झारखंड: बोकारो DC के स्टेनो अजय कुमार की प्रतिनियुक्ति फाइल गायब!

बोकारो DC के स्टेनो अजय कुमार की प्रतिनियुक्ति फाइल गायब! शिक्षा विभाग और उपायुक्त कार्यालय दोनों में रिकॉर्ड नहीं मिला। 2007 की नियुक्ति से लेकर अब तक का पूरा मामला संदिग्ध। पढ़ें पूरी खबर Threesocieties.com पर।

झारखंड: बोकारो DC के स्टेनो अजय कुमार की प्रतिनियुक्ति फाइल गायब!
अजय कुमार (फाइल फोटो)।
  • शिक्षा विभाग और DC ऑफिस में मचा हड़कंप

बोकारो। झारखंड के बोकारो जिले से एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी है। बताया जा रहा है कि बोकारो उपायुक्त (DC) के स्टेनो अजय कुमार की प्रतिनियुक्ति से जुड़ी पूरी फाइल गायब हो गयी है। यह खुलासा तब हुआ जब सूचना के अधिकार (RTI) के तहत अजय कुमार की नियुक्ति और प्रतिनियुक्ति से जुड़ी जानकारी मांगी गयी।
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जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) कार्यालय की ओर से पहले ही यह स्पष्ट कर दिया गया था कि अजय कुमार की प्रतिनियुक्ति से संबंधित कोई भी आधिकारिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। अब जब यह सवाल उपायुक्त कार्यालय से पूछा गया, तो उन्होंने भी संबंधित जानकारी देने के बजाय फाइल को दोबारा जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास भेज दिया।
इस घटनाक्रम से यह संकेत मिल रहा है कि या तो उपायुक्त कार्यालय में अजय कुमार की प्रतिनियुक्ति का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है, या फिर यह फाइल रहस्यमय तरीके से गायब कर दी गयी है।
 कैसे हुई अजय कुमार की नियुक्ति?
जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, अजय कुमार की नियुक्ति झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के तहत वर्ष 2007 में की गई थी।वर्ष 2004 में झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा बोकारो सर्व शिक्षा अभियान (SSA) के तहत स्टेनोग्राफर सह कंप्यूटर ऑपरेटर सहित कई पद सृजित किये गये थे।
इन पदों पर भर्ती के लिए वर्ष 2007 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। कुल पाँच उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, जिनमें केवल दो उम्मीदवार — अजय कुमार और दिलीप कुमार — ही शैक्षणिक योग्यता के मानक पर खरे उतरे थे।चयन समिति ने योग्यता के आधार पर अजय कुमार को स्टेनोग्राफर सह कंप्यूटर ऑपरेटर के पद के लिए 4200 रुपये मानदेय पर नियुक्त किया। उनकी नियुक्ति समग्र शिक्षा कार्यालय बोकारो में की गई थी।
फाइल गायब होने का रहस्य
अब सवाल यह उठ रहा है कि अजय कुमार समग्र शिक्षा कार्यालय से उपायुक्त कार्यालय में स्टेनो कैसे बन गये? इस प्रतिनियुक्ति का कोई आधिकारिक दस्तावेज न तो शिक्षा विभाग के पास है और न ही उपायुक्त कार्यालय के पास। सूचना अधिकारी के तहत जब इस फाइल की मांग की गई, तो उपायुक्त कार्यालय ने जवाब देने के बजाय फाइल को वापस जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेज दिया।
इससे दो संभावनाएं बनती हैं —उपायुक्त कार्यालय में प्रतिनियुक्ति का कोई रिकॉर्ड मौजूद ही नहीं है, या फाइल को जानबूझकर गायब कर दिया गया है।प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, नियमानुसार उपायुक्त कार्यालय में किसी भी प्रतिनियुक्ति से संबंधित दस्तावेज मौजूद होना चाहिए, क्योंकि योगदान वहीं होता है। अब जब फाइल का कोई अता-पता नहीं, तो पूरा मामला संदिग्ध नजर आ रहा है।
अब आगे क्या?
इस पूरे प्रकरण ने शिक्षा विभाग और बोकारो उपायुक्त कार्यालय दोनों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि अगर फाइल वास्तव में गायब है, तो इसकी जांच की जरूरत है कि प्रतिनियुक्ति किसके आदेश से की गई और किनके निर्देश पर फाइल गायब हुई। यह मामला फिलहाल प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।