जमीन का असली मालिक जयंत कर्नाड हैं। फर्जी दस्तावेज पर होल्डिंग लेने के मामले में प्रदीप बागची पर रांची नगर निगम ने बरियातू पुलिस स्टेशन में पिछले वर्ष एफआइआर भी दर्ज कराई थी। इसके आधार पर ही ईडी ने ईसीआइआर दर्ज की थी।
विष्णु अग्रवाल व अन्य ने मिलकर चेशायर होम रोड में एक एकड़ जमीन के कागजात में फेरबदल किया
ईडी ने रांची के सदर पुलिस स्टेशन एरिया चेशायर होम रोड की एक एकड़ जमीन मामले में जांच की तो यहां भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, इस जमीन को रियल इस्टेट कंपनी के संचालक विष्णु अग्रवाल व अन्य ने मिलकर जाली कागजात के आधार पर खरीद-बिक्री की है। शिकायतकर्ता उक्त जमीन के मालिक होने का दावा करने वाले उमेश कुमार गोप ने रांची के न्यूक्लियस माल के मालिक विष्णु अग्रवाल के अलावा पुनीत भार्गव, भरत प्रसाद, राजेश राय, लखन सिंह और इम्तियाज अहमद के खिलाफ सदर पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज कराई थी। पुनीत भार्गव इलिगल स्टोन माइनिंग मामले में पूर्व में अरेस्ट प्रेम प्रकाश का करीबी बताया जाता है। इस मामले में रांची के सदर पुलिस स्टेशन की पुलिस ने अधूरी रिपोर्ट के साथ सिर्फ इसे जमीन विवाद बताते हुए कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट भी दे दिया है। जबकि ईडी ने जालसाजी के बड़े मामले को उजागर किया है।

कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में हुआ था फर्जीवाड़ा का खुलासा
रांची कमिश्नर की जांच रिपोर्ट में बरियातू स्थित आर्मी के 4.55 एकड़ कब्जे वाली जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री मामले में फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ था। उक्त रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि प्रदीप बागची नामक व्यक्ति ने फर्जी रैयत बनकर जगत बंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर दिलीप कुमार घोष को उक्त जमीन बेच डाली थी। जमीन की खरीद-बिक्री के लिए रजिस्ट्री में प्रदीप बागची ने जिन होल्डिंग नंबर से संबंधित दो अलग-अलग कागजातों को लगाया था, वह जांच में फर्जी मिले थे। 

बरियातू पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई थी एफआइआर

इसके बाद रांची नगर निगम की ओर से भी बरियातू पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज कराई गई थी।रांची नगर निगम के कर टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा ने नगर आयुक्त के आदेश पर जून 2022 में प्रदीप बागची के खिलाफ जालसाजी के मामले में एफआइआ दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रदीप बागची ने फर्जी आधार कार्ड, फर्जी बिजली बिल, फर्जी पोजेशन लेटर दिखाकर दो-दो होल्डिंग ले लिया था।कमिश्नर की जांच आर्मी के कब्जे वाले जमीन का असली रैयत जयंत करनाड मिला था। ईडी ने इस पूरे मामले में मनी लांड्रिंग के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू किया था।

कोर्ट ने पुलिस को आरोपियों पर FIR करने का दिया था आदेश
मामला सामने आने के बाद रांची के सिविल कोर्ट ने बरियातू पुलिस को रांची के दो रजिस्ट्रार घासी राम पिंगुआ व वैभव मणि त्रिपाठी, नगर आयुक्त मुकेश कुमार, बड़गाईं के अंचलाधिकारी मनोज कुमार, फर्जी रैयत प्रदीप बागची, खरीदार जगतबंधु टी-इस्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष, जयप्रकाश नारायण सिन्हा, मेसर्स गोयल बिल्डर्स अपर बाजार के निदेशक, मोहम्मद जैकुल्लाह और मानवेंद्र प्रसाद पर एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया था।आरोपियों पर जान बूझकर फर्जीवाड़ा कर दूसरे की जमीन की खरीद-बिक्री का आरोप है। दिलीप कुमार घोष ने सात करोड़ रुपये में प्रदीप बागची नामक कथित रैयत से सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन खरीदी थी।

जमीन की डीड पर भी रजिस्ट्रार ने लिख दिया था डीसी के आदेश से हो रही है रजिस्ट्री
आर्मी के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन और चेशायर होम रोड स्थित एक एकड़ जमीन की रजिस्ट्री मामले में ईडी की जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हो चुका है। आर्मी के कब्जे वाली जमीन को फर्जी रैयत बनकर प्रदीप बागची ने 2021 में जगतबंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर दिलीप घोष को रजिस्ट्री कराई थी। प्रदीप बागची ने बंगाल के जिस रजिस्टर्ड डीड के आधार पर जमीन बेची थी, उसमें प्रदीप बागची के पूर्वज ने 1932 में जिससे जमीन खरीदी थी, उसका नाम ही नहीं था। यह देखकर तत्कालीन रजिस्ट्रार घासीराम पिंगुआ ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद डीसी के आदेश पर बड़गाईं के तत्कालीन सीओ की अनुशंसा के बाद उक्त जमीन की रजिस्ट्री हुई थी।
13 अप्रैल को हुई थी छवि रंजन से जुड़े ठिकानों पर रेड
रांची जमीन घोटाले में ईडी ने विगत 13 अप्रैल को आइएएस अफसर छवि रंजन सहित 18 लोगों से जुड़े 22 ठिकानों पर एक साथ रेड की थी। इस रेड में ईडी को बड़गाई के राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के आवास भारी मात्रा में डीड मिले थे। वहीं कुछ जमीन माफिया के यहां से फर्जी डीड बनाने के स्टांप आदि मिले थे। उक्त रेड में छवि रंजन का मोबाइल भी ईडी ने बरामद किया था, जिसमें ईडी के संभावित प्रश्न व उसके तैयार उत्तर भी थे। इससे यह स्पष्ट हो गया था कि छवि रंजन को यह आशंका पहले से थी कि ईडी किसी भी दिन उनके आवास पर दस्तक दे सकती है। ऐसा ही हुआ भी।