झारखंड: बाबूलाल मरांडी का हेमंत सरकार पर हमला,“वन विभाग में मची अराजकता, एक IFS अफसर के पास पांच पद और आधा बजट!”
झारखंड में वन विभाग पर बाबूलाल मरांडी का बड़ा हमला। एक IFS अधिकारी के पास पांच पद और आधा बजट, आठ अधिकारी पोस्टिंग के इंतजार में। आरक्षी रणजीत राणा के पुलिस पदक पर भी सवाल।
- आठ ट्रेनी IFS अफसर बिना पोस्टिंग के
- आरक्षी रणजीत राणा के पुलिस पदक पर सवाल
- वन विभाग में अराजकता का आरोप
रांची। झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि वन एवं पर्यावरण विभाग (Forest Department) में अराजकता की स्थिति है, जहां एक IFS अधिकारी पांच पदों पर विराजमान हैं। वे विभाग के आधे बजट का संचालन कर रहे हैं।
माननीय मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM जी...
— Babulal Marandi (@yourBabulal) November 9, 2025
ये क्या हो रहा है..एक तरफ आठ प्रशिक्षु IFS अधिकारी वेटिंग फॉर पोस्टिंग में हैं, और एक अधिकारी पांच महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान हैं।
धनबाद के डीसी आदित्य रंजन के दो पद संभालने के तर्ज पर वन विभाग में भी एक IFS अधिकारी सबा आलम अंसारी…
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आठ प्रशिक्षु भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी पोस्टिंग के इंतजार में हैं, जबकि एक ही अधिकारी के पास तीन डीएफओ (DFO) और दो सीएफ (CF) का कार्यभार है।
“एक अधिकारी संभाल रहे हैं आधा बजट”
मरांडी ने नाम लेते हुए कहा कि IFS अधिकारी सबा आलम अंसारी जमशेदपुर, सरायकेला और दलमा के DFO, तथा जमशेदपुर और चाईबासा के CF पदों पर एक साथ कार्यरत हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अंसारी तीन डीएफओ और दो सीएफ का काम अकेले संभाल रहे हैं, जिससे विभागीय पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गये हैं। मरांडी ने कहा —“एक ही अधिकारी खर्च भी खुद कर रहा है और उसी खर्च का ऑडिट भी खुद कर रहा है। ये स्थिति बिल्कुल चारा घोटाले जैसी है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि 2011 बैच के सबा आलम अंसारी जानबूझकर प्रमोशन नहीं ले रहे हैं, जिससे सरकार आठ प्रशिक्षु IFS अधिकारियों की पोस्टिंग लंबित रखे हुए है।
मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM जी,
— Babulal Marandi (@yourBabulal) November 9, 2025
राज्य में पुरस्कार देना आपका विशेषाधिकार है — आप जिसे चाहें, जब चाहें, किसी भी पुरस्कार से सम्मानित कर सकते हैं। आप राजा हैं चाहें तो चोर, उच्चके, डकैत किसी को भी सम्मानित कर सकते हैं। वैसे भी, आपके कार्यकाल में तो डीजीपी का पद भी मानो “पुरस्कार”… pic.twitter.com/Re1wRQZDaL
पुलिस पदक पर भी उठे सवाल
बाबूलाल रांडी ने जैप-2 के आरक्षी रणजीत राणा को पुलिस पदक देने की तैयारी पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि रणजीत राणा का नाम सम्मानित होने वालों की सूची में 27वें नंबर पर है, लेकिन “रणजीत राणा ने आज तक किसी भी नक्सल अभियान में भाग नहीं लिया है। वे वर्ष 2015 से अनुराग गुप्ता के कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत हैं।” मरांडी ने आरोप लगाया कि रणजीत राणा कोयला चोरी समेत अन्य आपराधिक मामलों में शामिल रहे हैं, और सरकार के पास इससे जुड़ी पूरी जानकारी मौजूद है।
बाबूलाल मरांडी का बयान
“हेमंत सरकार में विभागीय अराजकता चरम पर है। अधिकारियों को जवाबदेह बनाने के बजाय, एक ही व्यक्ति के हाथ में पूरा तंत्र सौंप दिया गया है। यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला कदम है।”






