नहाय खाय के साथ ही आज से चार दिवसीय छठ पर्व शुरु

लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो है। छठ पूजा व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा परिवार की खुशहाली और खुशहाली के लिए आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है। चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ आठ नवंबर सोमवार से शुरु हो गया है। 

नहाय खाय के साथ ही आज से चार दिवसीय छठ पर्व शुरु

नई दिल्ली। लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो है। छठ पूजा व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा परिवार की खुशहाली और खुशहाली के लिए आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है। चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ आठ नवंबर सोमवार से शुरु हो गया है। 

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नौ को खरना, 10 को भगवान भास्कर को सायंकालीन अघ्र्य और 11 नवंबर को उदयीमान सूर्य को अघ्र्य देकर व्रती समापन करेंगी। अनुष्ठान के अवसर पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बना है। इस महान पर्व को लेकर कोयला राजधानी धनबाद में उत्साह और उमंग है। जोर-शोर से तैयारी चल रही है। छठ छाटों की साफ-सफाई की जा रही है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से शुरू होकर  सप्तमी तिथि को उषा अर्घ्य के साथ समाप्त होता है। छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय है। 
ज्योतिषियों के अनुसार इस बार नहाय-खाय से लेकर उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देने तक कई योग बने हैं, जो शुभ फल प्रदान करने वाले हैं। आठ नवंबर को नहाय-खाय के दिन सूर्य से तीसरे भाव में चंद्रमा होने से वरिष्ठ योग एवं सूर्य व बुध साथ होने से बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में व्रती नहाय-खाय पर गंगा स्नान करने के बाद अरवा चावल, चने की दाल व कद्दू की सब्जी ग्रहण करेंगे।

रसकेसरी योग में बनेगा खरना का प्रसाद, गजकेसरी योग में सायंकालीन अघ्र्य
नौ नवंबर को छठ व्रती रसकेसरी व बुधादित्य योग में खरना का प्रसाद बना कर चंद्र को अघ्र्य देने के बाद शाम में ग्रहण करेंगी। शुक्र और चंद्रमा के योग से रसकेसरी व सूर्य और बुध के योग से बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है।10 नवंबर को गुरु चंद्रमा के साथ रहने से गजकेसरी योग में व्रती सायंकालीन अघ्र्य देंगी। वहीं चंद्रमा के साथ द्वादश भाव में शुक्र के रहने से अनफा योग का निर्माण होगा।
पराक्रम योग में 11 को उदयीमान सूर्य को अघ्र्य

छठ व्रती 11 नवंबर को पराक्रम योग में उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देकर व्रत का समापन करेंगी। सूर्य और मंगल की युति से पराक्रम योग का निर्माण हो रहा है।

भगवान भास्कर की मानस बहन हैं षष्ठी देवी

अथर्वेद के अनुसार, भगवान भास्कर की मानस बहन षष्ठी देवी हैं, जिन्हें बोलचाल की व्रती छठी मैया से संबोधित करती हैं। प्रकृति के अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई थीं। उन्हें बालकों की रक्षा करने वाला बताया गया है। बालक के जन्म के छठे दिन भी षष्ठी मइया की पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे बच्चों के ऊपर ग्रह-गोचरों का प्रभाव न पड़े।
डूबते और उगते सूर्य को अघ्र्य 
छठ में उगते और डूबते सूर्य को अघ्र्य देने की परंपरा है। षष्ठी तिथि को व्रती पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर डूबते सूर्य को अघ्र्य देती हैं। पश्चिम मुख करके डूबते सूर्य को अघ्र्य देने से दुर्भाग्य का अंत होता है। पूर्व मुख करके सूर्य को अघ्र्य देने से उन्नति होती है।

छठ पूजा 2021 का शेड्यूल

आठ नवंबर 2021,सोमवार- (नहाय-खाय)

नौ नवंबर 2021, मंगलवार-(खरना)

10 नवंबर 2021,बुधवार- (डूबते सूर्य को अर्घ्य)

11 नवंबर 2021, शुक्रवार- (उगते सूर्य को अर्घ्य)