झारखंड: 1932 खतियान ही होगा स्थानीयता का आधार, भूमिहीनों की पहचान करेगी ग्रामसभा

हेमंत सोरेन गवर्नमेंट 1932 के खतियान को ही प्रदेश की स्थानीयता नीति का आधार बनायेगी। झारखंड में स्थानीय वही माना जाएगा जिनका नाम या जिनके पूर्वजों का नाम 1932 या इसके पूर्व हुए जमीन के सर्वेक्षण खतियान में दर्ज है। स्थानीयता के दायरे में आने वालों का जल, जंगल, जमीन या तमाम प्राकृतिक संसाधनों पर पूरा अधिकार होगा। नदियों, झीलों और मछली पालन में उनकी पूरी हिस्सेदारी होगी। 

झारखंड: 1932 खतियान ही होगा स्थानीयता का आधार, भूमिहीनों की पहचान करेगी ग्रामसभा
  •  संस्कृति रीति-रिवाज और परंपरा बनेगा आधार

रांची। हेमंत सोरेन गवर्नमेंट 1932 के खतियान को ही प्रदेश की स्थानीयता नीति का आधार बनायेगी। झारखंड में स्थानीय वही माना जाएगा जिनका नाम या जिनके पूर्वजों का नाम 1932 या इसके पूर्व हुए जमीन के सर्वेक्षण खतियान में दर्ज है। स्थानीयता के दायरे में आने वालों का जल, जंगल, जमीन या तमाम प्राकृतिक संसाधनों पर पूरा अधिकार होगा। नदियों, झीलों और मछली पालन में उनकी पूरी हिस्सेदारी होगी। 

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जिनके पास खतियान नहीं उनके लिए भी प्रावधान
भूमिहीन व्यक्तियों के मामले में स्थानीय व्यक्ति की पहचान ग्रामसभा द्वारा उसकी संस्कृति, स्थानीय रीत-रिवाज और परंपरा के आधार पर किया जायेगा।जो व्यक्ति या जिनके पूर्वज झारखंड में 1932 या उसके पूर्व से रहते हों, परंतु खतियान के अनुपलब्ध रहने तथा अपठनीय होने के कारण या अन्य किसी वैध कारण से जमीन के कागजात नहीं दिखा पा रहे हों तो उसके मामले में ग्रामसभा को उनके स्थानीय निवासी होने की पहचान का अधिकार होगा। इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्थानीय व्यक्ति सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक बीमा और रोजगार या बेरोजगारी के संबंध में राज्य के सभी योजनाओं और नीतियों के हकदार होंगे। उन्हें अपनी भूमि, रोजगार, कृषि समेत अन्य ऋण आदि पर विशेषाधिकार और संरक्षण प्राप्त होगा।अधिनियम के तहत परिभाषित व्यक्ति प्राथमिकता के आधार पर अपनी भूमि रिकार्ड को बनाए रखने को हकदार होंगे। व्यापार और वाणिज्य के लिए विभिन्न पारंपरिक और सांस्कृतिक उपक्रमों स्थानीय झील, नदी और मछली पालन पर अधिकार का हक होगा। कृषि ऋण के मामले में राज्य के लाभों का वे हकदार होंगे।
सभी आदेश को रखना होगा विधानसभा के समक्ष
धारा के अधीन बनाया गया हर नियम बनाये जाने के बाद यशाशीघ्र विधानसभा के समक्ष, जब सत्र हो, कुल तीस दिनों की अवधि के लिए रखा जाएगा। सदन के असहमत होने पर यह निष्प्रभावी होगा। नियमों और उपबंधों को प्रभावी बनाने में यदि कोई कठिनाई होती है तो राज्य सरकार राजपत्र जारी कर ऐसा उपबंध कर सकती है, जो कठिनाई को दूर करने में आवश्यक प्रतीत होता हो।
झारखंड में कम हो रही आदिवासियों की जनसंख्या
विधेयक का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए उल्लेख किया गया है कि 1932 के पहले और 1932 के बाद दूसरे राज्यों से लोगों के आने के कारण मूल निवासियों या अधिवासियों या मूलवासियों के सामाजिक विकास, रहन-सहन, रीति-रिवाज और परंपराओं पर नकारात्मक प्रभाव देखा गया है। इसके अलावा 1941 की जनगणना के बाद से अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या प्रतिशत में लगातार गिरावट देखी गई है। गिरावट विभिन्न कारणों से है, लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि नीति स्तर पर सकारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है। झारखंड में आदिवासियों की जनसंख्या कुल आबादी का 30 प्रतिशत से अधिक है। राज्य संविधान की पांचवीं अनुसूची और अनुच्छेद 244 के तहत अनुसूचित क्षेत्र घोषित है। यह महसूस किया गया है कि स्थानीयों को सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक सेवा और अन्य लाभ प्रदान करना आवश्यक है।
विधानसभा में पास होगा 1932 का खतियान, रिजर्वेशन बढ़कर होगा 77 प्रतिशत
झारखंड विधानसभा का एक दिवसीय सत्र शुक्रवार को होगा। इस दौरान राज्य सरकार 1932 के खतियान पर स्थानीय नीति और ओबीसी समेत अनुसूचित जाति और जनजाति का आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने संबंधी विधेयक पेश करेगी। विधानसभा सचिवालय ने सत्र से संबंधित कार्यसूची में इसे शामिल किया है। दोनों प्रस्तावों को पूर्व में राज्य मंत्रिपरिषद की स्वीकृति मिल चुकी है। स्थानीयता का आधार 1932 का खतियान होगा। इसमें भूमिहीनों, आदिवासी जनजातियों समेत उन जिलों के लिए भी प्रानधान होगा, जहां जमीन का सर्वे 1932 के बाद हुआ है। 
हेमंत गवर्नमेंट ओबीसी समेत अनुसूचित जाति और जनजाति का आरक्षण प्रतिशत भी बढ़ाएगी। प्रोपोजल के अनुसार ओबीसी का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत का प्रविधान है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति का आरक्षण 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का प्रविधान है। ओबीसी आरक्षण में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-एक) को 15 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-दो) का आरक्षण 12 प्रतिशत होगा। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण पूर्व से निर्धारित है। 
दोनों विधेयकों की विशेषताएं
स्थानीयता नीति निर्धारण : 1932 का खतियान बनेगा आधार, इसमें वैसे जिले भी समाहित जहां इस वर्ष के बाद हुआ है सर्वे, कोल्हान प्रमंडल में जमीन का सर्वे 1964-65 में, आदिम जातियों और भूमिहीनों का ख्याल, बढ़ेगी ग्राम सभाओं की भूमिका।ओबीसी समेत एसटी-एससी आरक्षण : ओबीसी (अत्यंत पिछड़ा एवं पिछड़ा वर्ग) को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण, एससी को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति को 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत आरक्षण।