झारखंड: गवर्नर के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे हेमंत सोरेन, कहा-उनका पक्ष सुने बिना न लिया जाए कोई निर्णय

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने माइनिंग लीज आवंटन मामले में भारत चुनाव आयोग के मंतव्य की जानकारी नहीं देने और गवर्नर रमेश बैस द्वारा दोबारा चुनाव आयोग से मंतव्य मांगे जाने के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। हेमंत सोरेन की ओर से दाखिल याचिका में चुनाव आयोग के मंतव्य पर गवर्नर के निर्णय लेने पर रोक लगाने की मांग की गई है।

झारखंड: गवर्नर के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे हेमंत सोरेन, कहा-उनका पक्ष सुने बिना न लिया जाए कोई निर्णय

रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने माइनिंग लीज आवंटन मामले में भारत चुनाव आयोग के मंतव्य की जानकारी नहीं देने और गवर्नर रमेश बैस द्वारा दोबारा चुनाव आयोग से मंतव्य मांगे जाने के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। हेमंत सोरेन की ओर से दाखिल याचिका में चुनाव आयोग के मंतव्य पर गवर्नर के निर्णय लेने पर रोक लगाने की मांग की गई है।

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गवर्नर के रायपुर वाले बयान को शेयर किया
हेमंत सोरेन की ओर से याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट पीयूष चित्रेश ने बताया कि सीएम हेमंत सोरेन ने अपनी याचिका में कहा है कि माइनिंग लीज आवंटन मामले में चुनाव आयोग ने बहुत पहले ही अपना मंतव्य झारखंड गवर्नररमेश बैस को भेजा दिया है। लेकिन गवर्नर ने अभी तक इस पर निर्णय नहीं लिया है। मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि गवर्नर रमेश बैस ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में कहा था कि इस मामले में चुनाव आयोग से उन्होंने दोबारा मंतव्य लिया है।
गवर्नर को दोबारा मंतव्य का अधिकार नहीं
हेमंत सोरेन का कहना है कि गवर्नर रमेश बैस को दोबारा मंतव्य लेने का अधिकार नहीं है। यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। यदि चुनाव आयोग दोबारा मंतव्य देता है तो मंतव्य देने के पहले चुनाव आयोग को उनका पक्ष भी सुनना चाहिए। बिना उनका पक्ष सुने चुनाव आयोग को दोबारा मंतव्य नहीं देने का निर्देश दिया जाए। यह भी कहा है कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि उनसे राज्यपाल ने दोबारा मंतव्य नहीं मांगा है।

झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल
गवर्नर रमेश बैस के चुनाव आयोग के मंतव्य की जानकारी नहीं देने और उनकी ओर से मीडिया को दिए जा रहे बयान से झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ऐसे में कोर्ट गवर्नर रमेश बैस को चुनाव आयोग के मंतव्य पर किसी प्रकार का निर्णय नहीं लेने का निर्देश दें।