नई दिल्ली: 'कर्तव्य पथ' के नाम से जाना जायेगा राजपथ, पीएम नरेंद्र मोदी अगले आठ सितंबर को करेंगे उद्घाटन

सेंट्रल गवर्नमेंट ने राजपथ और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक फैले सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करने का फैसला किया है। एनडीएमसी ने राजपथ और सेंट्रल विस्टा के लॉन का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने के लिए सात सितंबर को एक विशेष बैठक बुलाई है, जिसमें नये नाम पर औपचारिक मुहर लगेगी। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी अगले आठ सितंबर की शाम को इस क्षेत्र का उद्घाटन करेंगे।

नई दिल्ली: 'कर्तव्य पथ' के नाम से जाना जायेगा राजपथ, पीएम नरेंद्र मोदी अगले आठ सितंबर को करेंगे उद्घाटन
  • किंग्स-वे से राजपथ और अब कर्तव्य पथ
  • इतिहास के पन्ने में दर्ज दिल्ली की ऐतिहासिक सड़कों की कहानी
नई दिल्ली। सेंट्रल गवर्नमेंट ने राजपथ और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक फैले सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करने का फैसला किया है। एनडीएमसी ने राजपथ और सेंट्रल विस्टा के लॉन का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने के लिए सात सितंबर को एक विशेष बैठक बुलाई है, जिसमें नये नाम पर औपचारिक मुहर लगेगी। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी अगले आठ सितंबर की शाम को इस क्षेत्र का उद्घाटन करेंगे।

इंडिया गेट के पास लगाई गई है नेताजी की प्रतिमा

इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगायी गयी है। पीएम नरेंद्र मोदी नेताजी की प्रतिमाक का अनावरण करेंगे। राजपथ और सेंट्रल विस्टा क्षेत्र का विकास नए सिरे से सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत किया गया है। राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक के तीन किमी तक का स्ट्रेच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंदर आता है। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना में सिर्फ राजपथ का नाम नहीं बदलने जा रहा है, इसका स्वरूप भी काफी भव्य हो गया है। राजपथ को दोनों तरफ छह-छह फीट चौड़ा कर दिया गया है।

इससे पहले भी मोदी सरकार ने जिस रोड पर पीएम आवास स्थित है, उसका नाम भी रेसकोर्स रोड से बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया था। इससे एक साल पहले साल औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया गया। साल 2017 में डलहौजी रोड का नाम दारा शिकोह रोड कर दिया गया। अब इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक राजपथ नाम से मशहूर रोड को भी कर्तव्य पथ नाम से जाना जायेगा।
उल्लेखनीय है कि किंग जॉर्ज पंचम के खिलाफ बोस ने विद्रोह किया था। वर्ष 1911 के दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए किंग जॉर्ज पंचम दिल्ली आए थे और उनके सम्मान में ही ब्रिटिश काल में इस रोड का नाम किंग्स-वे रखा गया था। आजादी के बाद ही सेंट्रल विस्टा का नाम राजपथ में बदल दिया गया था। इससे मिलने वाली एक सड़क का नाम क्वींस-वे रखा गया था, जिसे अब जनपथ के नाम से जान जाता है।  

सबसे पहले अलबुकर्क रोड का नाम बदला

राजधानी की रोड के नामों के बदलने के सिलसिले सबसे पहले अलबुकर्क रोड का नाम बदला गया था। महात्मा गांधी ने अपने जीवन के अंतिम समय अलबुकर्क रोड के बिड़ला हाउस में बिताये थे, इसलिए उनकी हत्या के तुरंत बाद इस रोड का नाम 30 जनवरी मार्ग कर दिया गया। आजादी के आठ साल बाद वर्ष 1955 में किंग्स-वे राजपथ और  क्वींस-वे हो गया जनपथ। यार्क रोड जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू को दो सितंबर, 1946 में देश में अंतरिम सरकार के गठन के समय रहने का लिए बंगला मिला था, उसका नाम बदलकर मोतीलाल नेहरू मार्ग हो गया। डॉ राजेंद्र प्रसाद क्वींस विक्टोरिया रोड के बंगले में रहते थे, इसलिए इस रोड का नाम उनके नाम पर पड़ गया। देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद का निवास किंग एडवर्ड रोड पर था तो उनकी मृत्यु के बाद इसका नाम बदलकर मौलाना आजाद रोड रख दिया गया।