Jharkhand: बुधनी मंझियाइन पंचतत्व में विलीन, लोगों ने गाजे-बाजे के साथ निकली अंतिम यात्रा

कोयला राजधानी धनबाद के पंचेत की रहनेवाली बुधनी मंझियाइन (85 वर्ष) शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गयी। बुधनी का पंचेत में अंतिम संस्कार किया गया। 

Jharkhand: बुधनी मंझियाइन पंचतत्व में विलीन, लोगों ने गाजे-बाजे के साथ निकली अंतिम यात्रा
गाजे-बाजे के साथ निकली अंतिम यात्रा।

धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद के पंचेत की रहनेवाली बुधनी मंझियाइन (85 वर्ष) शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गयी। बुधनी का पंचेत में अंतिम संस्कार किया गया। 

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गांव के लोगों ने गाजे-बाजे के साथ बुधनी की अंतिम यात्रा निकली। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। डीवीसी के अधिकारियों, कॉलोनीवासियों एवं ग्रामीणों ने शनिवार को बुधनी को अंतिम विदाई दी। बुधनी की पार्थिव शरीर को  फूल माला से सजाकर डीवीसी के संयुक्त प्रशासनिक भवन लाया गया, जहां डीवीसी के अफसरों ने श्रद्धांजलि दी. इसके बाद गाजे-बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गयी। जगह-जगह लोगों ने नम आंखों से बुधनी मंझियाइन को श्रद्धांजलि दी दामोदर नदी तट पर भुधनी का अंतिम संस्कार किया गया। नाती बापी दत्त ने बुधनी को मुखाग्नि दी। 
पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए एमएलए अपर्णा सेनगुगप्ता, झामुमो नेता अशोक मंडल पहुंचे। इन नेताओं ने और परिवार को सांत्वना दी। मौके पर डीवीसी के डिप्टी चीफ सोमेश कुमार, सीआईएसएफ अफसर एवं जवान, मुखिया सचिन मंडल, मुखिया भैरव मंडल, श्रमिक यूनियन के सुबोध मंडल, नमिता महतो, रीता मंडल, शिखा दे, पुतुल गोराई, अमर खालको, आरके गुंडे आदि थे।
जवाहर लाल नेहरू के साथ डीवीसी पंचेत डैम का उद्घाटन कर देशभर में चर्चित हुई थी बुधनी

वर्ष 1959 की दिसंबर में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ डीवीसी पंचेत डैम का उद्घाटन कर देशभर में चर्चित बुधनी मंझायाईन चर्चित हुई थी। पंचेत डैम के उद्घाटन समारोह में बुधनी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का स्वागत करते हुए उन्हें माला पहनायी थी। उस रात संथाली समाज की बैठक हुई जिसमें कहा गया कि बुधनी अब नेहरू की पत्नी बन चुकी है। क्योंकि समाज की परंपरा के मुताबिक अगर कोई महिला किसी पुरुष के गले में माला डालती है तो इसका मतलब है कि उसने उस व्यक्ति के साथ विवाह कर लिया है। अंतत: एक ग़ैर-आदिवासी से शादी रचाने के आरोप में संथाली समाज ने उन्हें जाति और गांव से बाहर निकालने का फ़ैसला सुना दिया। वह बगल के पुरुलिया जिला के सालतोड़ (रघुनाथपुर) काम की तलाश में चली गयीं। वहां सालतोड़ के सुधीर दत्त से उनकी मुलाकात हुई। बुधनी से सुधीर दत्त ने विवाह कर लिया। दोनों की एक पुत्री है। बुधनी का पैतृक गांव तत्कालीन मानभूम जिले के खैरबना में था। डैम निर्माण के दौरान पूरी तरह विस्थापित हो गया।
राजीव गांधी ने दिलायी थी नौकरी 
बुधनी का मुद्दा समय-समय पर मीडिया में उछलता रहा। राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब उनके समक्ष बुधनी का मामला आया तो उन्होंने डीवीसी को आदेश देकर बुधनी को खोज निकालने और नियोजन देने का आदेश दिया। डीवीसी ने सालतोड़ से बुलाकर बुधनी को नौकरी दी थी। डीवीसी से रिटायरमेंट के बाद वह सालतोड़ में ही रह रही थी। बुधनी की एक पुत्री रत्ना दत्ता हैं। रत्ना की शादी हो चुकी है।