Jharkhand: कुड़मी को ST दर्जा देने के विरोध में आदिवासियों का उबाल, पारंपरिक हथियारों संग हजारों ने किया DC ऑफिस घेराव
जमशेदपुर में कुड़मी को एसटी (ST) दर्जा देने की मांग के विरोध में आदिवासी संगठनों का जोरदार प्रदर्शन। हजारों की संख्या में लोग पारंपरिक हथियारों और नारों के साथ DC कार्यालय पहुंचे। प्रशासन के कड़े इंतजाम के बावजूद घंटों तक सड़कों पर जाम।

- “लोकसभा नहीं, ग्रामसभा सबसे ऊंची!”
जमशेदपुर। झारखंड में कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के विरोध में गुरुवार को आदिवासी समाज ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में आदिवासी पुरुष, महिलाएं और युवा अपने पारंपरिक परिधान और हथियारों के साथ सड़कों पर उतर आए और उपायुक्त (DC) कार्यालय का घेराव किया।
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यह जनाक्रोश रैली आदिवासी बचाओ संघर्ष मोर्चा और गरुड़बासा ग्रामसभा हो समाज के बैनर तले आयोजित की गई थी। प्रदर्शन में 10 हजार से अधिक लोग शामिल हुए, जिनमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के आदिवासी समुदाय के लोग मौजूद थे। DC कार्यालय पहुंचने के बाद प्रदर्शनकारियों ने घेराव किया। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे।
“भारत देश हमारा है, जय जोहार हमारा है” — नारों से गूंजा शहर
रैली का आगाज़ डिमना, बारीडीह, करनडीह और आसपास के गांवों से हुआ। हजारों की भीड़ जुलूस की शक्ल में साकची आमबगान मैदान पहुंची, जहां से उन्होंने रैली शुरू की।साकची आई अस्पताल के पास भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण और श्रद्धांजलि देने के बाद, भीड़ “जय जोहार”, “आदिवासी एकता जिंदाबाद” और “ग्रामसभा सबसे ऊंची” जैसे नारों के साथ DC ऑफिस की ओर कूच कर गयी।प्रदर्शनकारियों ने ‘गैर-आदिवासी कुड़मी महतो एसटी की मांग बंद करो’ के नारे भी बुलंद किए। उनका कहना था कि कुड़मी समाज आदिवासी नहीं है और उन्हें ST श्रेणी में शामिल करना आदिवासी पहचान और अधिकारों पर चोट है।
“ग्रामसभा आदिवासी शासन की आत्मा है” — नेताओं का बयान
आदिवासी समाज के नेताओं ने कहा — “ग्रामसभा आदिवासी शासन व्यवस्था की आत्मा है। हम अपनी अस्मिता और परंपरा से कोई समझौता नहीं करेंगे।” उनका कहना था कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों को यह समझना चाहिए कि आदिवासी समाज अपनी परंपराओं और अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
प्रदर्शन के बीच जाम से ठप रहा शहर का जनजीवन
डीसी ऑफिस के घेराव के कारण जमशेदपुर शहर में कई घंटों तक ट्रैफिक ठप रहा। साकची, बारीडीह और गोलमुरी इलाकों में लंबा जाम लग गया। बसों और ऑटो की आवाजाही प्रभावित रही।हालांकि, शाम तक पुलिस और प्रशासन ने भीड़ को शांतिपूर्वक तितर-बितर कर स्थिति सामान्य की।
पृष्ठभूमि: कुड़मी समुदाय का ST दर्जा विवाद क्या है?
कुड़मी समुदाय कई वर्षों से अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किए जाने की मांग कर रहा है। वहीं, आदिवासी संगठन इसका विरोध करते रहे हैं। उनका कहना है कि कुड़मी समाज ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से आदिवासी नहीं है, और उन्हें ST दर्जा देना वास्तविक आदिवासी समाज के अधिकारों और आरक्षण को कमजोर करेगा।यह मुद्दा झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में लगातार चर्चा में है, और केंद्र सरकार ने इस पर अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।
निष्कर्ष
जमशेदपुर में हुए इस प्रदर्शन ने एक बार फिर से झारखंड की राजनीति में कुड़मी-ST विवाद को केंद्र में ला दिया है। आदिवासी संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी पहचान, परंपरा और अधिकारों के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे।