“झारखंड को मिली ‘आयरन लेडी’ डीजीपी! तदाशा मिश्रा ने संभाली कमान, अपराधियों में खौफ”

झारखंड की पहली महिला डीजीपी बनीं तदाशा मिश्रा। 1994 बैच की आईपीएस अफसर ने पदभार संभालते हुए कहा — संगठित अपराध और नशे के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम।

“झारखंड को मिली ‘आयरन लेडी’ डीजीपी! तदाशा मिश्रा ने संभाली कमान, अपराधियों में खौफ”
पहली महिला डीजीपी तदाशा मिश्रा ने चार्ज लिया।

रांची। झारखंड पुलिस के इतिहास में शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक बन गया। राज्य को अपनी पहली महिला पुलिस महानिदेशक (DGP) मिल गई हैं। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी तदाशा मिश्रा ने राज्य की कमान संभालते हुए कहा कि संगठित अपराध, नशा तस्करी और माओवाद के खिलाफ अभियान निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने पुलिस बल से टीमवर्क की अपील करते हुए कहा — “राज्य की शांति और सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”

यह भी पढ़ें: “चार नहीं, दस लाख महीना दो!” — मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां की नई मांग पर सुप्रीम कोर्ट का ऐक्शन

15 नवंबर के शांतिपूर्ण आयोजन को बताया पहली प्राथमिकता

डीजीपी तदाशा मिश्रा ने पदभार ग्रहण के बाद कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता राज्य स्थापना दिवस (15 नवंबर) का शांतिपूर्ण और सुरक्षित आयोजन सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा, “पुलिसिंग टीमवर्क से होती है। मुझे एक शानदार टीम मिली है और हम सब मिलकर सरकार के विज़न को ज़मीन पर उतारेंगे।”उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर कानून-व्यवस्था की स्थिति पर विस्तृत चर्चा की और राज्य में अपराध नियंत्रण को लेकर विभागीय तैयारी की समीक्षा भी की।

संगठित अपराध, नशा तस्करी और माओवाद पर सख्ती जारी

डीजीपी मिश्रा ने साफ किया कि अपराध और मादक पदार्थ तस्करी के खिलाफ अभियान में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि “बेसिक और कोर पुलिसिंग” पर जोर रहेगा और हर स्तर पर जवाबदेही तय की जायेगी।

ओडिशा की बेटी, झारखंड की पहली महिला डीजीपी

तदाशा मिश्रा मूल रूप से ओडिशा की हैं और 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। राज्य गठन के बाद वे झारखंड कैडर में आ गईं। उन्होंने बोकारो की एसपी, रेलवे एडीजी, और गृह, जेल एवं आपदा प्रबंधन विभाग में विशेष सचिव के रूप में सेवा दी है। उनकी सख्त कार्यशैली, संवेदनशीलता और महिला सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध दृष्टिकोण के लिए वे हमेशा चर्चा में रही हैं।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम

तदाशा मिश्रा की नियुक्ति झारखंड में महिला नेतृत्व के एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है। एक महिला अधिकारी का राज्य के शीर्ष पुलिस पद पर पहुंचना न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी मील का पत्थर है। उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी बढ़ाने और सामुदायिक पुलिसिंग को और मजबूत करने पर जोर देंगी।

चुनौतियां भी कम नहीं

राज्य में संगठित अपराध, साइबर क्राइम, और नक्सल समस्या अब भी बड़ी चुनौतियां हैं। डीजीपी मिश्रा के पास इन चुनौतियों से निपटने के लिए सीमित समय है, क्योंकि उनकी सेवानिवृत्ति 31 दिसंबर 2025 को निर्धारित है। इसके बावजूद उन्हें उम्मीद है कि वे अपने अनुभव और निर्णायक नेतृत्व से झारखंड पुलिस को नई ऊंचाई देंगी।

अनुराग गुप्ता की विदाई पर सियासी बयानबाजी

पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता की ऐच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद सियासी हलचल तेज है। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि गुप्ता “घर के भेदी” हैं, और अगर उन्हें किसी पद से नहीं जोड़ा गया तो “लंका ढाहने” जैसा काम कर सकते हैं।
इस टिप्पणी से झारखंड की राजनीति में नया तीर चल पड़ा है।

नई डीजीपी से उम्मीदें

संगठित अपराध, नशा और माओवाद के खिलाफ तेज कार्रवाई

महिला सुरक्षा को प्राथमिकता

पारदर्शी और जनसंपर्क आधारित पुलिसिंग

तकनीक आधारित अपराध नियंत्रण प्रणाली को मजबूती

पुलिस बल में अनुशासन और संवेदनशीलता का संतुलन

महिला नेतृत्व की नई मिसाल

तदाशा मिश्रा की नियुक्ति ने यह साबित कर दिया कि अब महिलाओं की भूमिका केवल सहभागिता तक सीमित नहीं, बल्कि नेतृत्व तक विस्तारित हो चुकी है।
उनकी सफलता ने न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश में महिला अधिकारियों को प्रेरित किया है।