Parliament Monsoon Session: गिरफ्तारी या 30 दिन हिरासत पर PM-CM का पद जायेगा, लोकसभा में बिल पेश, विपक्ष ने किया विरोध
सरकार ने संसद में ऐसा बिल पेश किया है, जिसके तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन की हिरासत या 5 साल से अधिक सजा पर पद छोड़ना होगा। विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया और मामला JPC को भेजा गया।

- भारी हंगामा JPC को भेजा गया बिल
नई दिल्ली। लोकसभा में मंगलवार को सरकार ने एक अहम बिल पेश किया, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि पीएम – सीएम या कोई भी मिनिस्टर किसी ऐसे क्राइम में अरेस्ट या 30 दिन की हिरासत में रहता है, जिसकी सजा पांच साल या उससे ज्यादा हो तो उसे पद छोड़ना पड़ेगा। उसका पद स्वतः समाप्त हो जायेगा।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीनों विधेयकों को संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा। सदन ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 20, 2025
लोकसभा की कार्यवाही शाम 5 बजे तक स्थगित की गई। https://t.co/GNmR7TBVbH
होम मिनिस्टर अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में इससे संबंधित तीन बिल पेश किए। सरकार का तर्क है कि इस कानून से राजनीति में शुचिता आएगी और अपराध में संलिप्त नेताओं को सत्ता का लाभ नहीं मिलेगा। वहीं, विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया और कहा कि सत्ता पक्ष राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करेगा। तीनों विधेयकों के खिलाफ लोकसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। तीनों बिलों को वापस लेने की मांग की। बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है। अब समिति की रिपोर्ट के बाद ही इस पर आगे फैसला होगा।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि यह कानून लागू होता है तो इसका असर राष्ट्रीय और राज्य स्तर की राजनीति पर गहरा पड़ेगा। संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक। ये तीनों विधेयक एक पूरी तरह से नये कानूनी ढांचे का प्रस्ताव हैं। बिल में यह भी कहा गया है कि बर्खास्त मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को हिरासत से रिहा होने के बाद फिर से नियुक्त किया जा सकता है।
बिल के खिलाफ संसद में विपक्ष का हंगामा
बिल पेश होने के बाद लोकसभा में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। कांग्रेस, सपा और टीएमसी से इसे संविधान के खिलाफ कदम बताया है। असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसका विरोध किया।इस पर शाह ने बिलों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने की बात कही। ये तीनों बिल अलग-अलग इसलिए लाये गये हैं, क्योंकि सेंट्रल गवर्नमेंट, स्टेट गवर्नमेट और केंद्र शासित राज्यों के लीडर्स के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं।एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का विरोध किया इसे शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन बताया और सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगाया। कहा- यह कार्यकारी एजेंसियों को न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद की भूमिका निभाने का अधिकार देता है। यह विधेयक गैर-निर्वाचित लोगों को जल्लाद की भूमिका निभाने का अधिकार देगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक की धाराओं का इस्तेमाल सरकारों को अस्थिर करने के लिए किया जा सकता है। यह विधेयक गेस्टापो बनाने के अलावा और कुछ नहीं है।
पहला बिल: 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 है, जो केंद्र और राज्य सरकारों पर लागू होगा।
दूसरा बिल: गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025 है, जो केंद्र शासित राज्यों के लिए है।
तीसरा बिल: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 है, जिसे जम्मू-कश्मीर पर लागू किया जायेगा।
दिल्ली के CM केजरीवाल ने छह महीने और तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने 241 दिनों तक हिरासत और जेल में रहने के बाद अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया था। केजरीवाल पद पर रहते गिरफ्तार होने वाले पहले CM थे।
मैंने गिरफ्तारी से पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया था: अमित शाह
विपक्ष के विरोध के बीच अमित शाह ने खुद अपना उदाहरण देते हुए कहा कि राजनीति में शुचिता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है और हम अपनी जिम्मेदारी से न भागे। अमित शाह ने कहा कि गुजरात में मैं मंत्री तो मेरे ऊपर आरोप लगे। मैंने पद से इस्तीफा दिया और कोर्ट के आदेशों का पालन किया। इसके बाद मैंने दोबारा जिम्मेदारी तब संभाली, जब आरोपों से बरी हो गया और संविधान के तहत मुझे पद हासिल करने का अधिकार मिला।अब तीनों बिल के बारे में डिटेल में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025
सेंट्रल गवर्नमेंट के अनुसार, अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 (1963 का 20) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है।इसलिए, ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 की धारा 45 में संशोधन की आवश्यकता है।
130वां संविधान संशोधन बिल 2025
केंद्र ने इस बिल को लेकर बताया कि संविधान में किसी ऐसे मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है जिसे गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार किया गया हो और हिरासत में लिया गया हो।इसलिए ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों या नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन की जरूरत है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन के बाद गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन में हटाने का प्रावधान होगा।
ऑनलाइन गेमिंग पर बैन लगाने वाला बिल भी पेश
सेंट्रल गवर्नमेंट ने लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग पर बैन लगाने वाला बिल भी पेश किया। कैबिनेट ने 19 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल को मंजूरी दी। इसमें ऑनलाइन मनी गेमिंग, विज्ञापन, खेल के लिए उकसाने वाले को सजा-जुर्माना या दोनों हो सकता है। तीन साल तक कैद या 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना,या दोनों हो सकते हैं।